Wednesday, December 27, 2023

कुश्ती को बहुत नुकसान पंहुचाया कुश्ती संघ के विवाद ने

 


अशोक मधुप

वरिष्ठ पत्रकार

पिछले लगभग  एक साल के भारतीय  कुश्ती संघ के विवाद ने  कुश्ती को बहुत नुकसान पहुंचाया।यह नुकसान दीख नही रहा किंतु इसकी भारपायी के लिए बड़ा  प्रयास करना होगा।खेल मंत्रालय ने नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर इस खेल को  बचाने के लिए बड़ा संदेश दिया है। खेल मंत्रालय ने भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) से फेडरेशन का कामकाज चलाने के लिए एक तदर्थ समिति बनाने को कहा है।खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ का संचालन राष्ट्रीय खेल विकास संहिता में दिए राष्ट्रीय खेल फडरेशन के कामकाज की तरह करना सुनिश्चित करने को कहा गया है।यह व्यवस्था अगले आदेश तक जारी रहेगी।

भारतीय कुश्ती संघ के बीते गुरुवार को चुनाव कराए गए थे। इसमें संघ के पूर्व प्रमुख और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के करीबी संजय सिंह अध्यक्ष चुने गए थे।चुने जाते ही संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष संजय सिंह के अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा की थी। यह क्षेत्र सांसद बृजभूषण शरण सिंह  का  गृह जनपद है। वर्तमान में सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे यहां से विधायक हैं।सरकार ने इस ट्रायल को  ही रद्द कर दिया है। इस चुनाव का अंतरराष्ट्रीय पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने विरोध किया था। बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों की इस लड़ाई में ये तीनों पहलवान प्रमुख रूप से शामिल थे. कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाए थे।संजय सिंह के चुनाव के बाद ओलंपिक पदक विजेता पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने की घोषणा की थी। वहीं बजरंग पूनिया ने अपना 'पद्मश्री' लौटा दिया था।हरियाणा के पैरा एथलीट वीरेंद्र सिंह ने पद्म श्री लौटाने का एलान किया  था।

दरअस्ल इस चुनाव को रद्द करने का कारण सरकार का सांसद बृजभूषण शरण सिंह को झटका  देना था ।  इनके बेटे  और नजदीकियों ने अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा के बाद  क्षेत्र में बड़े  हार्डिंग लगवाए थे कि दबदबा तो है, दबदबा रहेगा...ये भगवान की देन है। ये वही पोस्टर हैं जिनका प्रदर्शन सांसद के विधायक बेटे प्रतीक भूषण शरण सिंह ने भी खुलेआम किया था।   चुनाव के रद्द होने के बाद गाड़ियों से भी 'दबदबा' वाले स्टीकर  और चौराहों  पर लगे हार्डिंग भी हटा दिए गए।चुनाव के बाद  नए अध्यक्ष  की  अंडर-15 और अंडर-18 का ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में आयोजित कराने की घोषणा और ये  पोस्टर  सांसद बृजभूषण शरण सिंह और उनके नजदीकियों के इरादे बताने के लिए काफी था। वरन स्टेडियम तो पूरे देश में बने हैं। कहीं और भी ट्रायल  हो सकते थे।  ये ट्रायल गोण्डा के नंदिनी नगर में ट्रायल कर विरोध  करने वाले पहलवानों को अपना प्रभाव और दबदबा  बताना चाहते थे।इससे बडी बात क्या होगी कि इन ट्रायल की तारीख तै करते  समय एसोसिएशन के सचिव की सहमति भी नहीं ली गई । न उन्हें ट्रायल की तारीख तै  होने  की जानकारी है।  जबकि एसोससिएशन के संविधान के अनुसार ये होना  चाहिए था। एसासिएशन के नवनिर्वाचित प्रधान सचिव प्रेम चंद लोचब ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए भारतीय ओलिंपिक संघ को पत्र लिख कर बताया था कि सचिव की जानकारी के बिना ये निर्णय लिए गए हैं जबकि कुश्ती संघ का संविधान कहता है कि सचिव की अनुपस्थिति में न तो निर्णय लिए जा सकते हैं और न ही कोई और अधिकारी इन निर्णयों की जानकारी प्रसारित कर सकता है।

छह माह से ज्यादा पहले   पहलवानों के विरोध के बाद भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को कुश्ती संघ के अध्यक्ष के पद से हटा दिया था। नवनिर्वाचित भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के बाद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था कि अब उनका कुश्ती से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि कुश्ती को लेकर क्या करना है, इसका फैसला नए चुए गए पदाधिकारियों को करना है। उन्होंने कहा  कि उनके पास कई और भी काम हैं। उन्होंने कहा कि वो इस खेल की राजनीति से दूर रहेंगे।ये घोषणा  उन्होंने भाजपा के अध्यक्ष जेपी नडडा से मिलने के बाद की। लगता है कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नडडा ने  उन्हें समझा  दिया  कि टिकट बचाना  है  तो कुश्ती से  दूर रहें। हालाकि उन्होंने  कह  दिया कि कुश्ती से उनका कोई  लेना – देना  नही है  जबकि सच्चाई  यह है   पद से हटने के छह माह बाद भी कुश्ती संघ का कार्यालय  उनके घर पर चल रहा है।

कुश्ती संघ को निलंबित किए जाने के बाद आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले अनुभवी पहलवान बजरंग पूनिया ने कहा, ''यह सही निर्णय लिया गया है। जो हमारी बहन-बेटियों के साथ अत्याचार हो रहा है उसके खिलाफ संबंधित लोगों को पूरी तरह से हटाया जाना चाहिए। हमारे ऊपर कई इल्जाम लगाए गए। राजनीति की गई। जब हम पदक जीतते हैं तो देश के होते हैं। हम खिलाड़ी कभी भी जात-पात नहीं देखते। एक साथ एक थाली में खाते हैं। हम अपने तिरंगे के लिए खून-पसीना बहाते हैं।वहीं इस पर ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक ने कहा है कि यह उनका (बृजभूषण सिंह) राजनीतिक एजेंडा है, उस पर उन्हें कुछ नहीं कहना है।साक्षी ने कहा कि उनकी 'लड़ाई सरकार से नहीं बल्कि एक व्यक्ति से है.'। कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा, "ये अच्छी ख़बर है. हम चाहेंगे कि इस पद पर कोई महिला आनी चाहिए ताकि ये संदेश जाए कि महिलाएं आगे बढ़ें. जो भी हो कोई अच्छा आदमी आना चाहिए."।

पिछले एक साल से चले आ रहे कुश्ती संघ  के विवाद ने कुश्ती का बहुत नुकसान पहुंचाया  है। कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह  पर महिला   पहलवानों के आरोप  लगने के बाद से ही सरकार को उन्हें हटा देना चाहिए था, किंतु  ऐसा नही हुआ। इसका परिणाम यह है कि आज अभिभावक खेल में अपनी बेटी का भेजते कई बार सोचेंगे।वे पहले ही अपनी बेटी की सुरक्षा और सम्मान को लेकर चिंतित रहते हैं,  इस प्रकरण  ने उनकी चिंता और बढ़ायी है। अब वे बेटी को खेल  विशेषकर कुश्ती में भेजते कई बार सोंचेंगे।सरकार ने नए  चुनाव का भले ही रद्द कर दिया  हो किंतु लंबे समय से कुश्ती संघ में दबदबा कायम रखे बृजभूषण सिंह  और उनके नजदीकी चुप नही बैठने  वालें नही हैं।वे सरकार के इस निर्णय  के विरूद्ध  कोर्ट  जांएगे।इनका प्रयास होगा कि कुश्ती संघ उनके हाथ से न जा पाए।

सरकार  ने नए चुनाव को रद्द करके यह संदेश देने का प्रयास किया है कि निश्चित रूप से कुश्ती संघ को नियमों का पालन करना होगा और किसी तरह की कोई कोताही बरतने से परहेज़ रखना होगा।खेल संघ से राजनैतिक लोगों को दूर रखने के  लिए सरकार को  काम करना  चाहिए।खिलाड़ी भी  यदि राजनीति में आ जाए तो उसे भी खेल संघ से बाहर ही रखा जाना चाहिए। सुपरिम कार्ट भी खेल संघों में राजनैतिक दख्ल को लेकर चिंता  जता चुका है। किंतु हुआ कुछ नही।खेल संघे में खिलाडी होने  चाहिए।वे खेल और खिलाड़ी को  ज्यादा समझते हैं।  राजनेता नहीं।मंत्रालय को बेपटरी हुए कुश्ती संघ को पटरी पर लाने उसमें खिलाडियों और पहलवानों का विश्वास जमाने को  बहुत कुछ करना होगा। संघ में खिलाड़ी लाने होंगे। अच्छा रहे कि कुश्ती सघ की गरिमा बचाने  और बेटी की सुरक्षा की चिंता करते परिवारजनों को आश्वास्त करने के लिए  कुश्ती संघ का अध्यक्ष किसी महिला खिलाड़ी को बनाए।

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

 

Monday, December 18, 2023

केरल के राज्यपाल पर हमला ?







