Monday, November 24, 2008

मीडिया दूसरों की चिंता छोड़ अपनी चिंता करे,

मंदी मीडिया के द्वारे पर भी
र्मीडिया में आजकल विमानन, आई टी,बैंकिंग क्षेत्र में नौकरियां कम किए जाने के समाचार रोज प्रमुखता के साथ जगह पा रहे है।पे घटाने के समाचार प्रमुख लीड बनाकर छापे जा रहे हैं। यह भी आ रहा है कि बड़ी कंपनियां अपने खर्चे कम कर रही है।
इतना सब हो रहा है तो क्या मीडिया इससे अछूता रहेगा,यह कोई पत्रकार या अखबार लिखने को तैयार नही। मीडिया में निवेश की बात करने वाले चैनल को यह भी तो बताना चाहिए कि सबसे ज्यादा खराब हालत मीडिया की होनी है। यहां नई नियुक्तियों पर रोक लग चुकी है। पे नही बढ़ाई जा रही।पहले हफ्ते मे मिलने वाला वेतन अब माह के अंत मे सरक कर पंहुच गया है। बड़ी कंपनियों के खर्च कम किए जाने की बात आ रही है किंतु यह नही कहा जा रहा कि मीडिया के खर्च चलाने वाले बड़ी कंपनियों के विज्ञापन अब बंद हो चुकें हैं। या होने जा रहे हैं।मल्टीनेशनल कंपनियों के विज्ञापनों से भरे रहने वाले समाचार पत्रों के पन्ने अब खाली रहने लगे है।
वे प्रकाशन समूह जो मल्टीनेशनल कंपनियो के बूते अपने काम चलाते थे, अपने विस्तार करते थे। वे अपनी योजनाआें के विस्तार रोक रहे हैं मैंने कहीं पढ़ा था कि आईटी में प्रतिवर्ष 18 प्रतिशत रिक्तिंया निकल रही हैं तो मीडिया में 38 प्रतिशत ग्रोथ है। अब यह सब खत्म होने जा रहा है। लगता है कि अब प्रकाशन समूह अपने प्रकाशान के पेज कम करेंगे।बड़ी कंपनियों के विज्ञापन पर चलने वाले मीडिया को बहुत संकट का सामना करना होगा। चैनल पहले ही संकट में हैं। प्रिट मीडिया के सामने नई चुनौती है।सिर्फ वही मीडिया समूह इस संकट में कुछ खड़े रह सकेंगे जिन्होंने तहसील एवं जिलास्तर पर अपना विज्ञापन का नेटवर्क खड़ा किया हुआ है। यह होने के बावजूद सबकों मंदी के तूफान को झेलना है।
बहुत बड़ा संकट आने वाला है मीडिया पर, किंतु हम अपनी थाली से गायब होने वाले पकवान, मेवों पर ध्यान नही दे रहे ,हमे चिंता है तो दूसरों की थाली से कम होने जा रही रोटी की। भगवान हमे संदबुद्धि दें।

3 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही कह रहें सर ,परन्तु ये तो हम सब की आदत है -हम अपने ओर नहीं बल्कि दूसरो में ज्यादा दिलचस्पी लेतें हैं .दूसरी खबरों के चक्कर में किसी दिन ये लोग स्वयम मंदी की खबर बन जायेंगे .

Anil Pusadkar said...

सटीक लिखा आपने.मीडिया को अपने घर पर आ रहा सँकट नज़र नही आ रहा है.

Anonymous said...

भाईजान,
मीडिया दूसरों की थाली इसलिए देख रहा है क्‍योंकि वह हमेशा दूसरों की थाली में से ही कुछ-कुछ लेकर अपना पेट भरता रहा है।
सबकी थाली, मेरी थाली
मेरी थाली, मेरी थाली