Sunday, February 15, 2009

पत्रकारिता का एक रूप यह भी

मै छोटे से जिला मुख्यालय बिजनौर से हूं। पत्रकारिता की बात आती है तों नए आने वालों पर गर्व कम परहोता है,अफसोस ज्यादा के आचरण पर।
यहां जिला पंचायत की अध्यक्ष रूचिवीरा होती थीं। पिछले दिनों उनके विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव आया। अपर जिला जज की मौजूदगी में प्रस्ताव पर विचार हुआ।दो तिहाई मत से प्रस्ताव पारित हो गया। रूचिवीरा पद से हटा दी गई। यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
श्री मती रूचिवीरा को अपना पक्ष मजबूत करने के लिए कुछ एेसे पत्रकारों की जरूरत थी ,जो यह बयान हल्फी दे सकें कि उनके सामने इस प्रस्ताव पर विचार के पूरे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी हुई ,जबकि विडियोग्राफी हुई नही थी, जिला प्रशासन पहले ही कह चुका है कि वीडियोग्राफी नही हुई।अफसोस की बात है कि १२ से ज्यादा पत्रकारों ने बयान हल्फी लगाकर कहा कि उनके सामने वीडियों ग्राफी हुई है।पत्रकारों का काम पक्ष विपक्ष में कोर्ट में बयान देना नही है। इसके लिए रूचिवीरा के विरोधी कह रहे है कि इसके लिए प्रति पत्रकार १० से २० हजार रूपये तक का भुगतान हुआ।मीडिया में भी इस कार्रवाई ठीक नही मानी जा रही।बयान हल्फी जिसतरह लगाए गए वह सही नियत नही बताते ।बयान हल्फी देने वालों में कुछ चैनल एवं एक राष्ट्रीय देनिक का एक प़त्रकार भी शामिल रहां।
सीना फुलाने की बात यह है कि इन बिकने वालों में दो दैनिक अमर उजाला एवं जागरण के प़त्रकार नही हैं।