अशोक मधुप


वरिष्ठ  पत्रकार


केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आरोप लगाया है कि बीते सोमवार को मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उन्हें शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने की साजिश रची।आरोप है कि एयरपोर्ट जाते समय सत्तारूढ़ सीपीएम की छात्र शाखा, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के कुछ सदस्यों ने  राज्यपाल के वाहन को टक्कर   मारी। कार के शीशे  पर प्रहार किए।यह घटना सोमवार को तब हुई जब राज्यपाल नई दिल्ली जाने के लिए तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जा रहे थे। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उन पर काले झंडे लहराए और तीन स्थानों पर उनकी कार को रोकने की कोशिश की।एक जगह   गवर्नर  कार से बाहर निकले तो  प्रदर्शनकारी भाग लिए। गवर्नर खान ने दिल्ली में मीडिया से कहा कि मुख्यमंत्री विजयन की संलिप्तता के बूते उन्हें शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए एक ठोस प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह घटना कोई हादसा नहीं थी, बल्कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाने के लिए  जानबूझकर ऐसा किया गया। खान ने कहा, " मैं तीन बार प्रदर्शनकारियों के बीच आया और ध्यान देने वाली बात यह है कि इन प्रदर्शनकारियों को पुलिस जीपों में लाया गया था और घटना के बाद उन्हें इन जीपों में वापस ले जाया गया।उन्होंने कहा, ''सरकार मुझे डराने के लिए ऐसा कर रही है, लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। राज्‍यपाल  का यह आरोप बहुत गंभीर है,क्योंकि राज्‍य के मुख्‍यमंत्री पर साजि‍श रचने का आरोप है, इसलिए केंद्र  सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहि‍ए। उन्हें राज्यपाल के आरोप की किसी केंद्रीय  एजेंसी से या केंद्रीय आयोग से जांच करानी चाहिए। साथ ही राज्यपाल को अपने  स्तर से अतिरिक्त सुरक्षा देनी होगी ताकि आगे से  ऐसा न हो।


राज्यपाल और मुख्यमंत्री और राज्य सरकारों के बीच  विवाद नया नही हैं।मुख्यमंत्री  और  सरकार  चाहतीं है कि वे राज्य को अपनी मर्जी  से  चलाएं। जो चाहें करें।राज्यपाल संविधान  के अनुरूप कार्य करने को कहते हैं। अपने  पद के मद मुख्यमंत्री ये बर्दाश्त  करने को तैयार नही होते की कोई उनके काम में अडंगा लगाए। यही टकराव का  बड़ा  कारण  है। यदि मुख्यमंत्री ये समझ लें।  अपनी सीमा  जानलें तो कोई  विरोध न हो।  हालाकि कई  जगह राज्यपाल भी मनमानी पर उतरें हैं।  वह विधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव स्वीकृति की प्रतीक्षा में कई− कई  माह से  रोके हैं।  इस पर सर्वोच्च  न्यायालय भी   कई बार नाराजगी जता चुका है। 


केरल सरकार  द्वारा  कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति   की गई।  जब की इस नियुक्ति का अधिकार  राज्यपाल का  है।  सुप्रीम कोर्ट ने 30 नवम्बर 2023 मुख्यमंत्री द्वारा की   कन्नूर विश्व विद्यालय के राज्यपाल की नियुक्ति को   अनाचार तथा अवैध दख्ल  का दोषी करार दिया । कार्ट ने निर्णय में यहां तक  कहा गया कि मुख्यमंत्री ने कानून का  मजाक  उड़ाया है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा समेत तीन जजों की  खण्डपीठ ने कुलपति गोपीनाथ रवींद्रन की नियुक्ति को अवैध बताया तथा निरस्त कर दिया।निर्णय में कहा गया कि  निर्देशानुसार  राज्यपाल ही विश्वविद्यालय का कुलाधिपति होता है। यहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी कि राज्य शिक्षा मंत्री  आर बिन्दु का परामर्श कुलाधिपति पर अनिवार्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में केरल राजभवन की वह विज्ञाप्ति का भी उल्लेख किया जिसमें राज्यपाल ने लिखा था : ''श्री रवींद्रन की नियुक्ति का निर्णय स्वयं मुख्यमंत्री तथा उनकी उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती आर बिन्दु ने किया था।'' राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा भी था कि पिनराई विजयन राजभवन आये थे और कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति का अनुरोध किया था। बिन्दु भी दो बार लिखकर आग्रह कर चुकी हैं। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में ''राज्य के अनुचित हस्तक्षेप'' के आधार पर डा. गोपीनाथ रवींद्रन को वीसी के  रूप में फिर से नियुक्त करने वाली 23 नवम्बर, 2021 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था।  अदालत ने कन्नूर विश्ववि‌द्यालय की स्वायत्तता पर जोर देते हुए कहा कि कन्नूर विश्ववि‌द्यालय अधिनियम 1996 और यूजीसी क़ानून संस्थान को राज्य सरकार के हस्तक्षेप से बचाने के लिए बनाए गए थे। इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि चांसलर,  विश्वविद्यालय में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है और वह  स्वतंत्र रूप से कार्य करता है। वह  अपनी विवेकाधीन शक्तियों के प्रयोग में राज्य सरकार की सलाह से बाध्य नहीं है।


सर्वोच्च  न्यायालय के इस आदेश के बाद राज्यपाल ने  प्रदेश सरकार  द्वारा अन्य विश्वविद्यालयों में नियुक्त कुलपति की नियुक्ति भी निरस्त कर दी। इतना ही नहीं केरल उच्च न्यायालय ने भी  केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशियन स्टडीज के कुलपति के रूप में डॉ रिजी जॉन की नियुक्ति को रद्द कर दिया। अदालत ने नियुक्ति को अवैध करार देते हुए कहा कि इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया गया। यूजीसी शिक्षा मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जो देश भर में उच्च शिक्षा संस्थानों के कामकाज की देखरेख करता है।


लगता  है कि केरल के मुख्मंत्री और  सत्ताधारी वामपंथी  दल इस सब से नाराज है। विश्वविद्यालयों में  उनके सदस्य  कुलपति नहीं बन पा रहे,इससे  वे गुस्से में हैं। वे  इसके लिए राज्यपाल आरिफ मुहम्मद खां  को जिम्मेदार मानते हैं।उनका आरोप  है कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों का भगवाकरण  कर रहे हैं। इसीका वह विरोध कर रहे है। राज्यपाल को काले झंडे दिखा रहे हैं।


केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के काफिले पर राजधानी तिरुवनंतपुरम में कम्युनिस्ट छात्र संगठन ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ के हमले के बारे में हमले  से पहले राज्य खुफिया विभाग राज्यपाल ने तीन चेतावनियाँ जारी की थीं।ये चेतावनियाँ 24 घंटे के अंतराल में जारी की गई थी। इसमें काले झंडे वाले प्रदर्शन और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के खिलाफ संभावित हमले की चेतावनी दी गई। यही नहीं, सोमवार 11 दिसंबर, 2023 दोपहर को जारी आखिरी रिपोर्ट में विरोध प्रदर्शन के संभावित जगहों का भी जिक्र किया गया। स्टेट इंटेलिजेंस ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया गया था कि राज्यपाल को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए, लेकिन पुलिस के आला अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।इसके अलावा, खुफिया विभाग को पता चला कि राज्यपाल का ट्रैवल रूट शहर के पुलिस आयुक्त को गुप्त रखने के निर्देश दिए गए थे। खुफिया विभाग का दावा है कि पुलिस एसोसिएशन के लीडर ने इसे सोमवार सुबह एसएफआई (SFI)को लीक कर दिया  । पहली खुफिया रिपोर्ट में सोमवार को सिफारिश की गई कि राज्यपाल के लिए हवाई अड्डे तक जाने के लिए नियमित रास्ते के इतर एक और रास्ता भी तय किया जाना चाहिए। रविवार शाम को सिटी पुलिस कमिश्नर ने इसे गुप्त रखने के लिए ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारियों को वायरलेस संदेश भेजा था।सोमवार सुबह दूसरी इंटेलिजेंस रिपोर्ट में विरोध तेज होने की तरफ भी इशारा किया गया था। दोपहर में दी गई तीसरी रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ने यह भी बताया था कि पलायम अंडरपास और पेट्टा सहित तीन जगहों पर विरोध प्रदर्शन की संभावना हैं। इसके साथ ही यह सुझाव दिया गया कि राज्यपाल की सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाना चाहिए। खुफिया विभाग का कहना है कि पुलिस अधिकारियों ने रिपोर्ट के मुताबिक न कोई सावधानी बरती और न ही अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए।


