हाल में एक शव के साथ गंगा बैराज जाने का अवसर मिला। अंतिम संस्कार स्थल से काफी दूरी पर कोई अजीव जी चीज खड़ी दिखाई दी । कुलबुलाहट हुई। देखा तो यह मूर्ति खड़ी थी। मोबाइल से फोटों खींचे। एक साथी ने देखकर कहा कि गंगा मे विसर्जित प्रतिमा है। किसकी है यह दूसरे ने बताया कि मोर पर सवार तो भगवान कार्तिकेय होते हैं। सो उनकी प्रतिमा है।
अब यह प्रतिमा आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है
8 comments:
nice photographs
चिट्ठा जगत में आपका स्वागत है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है ।
लिखते रहिए लिखने वाले की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल,शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है
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स्वागत है आपका, शुभकामनायें… एक अर्ज है कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दीजिये, अभी हिन्दी ब्लॉग जगत में इसकी आवश्यकता नहीं है… धन्यवाद
बहुत सुन्दर......ये तस्वीर नहीं आपकी कुछ यादें हैं जो समत समय पर आपको ख़ुशी का एहेसास कराती रहेंगी.......
बहुत खूब............
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है आने के लिए
आप
๑۩۞۩๑वन्दना
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आभार...अक्षय-मन
भगवान कार्तिकेय की ही मूर्ति का अवशेष लग रहा है। मूर्तिकार पहले पुआल से ढांचा बनाते हैं, फिर मिट्टी चढ़ाते हैं। मिट्टी जल में घुल गयी है, ढांचा बचा रह गया।
आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करें। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
narayan narayan
अच्छी तसवीरें, स्वागत है आपका ब्लॉग परिवार और मेरे ब्लॉग पर भी.
खूबसूरत. जारी रहें. शुभकामनाएं.
मेरे ब्लॉग पर आप सादर आमंत्रित हैं.
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