इस प्रकरण में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की कार पर एसएफआई के कार्यकर्ताओं के कथित हमले को लेकर मंगलवार को राज्य की एलडीएफ नीत सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट शासन में पुलिस सत्तारूढ़ दल की ज्यादतियों में सहभागी बनी हुई है।केरल के तिरुवनंतपुरम से सांसद ने कहा, ‘‘कम्युनिस्ट शासन के तहत पुलिस अराजकता की एजेंट रही है, सत्तारूढ़ पार्टी की सबसे भीषण ज्यादतियों में शामिल रही है। उन्होंने राज्यपाल पर हमले की अनुमति दी, जबकि मुख्यमंत्री के खिलाफ शांतिपूर्ण छात्र प्रदर्शनकारियों के साथ दुर्व्यवहार की अनुमति दी। शर्मनाक।’’केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि केरल में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।


उधर गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान ने सार्वजनिक तौर से ऐलान किया कि राज्य में कानून-व्यवस्था के हालात खराब हो गए हैं। राज्यपाल  आरिफ मुहम्मद खान ने कहा,“वे नाराज हैं क्योंकि मुख्य सचिव द्वारा केरल उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में वित्तीय स्थिति के बारे में बताए जाने के बाद, मैंने इस पर एक रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री को यह कहते हुए सुना गया कि सरकार को राज्यपाल द्वारा पूछे गए सभी सवालों का जवाब देने की जरूरत नहीं है। किसी सीएम ने कभी ऐसी बात नहीं कही। खान का कहना  है कि ,“केरल में, संवैधानिक मशीनरी का पतन शुरू हो गया है।


गवर्नर के विरूद्ध  प्रदर्शन ,गवर्नर के विरूद्ध प्रदर्शन हमलावरों का उनकी कार तक पंहुचना ,गवर्नर की  कार रोकना  और कार के शीशे पीटना गंभीरतम मामला है।गवर्नर यह भी कहते हैं कि हमलावर पुलिस की गाड़ियों  से आए  उनकी कार को रोका। उनके कार से उतरने  पर पुलिस के वाहनों से भाग  गए। यह भी  सूचनाएं  हैं कि राज्यपाल के रूट की जानकारी एक पुलिस एसोसिएशन के पदाधिकारी से प्रदर्शनकारियों का पहुंची ।  वैकल्पिक मार्ग से जाने  की सलाह पर भी ध्यान नही दिया गया ।केंद्र को चाहिए कि पूरे मामले का गंभीरता से ले। गवर्नर आरिफ मुहम्मद खान की सुरक्षा  सुनिश्चित करे।  इस पूरे प्रकरण की केंद्रीय न्यायिक आयोग  से जांच कराए।आयोग से  एक माह में रिपोर्ट  से और आयोग द्वारा दिए सुझाव पर  कार्र्वाई  सुनिश्चित करे।  राज्यपाल की सुरक्षा की चूक के जिम्मेदार पर भी कठोर  कार्रवाई  हो।   


अशोक मधुप


(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार  हैं)

Saturday, December 9, 2023

 कैद में भी  सुरक्षित नहीं कैदी


अशोक मधुप


कैसे हो  कैदियों की सुरक्षा।आज न कैदी जेल में  सुरक्षित है, न न्यायालय में ,न ही पुलिस कस्टेडी 


में।हर कैदी को जीवन के जीने का अधिकार है।  शासन की जिम्मेदारी है कि उसे पूरी   सुरक्षा दें। 


वह पुलिस हिरासत में हो या जेल मे पूरी तरह सुरक्षित रहे। सुरक्षित महसूस करे,किंतु आज इसके 


विपरित नजारा  है। और जेल की तो बात क्या देश की सबसे सुरक्षित धनबाद की झारखंड और 


दिल्ली की तिहाड़ जेल में  कैदी कत्ल  हो  रहे हैं।पुलिस कस्टेडी में कैदियों की सरेआम हत्या हो 


रही है। न्यायालय परिसर में ही नही, न्यायधीश के कक्ष तक में कैदी  कत्ल हो जाते हैं।सवाल यह 


है कि इन कैदियों की सुरक्षा  कैसे हो।इनकी  हत्याओं पर कैसे रोक लगेॽ



यूपी के अंबेडकर नगर के कुख्यात शूटर अमन सिंह की धनबाद जेल में हत्या हो गई है। रविवार दस दिसंबर को दोपहर तीन बजे अमन सिंह को नौ गोली मारी गई। अमन सिंह धनबाद के पूर्व डिप्‍टी मेयर की हत्‍या के मामले में वहां जेल में बंद था। कुख्‍यात बदमाश मुन्‍ना बजरंगी के लिए भाड़े पर हत्‍या करने वाला शूटर अमन सिंह यूपी का राजे सुल्‍तानपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर कादीपुर गांव का रहने वाला था। अमन के करीबी आशीष रंजन और छोटू ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ली है। अमन सिंह पर कुल नौ गोली दागी गईं। इसमें से छह गोली लगी है। तीन गोली निशाने पर नहीं लगी थी। इससे इसकी संभावना बढ़ गई है कि एक से अधिक ने मिलकर गोली मारी है। लापरवाही बरतने वाले जेलर मो. मुस्तकीम अंसारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित एवं स्थानांतरित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया गया है। अमन की  हत्या में प्रयुक्त पिस्टल पुलिस ने धनबाद जेल से बरामद कर ली है। जेल से दो पिस्टल बरामद हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जेल में इतनी तगड़ी व्‍यवस्‍था होने के बावजूद जेल में हथियार पहुंचा कैसा?घटना के बाद तलीशी में जेल से आठ की  हजार नगदी समेत आधा दर्जन मोबाइल  बरामद  हुए जबकि दो दिन पहले जेल की तलाशी में  सुब कुछ ठीक−ठाक  मिला था। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने धनबाद जेल में बंद कुख्यात अपराधी अमन सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।चीफ जस्टिस की अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा हैअदालत ने राज्य सरकार से घटना को लेकर पूछा कि जेल में हथियार कैसे पहुंच गए। जेल की सुरक्षा में चूक का कारण क्या है।


दिल्ली की राजधानी की अति सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़  जेल में भी  कैदी सुरक्षित नही हैं। इस जेल में गैंगवार में अप्रेल− मई 2023 के   18 दिन में दो कैदी कत्ल कर दिये गए।  सीसीटीवी कैमरों से लैस हाई सिक्योरिटी सेल में घुसकर चार बदमाशों ने दिल्ली-एनसीआर के कुख्यात गैंगस्टर सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की बेरहमी से हत्या कर दी। जितेंद्र मान उर्फ गोगी गैंग से जुड़े बदमाशों ने हाई सिक्योरिटी सेल की पहली मंजिल की ग्रिल काटी। इसके बाद बेडशीट के सहारे नीचे उतरकर आरोपियों ने टिल्लू के कमरे में ग्रिल के सरिये से बनाए गए सुए से धावा बोल दिया। हाथ में सुए लिए सभी बदमाशों ने टिल्लू पर एक के बाद एक 90 से अधिक वार किए। जब तक जेल प्रशासन को पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी।हमले के दौरान टिल्लू को बचाने आया रोहित नाम का कैदी भी जख्मी हो गया। जेल प्रशासन टिल्लू और रोहित दोनों को नजदीकी डीडीयू अस्पताल ले गया, जहां टिल्लू को मृत घोषित कर दिया गया। टिल्लू की दिन-दहाड़े हुई हत्या के बाद तिहाड़ जेल की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। विदेश में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट कर हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है।उसने अपने पोस्ट में लिखा है कि  उन्होंने टिल्लू की हत्या कर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या का बदला ले लिया है 14 अप्रैल 2023  को जेल नंबर तीन में प्रिंस नामक कैदी की बॉबी, अता-उर-रहमान और विनय नामक कैदियों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह हत्या भी गैंगवार का नतीजा बताई गई थी।उस समय भी तिहाड़ की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे।हत्या, हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर गोगी गैंग के चार बदमाश दीपक उर्फ तितर (31), योगेश उर्फ टुंडा (30), राजेश (42) और रियाज खान (39) को औपचारिक रूप से इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है।सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया (33) वर्ष हत्या, हत्या के प्रयास, मकोका, पुलिस टीम पर हमला और बलवा करने के करीब 11 मामलों में 2016 से जेल में बंद था। वह तिहाड़ जेल नंबर-8 के हाई सिक्योरिटी सेल में ग्राउंड फ्लोर पर था। जेल प्रशासन पुलिस को बताया कि मंगलवार सुबह उसकी सेल खोलने की तैयारी चल रही थी। इस बीच करीब 6.10 बजे पहली मंजिल पर बंद चारों कैदी दीपक उर्फ तितर, योगेश उर्फ टुंडा, राजेश और रियाज खान ने उस पर हमला बोल दिया। सेल में ही मौजूद कैदी रोहित ने टिल्लू को बचाने का प्रयास किया तो आरोपियों ने उस पर भी हमला किया। आरोपियों का इरादा भांपकर रोहित को जान बचाकर वहां से भाग गया।


ये जेल ये  हालात हैं।ऐसी ही स्थिति कमोबेश न्यायालय परिसर की है। 24 सितंबर 2021 को दिल्ली के  रोहिणी कोर्ट रूम में टिल्लू गैंग के शूटरों ने जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या कर दी थी।जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान टिल्लू गैंग के दो शूटरों को मार गिराया था।  16 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का न्यायालय  परिसर के गेट पर बदमाशों ने हरियाणा से पुलिस कस्टडी में आये  लखन नामक  कैदी की अंधाधुंध फायर कर हत्याकर दी थी।इससे पहले भी इसी न्यायालय परिसर में राका नाम के एक बदमाश की कचहरी में हत्या की गई थी।19 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक दोहरे हत्याकांड के आरोपी शहनवाज अंसारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या उस समय की गई जब   आरोपी को बिजनौर जिला कोर्ट में सीजेएम के सामने पेश किया गया था। गोली लगने से शहनवाज अंसारी की मौके पर ही मौत हो गई।  आज तो हालत यह है कि पुलिस अभिरक्षा में आते −जाते कैदी भी सुरक्षित नहीं। 13 अप्रेल 2023  में प्रयागराज में मेडिकल के भारी पुलिस अभिरक्षा में अस्पताल लाते माफिया अतीक और उसके भाई  अशरफ की हत्या की गई।20 दिसंबर 2021 को राजस्थान के जोधपुर  पेशी से लौट रहे एक आरोपी सुरेश सिंह को   पुलिस कस्टडी में ही बदमाशों ने गोलियों से भून दिया।


तिहाड़ जेल में आरोपियों ने उस ब्लैक स्पाट  को चुना जहां सीसीटीवी कैमरे नही हैं।दरअस्ल अपराधी बहुत चतुर हैं।उन्हें पता है कि कहां कैमरे लगे हैं,कहां नहीं।यक्ष प्रश्न यह भी है कि कैमरे लगी तिहाड़ जेल में कैदी सरिए को घिस पर सुंआ बनाते रहे और जेल प्रशासन को पता ही नही चला।


कैदियों के साथ जेल में पहले बहुत  मारपीट और अमानवीय व्यवहार होता था।उनके मानवाधिकार को देखते  हुए जेल में कैमरे लगाये गए।कैमरे लगने के बाद क्यों ऐसी घटनांट होती हैं, ये जेल स्टाफ  और जले प्रशासन की लापरवाही साबित करने के लिए काफी है।


इन सब घटनाओं को देखते  हुए आज जरूरत है कि जेल,पुलिस अभिरक्षा  और न्यायालय परिसर में कैदियों की सुरक्षा पर फिर से मंथन हो।विशेषज्ञ  बैठें और मंथन करें कि कैसे कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएं। जेल में गैंगवार रोकने के लिए यह भी सुनिश्चित किया जाए कि एक जेल में दो प्रति स्पर्धी गैंग रहें। जेल आते −जाते कैदियों के सुरक्षा घेरे में कोई बाहरी व्यक्ति  प्रवेश न करें।कैदियों के मीडिया के बात करने पर सख्ती से रोक हो।न्यायालय  परिसर में  भी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यह ध्यान रहे कि कस्टेडी में कैदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी,पुलिस, प्रशासन,न्यायपालिका के साथ  सरकार की भी है। गिरफ्त में आने के बाद बड़े से बड़ा  चौकस कैदी भी सुरक्षा के लिए प्रशासन पर निर्भर हो  जाता  है,ऐसे सुरक्षा में लापरवाही उसके कत्ल कराने के लिए जिम्मेदार होती है।


अशोक मधुप


( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

















Friday, December 8, 2023

कार सेवा के लिए वह जनून अदभुत, अकल्पनीय था


कार सेवा के लिए वह जनून अदभुत, अकल्पनीय था अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार। भाजपा और विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए कार सेवा करने का आह्वान किया। तारीख 30 अक्तूबर 1990 निर्धारित की गई।मुलायम सिंह ने कहना शुरू कर दिया कि कार सेवा की बात क्या कोई अयोध्या की बाबरी मश्जिद की और मुंह करने देख भी नही सकेगा।अयोध्या में परिंदा भी पर नही मार सकेगा। उसके ये भाषण हिंदू समाज के लिए चेतावनी थे। सनातन धर्म को खुला चैंलेंज था।ऐसे में हिंदुओं में अपनी ताकत, क्षमता, शौर्य और साहस दिखाने की ललक प्रज्जवित हो गई।सिर पर भगवा लपेट कर राम पर सर्वस्व लुटाने के लिए धर्मरक्षक घरों से अयोध्या के लिए निकल पड़े। किसी ने ये नही सोचा की क्या होगा।कोई लाठी−डंडा , तलवार भाला, बंदूक कुछ नही।सिर्फ आत्मशक्ति के बूते एक जोड़ी कपड़े ,हलका −फुल्का रास्ते में खाने− पीने का सामान लेकर दीवानों की टोलियां पूर देश से अयोध्या के लिए निकल पड़ीं। दरअस्ल हम भारतीय सब कुछ बर्दांश्त कर सकतें हैं। धर्म और सम्मान का अपमान नही। देश लगभग 700 साल मुस्लिम और दो सौ साल अंग्रेजों का गुलाम रहा।इस दौरान कोई बगावत नही हुई। कोई विद्रोह नही हुआ। मेरी राय में इन नौ सौ साल मे सिर्फ दो बार विद्रोह हुआ।पहला 1857 में दूसरा1990 में । दोनों बार तक विद्रोह हुआ, जब 1857 मेंसत्ता पर बैठे मदांध अंग्रेज और 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिहं ने हिदू धर्म को ललकारा। उसे चेतावनी दी। अंग्रेजों की गुलामी से देशवासी परेशान थे। उनकी और पिट्ठुओं की ज्यादति बर्दाश्त से बाहर हों रहीं थीं। ऐसे में अंग्रेजों द्वारा सेना के प्रयोग के लिए लाये गए गाय और सुअर की चर्बी के कारतूसों ने विद्रोह की ज्वाला में पूरी आहूति ही दे दी।इन कारतूस को बंदूक में भरने से पहले सैनिक को कारतूस का मुंह अपने मुंह से खोलना पड़ता था।गाय को हिंदू पवित्र मानता है।मुसलमान सुअर को अपवित्र मानता है । काररतूस में गाय और सुअर की चर्बी लगी होने की सूचना ने बड़ी चिंगरी का काम किया। इसका पता लगते ही अंग्रेजों से नाराज हिंदू और मुस्लिम जवान विद्रोह पर उतर आए।पूरे देश की सैनिक छावनी धधक उठीं। अंग्रेजों का कत्ले आम शुरू हो गया।1990 में मुलायम सिंह ने अयोध्या में कार सेवा की सूचना पर जब कहा कि अयोध्या में परीदां भी पर नही मारेगा। बाबरी मश्जिद की ओर कोई नजर उठाकर भी नही देख सकेगा, तो हिंदू समाज ने इसे अपना अपमान माना। 30 अक्तूबर को कार सेवा शुरू होनी थी । उससे पहले भाजपा और विश्व हिंदू परिषद ने कार्यकर्ताओं को आदेश दिए कि 24 अक्तूबर का अपने घर से पूजन −अर्चन कर अयोध्या के लिए प्रस्थान करें। 30 अक्तूबर को कार सेवा शुरू होनी थी किंतु उससे पहले ही मुलायम सिंह ने प्रदेश की सीमा सील करा दीं। प्रदेश की सीमाओं पर बड़ी तादाद में सशस्त्र फोर्स लगा दी ।दूसरे प्रदेशों के कार सेवकों को यहां रोक कर वापिस भेजा जाने लगा। ।प्रदेश के जनपदों की सीमांए सील कर दी गईं तो कि दूसरे जिले के कार सेवक उस जनपद में प्रवेश न कर सकें।प्रदेश की सीमा के आने वाली ट्रेनों की तलाशी शुरू हो गई। परिणाम यह हुआ कि प्रदेश की सीमाओं पर कारसेवकों को रोका जाने लगा।उन्हें वापस जाने का आदेश दिया जाने लगा। कारसेवकों की ये टोली जहां रोकी जातीं, वही कुछ पीछे हटतीं।यहां तैनात वालिंटियर इन्हें आगे जाने के रास्ते बता देते।ये कहीं रेलवे की पटरी के किनारे –किनारे चले तो कहीं खेतों के किनारे की पगडंडियों से। रास्ते में नदी आई तो गांव वालों ने बताया कि कहां कम पानी है। कहां से निकला जाना है। रास्ते में जगह जगह− गांवों में इनके खाने की व्यवस्था भी थी। खाना शुद्ध सात्विक देसी घी से बना। सनातन समाज इन धर्मरक्षकों के स्वागत और सुरक्षा के लिए पलक पांवडे विछाए था। कार सेवकों का देवदूत और धर्मरक्षक की तरह स्वागत किया जाता । उनको कही गांव के स्कूल में टिकाया गया, तो कहीं अपने घर में । सबका मेहमानों से बड़ा स्वागत किया गया। बिजनौर में गंगा बैराज पर सहारनपुर, पंजाब और हरियाणा से आने वाले कार सेवकों को रोका गया। उधर हरिद्वार पर बिजनौर का बार्डर सील कर दिया गया। ये कार सेवक रोके जाने पर रूकते कुछ पीछे दांए− बाएं हटकर गांव के रास्तों से तो कुछ गंगा पार कर आगे के लिए चल दिए। गिरफ्तार किये गए कारसेवकों के लिए जेल में जगह कम पड़ गई तो स्कूल काँलेज में स्थायी जेल बनाई गई। यहां से ये कार सेवक मौका पाकर आगे के लिए रवाना होने लगे। स्थानीय कार्यकर्ता इन्हें आगे का रास्ता और योजना बताने लगे। अयोध्या से दो सौ किलो मीटर की दूरी से तो सुरक्षा और सख्त होने लगी। बिजनौर के कार सेवकों को लखनऊ में ट्रेन से उतर दिया गया। ये यहां से लगभग 150−160 किलोमीटर की यात्रा करके पैदल ही अयोध्या पंहुचे।एलआईयू इस तलाश में थी कि बिजनौर के कार सेवकों का रवानगी का पता चले किंतु ये 24 अक्तूबर को अपने घरों पर पूजन कर चुपके से रवाना हुए।रवाना होने से पूर्व परिवार वालों ने तिलक कर इन्हें विदाई दी। कामना की कि ये जिस कार्य के लिए जा रहे है, उसे पूरा करके लौंटे। पुलिस और एलआईयू को झांसा देकर ये कार सेवक जनपद के एक छोटे से स्टेशन चंदक से ट्रेन में बैठे। बिजनौर के कार सेवकों को लखनऊ में ट्रेन से उतार लिया गया। ये किसी तरह से पुलिस को चकमाकर आगे चल दिए। रास्ते पर जगह −जगह मार्गदर्शक इन्हें मिलते रहे । बताते रहे । कहां जाना है। कैसे जाना है। कहां रूकना है। ये धीरे− धीरे अयोध्या की ओर बढ़ते रहे। बिजनौर के एक कार सेवक स्वर्गीय मयंक मयूर बताते थे कि एक जगह पीएसी ने उन्हें गिरफ्तार कर दिया गया। उनके साथ एक साधु भी था। साधु ने इनसे धीरे से कहा − वह कुछ करेगा। भागने के लिए तैयार रहो। साधु ने अपनी भगवा धोती हटाकर अपने कमंडल में पेशाब किया। पीएसी वाले नही समय पाए कि वह क्या कर रहा है । फिर साधु ने अपनी चुल्लू में पेशाब लेकर चारों ओर फेंकना शुरू कर दिया। पेशाब के छींटों से बचने के लिए पीएसी वाले पीछे हटे।उनका घेरा ढीला हुआ और उनकी हिरासत में बैठे सारे कार सेवक भाग लिए। साधु भी उनके साथ चल दिया। वैसे भी पीएसी वाले उस साधु के पास आते अब बच रहे थे। वह बताते थे कि अयोध्या में कर्फ्यू लगा था। वे अयोध्या से सटे गांव में एक किसान की पशुशाला में पूरी रात छिपे रहे। पुलिस की रात भर गश्त और घरों की तलाशी जारी थी। उनका जत्था बहुत सवेरे अयोध्या के लिए निकल लिया।भारी सुरक्षा और पुलिस और अयोध्या में कर्यूार होने के बाद भी सवेरे अचानक लाखों कार सेवक जब अयोध्या में चारों ओर से उमडे तो पुलिस और प्रशासन हक्का −बक्का रह गया। उन्हें कार सेवको के आने की सूचना नही थी। उम्मीद थी तो ये कि ज्यादा से ज्यादा 50 − 100 ही कार सेवक आ सकेंगे। कारसेवा के आयोजक चाहते थे कि कार सेवा प्रतीकात्मक हो, किंतु ये तो धर्म पर जान फिदा करने निकल थे। पहले लाठी चार्ज हुआ।फिर अश्रुगैस छोड़्री गई।उसके बाद भी जब कार सेवक गुंबद पर पहुंच गए तो गोली चली।मयंक मंयूर इस कार सेवा का जिक्र करते रोमांचित हो जाते थे। उनमें जोश उमड़ आता था।गोलाकांड के समय भीड के बारे में खुद मुलायम सिंह ने स्वीकार किया था 11 लाख की भीड़ लाकर खड़ी कर दी गई थी। अशोक मधुप ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

कैद में भी सुरक्षित नहीं कैदी

कैद में भी सुरक्षित नहीं कैदी अशोक मधुप कैसे हो कैदियों की सुरक्षा।आज न कैदी जेल में सुरक्षित है, न न्यायालय में ,न ही पुलिस कस्टेडी में।हर कैदी को जीवन के जीने का अधिकार है। शासन की जिम्मेदारी है कि उसे पूरी सुरक्षा दें। वह पुलिस हिरासत में हो या जेल मे पूरी तरह सुरक्षित रहे। सुरक्षित महसूस करे,किंतु आज इसके विपरित नजारा है। और जेल की तो बात क्या देश की सबसे सुरक्षित धनबाद की झारखंड और दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैदी कत्ल हो रहे हैं।पुलिस कस्टेडी में कैदियों की सरेआम हत्या हो रही है। न्यायालय परिसर में ही नही, न्यायधीश के कक्ष तक में कैदी कत्ल हो जाते हैं।सवाल यह है कि इन कैदियों की सुरक्षा कैसे हो।इनकी हत्याओं पर कैसे रोक लगेॽ यूपी के अंबेडकर नगर के कुख्यात शूटर अमन सिंह की धनबाद जेल में हत्या हो गई है। रविवार दस दिसंबर को दोपहर तीन बजे अमन सिंह को नौ गोली मारी गई। अमन सिंह धनबाद के पूर्व डिप्‍टी मेयर की हत्‍या के मामले में वहां जेल में बंद था। कुख्‍यात बदमाश मुन्‍ना बजरंगी के लिए भाड़े पर हत्‍या करने वाला शूटर अमन सिंह यूपी का राजे सुल्‍तानपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर कादीपुर गांव का रहने वाला था। अमन के करीबी आशीष रंजन और छोटू ने उसकी हत्या की जिम्मेदारी ली है। अमन सिंह पर कुल नौ गोली दागी गईं। इसमें से छह गोली लगी है। तीन गोली निशाने पर नहीं लगी थी। इससे इसकी संभावना बढ़ गई है कि एक से अधिक ने मिलकर गोली मारी है। लापरवाही बरतने वाले जेलर मो. मुस्तकीम अंसारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित एवं स्थानांतरित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाने का निर्देश दिया गया है। अमन की हत्या में प्रयुक्त पिस्टल पुलिस ने धनबाद जेल से बरामद कर ली है। जेल से दो पिस्टल बरामद हुई है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जेल में इतनी तगड़ी व्‍यवस्‍था होने के बावजूद जेल में हथियार पहुंचा कैसा?घटना के बाद तलीशी में जेल से आठ की हजार नगदी समेत आधा दर्जन मोबाइल बरामद हुए जबकि दो दिन पहले जेल की तलाशी में सुब कुछ ठीक−ठाक मिला था। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा और जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने धनबाद जेल में बंद कुख्यात अपराधी अमन सिंह की गोली मारकर हत्या करने के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है।चीफ जस्टिस की अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा हैअदालत ने राज्य सरकार से घटना को लेकर पूछा कि जेल में हथियार कैसे पहुंच गए। जेल की सुरक्षा में चूक का कारण क्या है। दिल्ली की राजधानी की अति सुरक्षित मानी जाने वाली तिहाड़ जेल में भी कैदी सुरक्षित नही हैं। इस जेल में गैंगवार में अप्रेल− मई 2023 के 18 दिन में दो कैदी कत्ल कर दिये गए। सीसीटीवी कैमरों से लैस हाई सिक्योरिटी सेल में घुसकर चार बदमाशों ने दिल्ली-एनसीआर के कुख्यात गैंगस्टर सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया की बेरहमी से हत्या कर दी। जितेंद्र मान उर्फ गोगी गैंग से जुड़े बदमाशों ने हाई सिक्योरिटी सेल की पहली मंजिल की ग्रिल काटी। इसके बाद बेडशीट के सहारे नीचे उतरकर आरोपियों ने टिल्लू के कमरे में ग्रिल के सरिये से बनाए गए सुए से धावा बोल दिया। हाथ में सुए लिए सभी बदमाशों ने टिल्लू पर एक के बाद एक 90 से अधिक वार किए। जब तक जेल प्रशासन को पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी।हमले के दौरान टिल्लू को बचाने आया रोहित नाम का कैदी भी जख्मी हो गया। जेल प्रशासन टिल्लू और रोहित दोनों को नजदीकी डीडीयू अस्पताल ले गया, जहां टिल्लू को मृत घोषित कर दिया गया। टिल्लू की दिन-दहाड़े हुई हत्या के बाद तिहाड़ जेल की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है। विदेश में बैठे गैंगस्टर गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट कर हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है।उसने अपने पोस्ट में लिखा है कि उन्होंने टिल्लू की हत्या कर जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या का बदला ले लिया है 14 अप्रैल 2023 को जेल नंबर तीन में प्रिंस नामक कैदी की बॉबी, अता-उर-रहमान और विनय नामक कैदियों ने बेरहमी से हत्या कर दी थी। यह हत्या भी गैंगवार का नतीजा बताई गई थी।उस समय भी तिहाड़ की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हुए थे।हत्या, हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर गोगी गैंग के चार बदमाश दीपक उर्फ तितर (31), योगेश उर्फ टुंडा (30), राजेश (42) और रियाज खान (39) को औपचारिक रूप से इस मामले में गिरफ्तार कर लिया है।सुनील उर्फ टिल्लू ताजपुरिया (33) वर्ष हत्या, हत्या के प्रयास, मकोका, पुलिस टीम पर हमला और बलवा करने के करीब 11 मामलों में 2016 से जेल में बंद था। वह तिहाड़ जेल नंबर-8 के हाई सिक्योरिटी सेल में ग्राउंड फ्लोर पर था। जेल प्रशासन पुलिस को बताया कि मंगलवार सुबह उसकी सेल खोलने की तैयारी चल रही थी। इस बीच करीब 6.10 बजे पहली मंजिल पर बंद चारों कैदी दीपक उर्फ तितर, योगेश उर्फ टुंडा, राजेश और रियाज खान ने उस पर हमला बोल दिया। सेल में ही मौजूद कैदी रोहित ने टिल्लू को बचाने का प्रयास किया तो आरोपियों ने उस पर भी हमला किया। आरोपियों का इरादा भांपकर रोहित को जान बचाकर वहां से भाग गया। ये जेल ये हालात हैं।ऐसी ही स्थिति कमोबेश न्यायालय परिसर की है। 24 सितंबर 2021 को दिल्ली के रोहिणी कोर्ट रूम में टिल्लू गैंग के शूटरों ने जितेंद्र मान उर्फ गोगी की हत्या कर दी थी।जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान टिल्लू गैंग के दो शूटरों को मार गिराया था। 16 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले का न्यायालय परिसर के गेट पर बदमाशों ने हरियाणा से पुलिस कस्टडी में आये लखन नामक कैदी की अंधाधुंध फायर कर हत्याकर दी थी।इससे पहले भी इसी न्यायालय परिसर में राका नाम के एक बदमाश की कचहरी में हत्या की गई थी।19 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक दोहरे हत्याकांड के आरोपी शहनवाज अंसारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्या उस समय की गई जब आरोपी को बिजनौर जिला कोर्ट में सीजेएम के सामने पेश किया गया था। गोली लगने से शहनवाज अंसारी की मौके पर ही मौत हो गई। आज तो हालत यह है कि पुलिस अभिरक्षा में आते −जाते कैदी भी सुरक्षित नहीं। 13 अप्रेल 2023 में प्रयागराज में मेडिकल के भारी पुलिस अभिरक्षा में अस्पताल लाते माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की हत्या की गई।20 दिसंबर 2021 को राजस्थान के जोधपुर पेशी से लौट रहे एक आरोपी सुरेश सिंह को पुलिस कस्टडी में ही बदमाशों ने गोलियों से भून दिया। तिहाड़ जेल में आरोपियों ने उस ब्लैक स्पाट को चुना जहां सीसीटीवी कैमरे नही हैं।दरअस्ल अपराधी बहुत चतुर हैं।उन्हें पता है कि कहां कैमरे लगे हैं,कहां नहीं।यक्ष प्रश्न यह भी है कि कैमरे लगी तिहाड़ जेल में कैदी सरिए को घिस पर सुंआ बनाते रहे और जेल प्रशासन को पता ही नही चला। कैदियों के साथ जेल में पहले बहुत मारपीट और अमानवीय व्यवहार होता था।उनके मानवाधिकार को देखते हुए जेल में कैमरे लगाये गए।कैमरे लगने के बाद क्यों ऐसी घटनांट होती हैं, ये जेल स्टाफ और जले प्रशासन की लापरवाही साबित करने के लिए काफी है। इन सब घटनाओं को देखते हुए आज जरूरत है कि जेल,पुलिस अभिरक्षा और न्यायालय परिसर में कैदियों की सुरक्षा पर फिर से मंथन हो।विशेषज्ञ बैठें और मंथन करें कि कैसे कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएं। जेल में गैंगवार रोकने के लिए यह भी सुनिश्चित किया जाए कि एक जेल में दो प्रति स्पर्धी गैंग रहें। जेल आते −जाते कैदियों के सुरक्षा घेरे में कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश न करें।कैदियों के मीडिया के बात करने पर सख्ती से रोक हो।न्यायालय परिसर में भी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यह ध्यान रहे कि कस्टेडी में कैदी की सुरक्षा की जिम्मेदारी,पुलिस, प्रशासन,न्यायपालिका के साथ सरकार की भी है। गिरफ्त में आने के बाद बड़े से बड़ा चौकस कैदी भी सुरक्षा के लिए प्रशासन पर निर्भर हो जाता है,ऐसे सुरक्षा में लापरवाही उसके कत्ल कराने के लिए जिम्मेदार होती है। अशोक मधुप ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Monday, December 4, 2023

भाजपा की इस जीत के संकेत समझिए







भाजपा की इस जीत के संकेत समझिए 
अशोक मधुप 
वरिष्ठ पत्रकार 
 पांच राज्य विधान सभा चुनाव में से तीन विधान सभाओं में पूर्ण बहुमत पाकर भाजपा ने अपने विरोधियों के सपनों को चूर− चूर कर दिया। तीन राज्यों में पूर्ण बहुमत मिलने से सिद्ध हो गया कि जनता पर किसका विश्वास है। इन चुनाव ने साबित कर दिया कि मोदी मैजिक कम नही हुआ अपितु बढ़ता ही जा रहा है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मिली इस विजय ने भाजपा में जहां नई ऊर्जा और जोश भर दिया वहीं विपक्ष को कमजोर किया है। अब विपक्षी दलों के गठबधंन इंडिया में वर्चस्व को लेकर नई रार शुरू होगी।एक बात और कांग्रेस के जातिगत जनगणना और वायदों पर जनता ने यकीन नही किया। कांग्रेस की पुरानी पेंशन योजना की गारंटी का भी इस चुनाव में कोई प्रभाव नजर नही आया। ये चुनाव भाजपा की जीत तो है ही इस चुनाव में कांग्रेस की हार भी है। इस चुनाव में यह भी लगा कि अब जनता ने आधा अधूरा समर्थन देना बंद कर दिया। जिसे दिया उसे पूरा बहुमत देकर चुना।पांच साल के लिए चुना। बार –बार चुनाव और कमजोर सरकारों को उसने अब चुनना बंद कर दिया। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार जरूर बनी किंतु भाजपा ने यहां भी अपना प्रभाव बढ़ाया।पिछली बार यहां उसके पास एक सीट थी। इस बार उसके प्रत्याशियों ने आठ सीट पर कब्जा किया। तेलगांना में पिछली बार भाजपा को 6.98 प्रतिशत वोट मिले थे। अबकि बार उसका प्रतिशत बढ़कर 13. 9 हो गया।मिजोरम में भी इस बार भाजपा की एक सीट और बढ़ गई। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत मिलने के बाद अब 11 राज्यों में उसकी अपनी सरकार हो गई।वह हरियाणा महाराष्ट्र मेघालय नागालैंड और सिक्किम में सहयोगियों के बल पर सत्ता में हैं। इस तरह से देश की आधी आबादी पर उसका कब्जा है। कांग्रेस कनार्टक हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना तक ही सीमित होकर रह गई। हिंदी पट्टी में तो एक तरह से भाजपा का पूरा कब्जा हो गया। भाजपा की सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारने की नीति कामयाब रही।वे अधिकतर विजयी रहे। चुनाव में उतारे मंत्रियों और सांसदों की जगह भाजपा लोकसभा चुनाव में अब नए चेहरे उतारेगी। जिनका चुनाव में विरोध नही होगा। मध्यप्रदेश में कांग्रेस 2018 में 114 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। बहुमत से कुछ सीटें कम आने के कारण उसने निर्दलीय, समाजवादी पार्टी और बसपा विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी। हालांकि, पार्टी के भीतर पैदा हुए राजनीतिक संकट ने भाजपा को 15 महीने बाद सत्ता में वापस ला दिया। मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए और कमल नाथ की सरकार सत्ता से बाहर हो गई। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास नहीं किया। कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरी भी उस पर भारी पड़ी। पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने, पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली फ्री, 200 यूनिट बिजली हाफ, किसान कर्ज माफी, पुराने बिजली बिल की माफी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, जाति आधारित गणना सहित अन्य गारंटियां दी थीं। मतदाता इनके प्रभाव में नहीं आए और फिर भाजपा पर ही विश्वास जताया। मध्य प्रदेश में सरकार विराधी कोई लहर दिखाई नहीं दी। यहां भाजपा को 49 प्रतिशत और कांग्रेस का 40 प्रतिशत मत मिले। राजस्थान के रण में कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत की जादूगरी काम नहीं आई। राजस्थान में 1993 के बाद जनता ने किसी दल को दुबारा सत्ता नही सौंपी। ऐसा ही इस बार हुआ। भाजपा राजस्थान में मोदी के नाम पर चुनाव लड़ी।यह उसके लिए फायदेमंद रहा।यदि किसी को मुख्यमंत्री बताकर लड़ती को नुकसान होता। मुख्यमंत्री उम्मीदवार के विरोधी उसे हराने में लग जाते। अब सब एकजुट नजर आए। कांग्रेस की हार का कारण शिकायतों के बाद भी विधायकों के टिकट नही कटना रहा । कांग्रेस ने पुरानों पर भरोसा किया जबकि जनता बदलाव चाहती थी। कांग्रेस को यहां अशोक गहलोत और पाइलेट को छोड़ तीसरा विकल्प चुनना था। अशोक गहलोत मद में थे। वे समझे बैठे थे कि उन्हें कोई नही हरा सकता ।कांग्रेस की 25 लाख रुपये की हेल्थ इश्योरेंस स्कीम भी काम नहीं आई। कांग्रेस की कई और योजनाएं भी जारी थीं। कांग्रेस के आलाकमान ने सचिन पायलट को इस चुनाव में शुरू से ही एक साथ काम करने के मना लिया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी प्रचार में उतरे, मगर कुछ काम नहीं आया। यहां भाजपा को 42 प्रतिशत मत मिले तो कांग्रेस को 40 प्रतिशत। तमिलनाडू में सत्तारूढ वीआरएस को हार का सामना करना पडा। 119 सीट वाली विधान सभा में यहां कांग्रेस 64 सीट लेकर पूरे बहुमत से सत्ता में आई। कांग्रेस यहां सत्ता में आई जरूर किंतु भाजपा भी यहां लाभ में रही । पिछली बार भाजपा की एक सीट थी अब आठ हैं। तेलगांना में पिछली बार भाजपा को 6.98 प्रतिशत वोट मिले थे। अबकि बार उसका प्रतिशत बढ़कर 13. 9 हो गया। छत्तीसगढ में भूपेश बघेल की हार का कारण अतिविश्वास रहा। महादेव एप जैसे घोटाले भ्रष्टाचार कांग्रेस को ले डूबा।उसके लोक लुभावने वादों पर जनता ने यकीन नही किया। छत्तीसगढ में भाजपा को 46 प्रतिशत मत मिले।कांग्रेस को 42 प्रतिशत। मिजोरम के चुनाव परिणाम आ गए । यहां जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने बहुमत पाया। कांग्रेस से यहां भी भाजपा लाभ में रही। इस विधान सभा में कांग्रेस को एक सीट मिली तो भाजपा के खाते में दो सीट गईं। कांग्रेस के राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे ने जाति आधारित गणना की गारंटी को बार-बार दोहराया। इसके माध्यम से दांव यह खेला गया था कि ओबीसी मतदाताओं को प्रभावित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।इतना जरूर हुआ कि इससे उसका परपरांगत अल्पसंख्यक वोट और छिटक गया।इस हार से कांग्रेस के सामने विपक्षी दलों के गठबंधन में ही चुनौती आने लगी हैं। अब तक सबसे बड़ा दल होने के कारण उसकी मांग की थी कि विपक्ष का प्रधानमत्री का उम्मीदवार कांग्रेस से होगा। जेडीयू के प्रदेश महासचिव निखिल मंडल ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला है और कहा कि अब 'इंडिया गठबंधन' को नीतीश कुमार के अनुसार चलना होगा। एक बात और भाजपा की जीत का बड़ा कारण है उसका बूथ लेबिल तक बना संगठन, जबकि कोई और दल बूथ तक अपना संगठन नही खड़ा कर सका। भाजपा की आधी आबादी यानी महिलाओं में भी बड़ी पकड़ है। भाजपा ने महिलाओं का भी बूथ लेबिल तक संगठन खड़ा किया है। बड़ी बात यह भी है कि पार्टी के पास नरेंद्र मोदी जैसा जुझारू नेता भी है,जो बिना रूके बिना थके अनवरण कार्य में लगा रहता है। भाजपा की मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयं सेवक संगठन तो अपने कार्यकर्ताओं और संगठन के लिए विख्यात है ही। कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम् ने इस चुनाव में कांग्रेस की हार को सनातन के विरोध का नतीजा बताया। कहा कि राहुल जो कर सकते थे किया। उनकी बात में दम लगता है । आज भारत में सनातन और राष्ट्रवाद का प्रभाव नजर आ रहा है। जनता अब एक मजबूत सरकार और मजबूत देश और एक मजबूत प्रधानमंत्री चाहती है। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Sunday, December 3, 2023

बहुत अच्छा है विदेशों में खालिस्तान समर्थकों का विरोध




बहुत अच्छा है विदेशों में खालिस्तान समर्थकों का विरोध अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार विदेशों विशेषकर अमेरिका और कनाडा से आई खबरें बहुत ही अच्छी हैं। भविष्य को लेकर आशा जगाने वाली खबरें हैं। खबर हैं कि कनाडा में भारतीय राजदूत के विरूद्ध प्रदर्शन करने वालों का वहां मौजूद भारतीयों ने जमकर विरोध किया। परिणाम स्वरूप प्रदर्शनकारियों को खालिस्तान के झंडे छोडकर भागना पडा। अमेरिका में खालिस्तान समर्थकों ने अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ बदतमीजी की कोशिश नाकाम रही। संधू को अमेरिका में बसे सिखों ने न केवल सम्‍मानित किया बल्कि उनकी बातों को भी ध्‍यान से सुना। माना जा रहा है कि गुरपतवंत सिंह पन्‍नू के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया गया है।एक बात और भारत ने देश की गुरपतवंत सिंह पन्‍नू की संपत्तियों को हाल ही में जब्त किया है। यह कार्य तो बहुत पहले करना चाहिए था। गुरपतवंत सिंह पन्‍नू के खालिस्‍तानी आतंकी संगठन सिख फॉर जस्टिस की अमेरिका में भारतीय राजदूत तरनजीत सिंह संधू के साथ धक्‍का मुक्‍की करने की चाल फेल हो गई। खालिस्‍तानियों ने गुरुपर्व पर अमेरिका के न्‍यूयार्क शहर में स्थि‍त गुरुद्वारे में भारतीय राजदूत के साथ धक्‍का मुक्‍की की कोशिश की लेकिन उनकी यह चाल वहां मौजूद सिखों ने फेल कर दी। यही नहीं इन सिखों ने भारतीय राजदूत को सम्‍मानित भी किया। गुरुद्वारे के अंदर ही संधू का सिख समुदाय के लोगों ने जोरदार स्‍वागत किया गया था। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय राजदूत ने अफगानिस्‍तान से सुरक्षित तरीके से सिखों को निकालने का जिक्र किया और कहा कि सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी है। कनाडा के सरे शहर में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के बाहर खालिस्तानियों ने श्रद्धालुओं को परेशान किया । जमकर बवाल मचाया। वहां कनाडा में भारत के राजदूत गए हुए थे। जब हिंदू उनका विरोध करने आगे आए तो वो लोग भाग गए।यह घटना 26 नवम्बर की है।खालिस्तानियों के हंगामे और श्रद्धालुओं को परेशान करने की खबर पर हिंदू मंदिर के बाहर इकट्ठा हो गए और खालिस्तानियों का विरोध किया। हिंदुओं ने हाथों में भगवा झंडे ले रखे थे। इन लोगों ने यहाँ साथ में तिरंगा भी लहराया और देशभक्ति वाले गीत चलाए।खालिस्तानियों की बेइज्जती करने के लिए भीड़ ने नारे भी लगाए। इसी घटना के वायरल वीडियो में खालिस्तानियों को गालियाँ भी पड़ती दिख रही हैं। एक वीडियो में भीड़ खालिस्तानियों के खिलाफ उल्टे –सीधे नारे भी लगा रही है।अपना विरोध होते देश ये एक डेढ़ दर्जन के आसपास खालिस्तान समर्थक अपने झंडे छोड़कर गायब हो गए।इन अतिवादियों का आरोप है कि कनाडा के हरदीप सिंह निज्जर की हत्या भारत ने कराई। खालिस्तान समर्थकों का जो अमेरिका और कनाडा में जो विरोध अब हुआ, वह तो बहुत पहले होना चाहिए था। शुरूआत में ही विरोध होने लगता तो वे ऐसा करने के हौंसले नही कर पाते। लंदन में भारतीय हाई कमीशन में तोड़फोड़ की घटना के विरोध नई दिल्ली में सिखों का प्रदर्शन हुआ था। बड़ी तादाद में सिख ब्रिटिश हाई कमीशन के बाहर जुटे और खालिस्तानियों की हरकत का विरोध किया। इसी तरह का विरोध उन देशों में भी होना चाहिए था , जहां कुछ खालिस्तानी खुराफात कर रहे हैं। अमेरिका गुरूद्वारे में सिख समाज ने इन खालिस्तानी का विरोध किया। ऐसा ही अन्य जगह भी सिख समाज को करना चाहिए था। उनकी चुप्पी इशारा करती है कि वह खालिस्तान के समर्थन में हैं , जबकि ऐसा है नहीं। कुछ ही सिरफिरे इस तरह की हरकत कर रहे हैं।1980 के आसपास भी ऐसी ही गलती हुई थी। पंजाब में बढ़ते खालिस्तानी आंदोलन का विरोध नही हुआ था। स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाले के बसने का गुरूद्वारा प्रबंध समिति और सिख समाज को विरोध करना चाहिए था। उस समय की उनकी चुप्पी सेना को आपरेशन तक पहुंच गई। कनाडा और अमेरिका में हाल में खालिस्तान समर्थकों की छोटी मोटी कार्रवाई उनकी हताशा बताती है।भारत में कुछ कर पाने में असमर्थ विदेशों में बसे चंद अतिवादी झल्लाएं है। वे यह बताना चाहते हैं कि खालिस्तान का मुद्दा मरा नही। जबकि सच्चाई अब सब समझ रहे हैं । उधर कनाडा भारत पर लगाए अपने आरोप पर घिरता जा रहा है।कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडोने आरोप लगाया था कि कनाडा नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के राजनयिक का हाथ है। हरदीप सिंह निज्जर भारत से फरार अपराधी खालिस्तानी अतिवादी है। इस आरोप पर तनातनी बढ़ने के बाद भारत ने कई बार कनाड़ा से इस हत्या के सुबूत मांगे किंतु कनाडा ऐसा नही कर सका।आतंकी निज्जर की हत्या के मामले में भारत सरकार नें कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों और एनएसए के अन्य अधिकारियों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया था, लेकिन जब भारत अपने अधिकारियों को कनाडा भेजने का निर्णय किया तब उसने भारतीय टीमों को वीजा देने से इनकार कर दिया गया। दरअसल, भारत सरकार यह पता करने के लिए एक टीम को कनाडा भेजना चाह रही थी कि निज्जर की हत्या पर भारत के खिलाफ कनाडाई लोगों की क्या राय है? भारतीय सरकार का कहना है कि कनाडा को हमारी टीमों को आने की अनुमति देनी चाहिए और दिखाना चाहिए कि उनके पास हमारे खिलाफ क्या सबूत है, लेकिन वे हमारे कई बार के अनुरोधों के बावजूद वीजा जारी नहीं किया। भारत के एनएसए डोभाल और उनके कनाडाई समकक्ष ने आतंकवाद मुद्दे पर चर्चा की। डोभाल ने कनाडा में बैठे उपद्रवियों और आतंकवादियों के बारे में स्पष्ट जानकारी दी। डोभाल ने अपने समकक्ष को भारत के विभिन्न एजेंसियों और राज्य के पुलिस के वांटेडों की सूची और एलआर की भी सूची दी थी। एसए डोभाल ने बताया कि, ‘भारत समय-समय पर कनाडा के साथ समय-समय पर खुफिया जानकारी साझा की और वांटेडों के ठिकानों की जानकारी भी उपलब्ध कराई.’ उधर कनाडा के एनएसए ने भारत पर आतंकी निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था, हालांकि डोभाल ने कहा कि अगर उसके हत्या में भारत का हाथ है तो एफआईआर या कोई स्पष्ट सबूत जारी करे।उमेश डोभाल ने कहा कि अगर हमारे तरफ से कोई दोषी निकला तो कड़ी कारवाई करेंगे, लेकिन कनाडाई कभी कोई सबूत पेश नहीं कर सके. भारत ने कहा कि कैनेडियन ये सब सिर्फ फेक नैरेटिव क्रिएट करने के लिए कर रहे हैं.कनाडा कभी भी आतंकी मामलों में जांच में कभी सहयोग क्यों नहीं किया, जहां कनाडा से हमले हुए थे. बताया जा रहा है कि वीडियो और ऑडियो सबूत जानने के बावजूद एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई. कनाडा की धरती से आए दिन हिंदुओं को धमकियां मिलती रहती हैं, लेकिन वे पुन्नू को गिरफ्तार नहीं करते..ऐसा क्यों? भारत ने ये भी कहा कि निज्जर की मौत गैंगवार में हुई थी, जो कनाडा में इन आतंकवादी समूहों को पनाह देने का ही परिणाम है। कनाडा सा ही मामला अमेरिका का है । अमरिका ने सार्वजनिक रूप से न कह भारत के उच्चाधिकारियों से कहा कि उनके नागरिक की एक भारतीय द्वारा हत्या की कोशिश की गई।भारत और अमेरिका इस मामले की मिलकर जांच कर रहे हैं। अमेरिका ने शोर मचाकर भारत से संबंध खराब करने नही चाहे। उसे भारत को अपने हथियार बेचने हैं। वह भारत की जरूरत महसूस करता है। एक बात और आज भारत कमजोर नही है। अमेरिका हो या ब्रिटेन या फ्रांस सभी को भारत की जरूरत है। भारत इनसे खुलकर कहे कि भारत के आतंकवादी पालकर भारत से मित्रता नही चलेगी। मित्रता करनी है तो रूस की तरह साफ और सीधी होनी चाहिए। आपके देश में कोई भारत विरोधी बसता है तो उसे भारत को सौंपना होगा। अशोक मधुप ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)