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लक्ष्मी जी को पूजिए , लक्ष्मी पुत्रों को भी सम्मान दीजिए
लक्ष्मी जी को पूजिए , लक्ष्मी पुत्रों को भी सम्मान दीजिए
अशोक मधुप
वरिष्ठ पत्रकार हैं
दीपावली का माहौल है।इस अवसर पर हम घर की सफाई करते हैं।अंधकार को दूर करने के लिए दीप जलाते हैं। लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं। लक्ष्मी की पूजा इसलिए करते हैं कि हमारे घर धन− संपदा से परिपूर्ण रहे। हमारे घर धन संपदा से भरपूर रहें, इसलिए लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं।अपने शहर ,प्रदेश और देश के बारे में नही सोचते।हमें यह भी सोचना चाहिए कि कैसे हमारा शहर, प्रदेश और देश संपन्न हो।कैसे लक्ष्मी पुत्र उनमें कल कारखाने लगाकर विकास का रास्ता खोलें। कैसे अपने लोगों को रोजगार मिले। हम दीपावली पर लक्ष्मी जी की पूजा करते हैं,किंतु लक्ष्मी पुत्रों का निरादर करते हैं। जबकि लक्ष्मी के पुत्र देश और समाज को बनाने , उसके विकास करने में बड़ा योगदान करते हैं।दीपावली पर लक्ष्मी को पूजने के साथ−साथ हमें लक्ष्मी पुत्रों का सम्मान भी करें। लक्ष्मी पुत्रों का विश्व,देश और समाज के निर्माण में सदा बड़ा योगदान रहा है।उस योगदान को हम सभी को स्वीकारना चाहिए।उनका अपमान नही करना चाहिए।
हाल ही में देश के बड़े उद्योगपति और वेदान्ता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल की एक पोस्ट प्रसिद्ध हो रही है। इसमें पोस्ट में उन्होंने राष्ट्र के निर्माण में उद्योगपतियों की भूमिका पर प्रकाश डाला है। वह कहते हैं कि वे जब अमेरिका ,ब्रिटेन या जापान आदि किसी लोकतांत्रिक देश को देखते हैं, तो इस बात का अहसास करते हैं कि जहां राजनेता देश का नेतृत्व करते और उसे शक्तिशाली हैं, वहीं उद्यमी उस देश को बनाते हैं।वे अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि अमेरिका
का निर्माण पांच उद्यमी रॉकफेलर,एंड्रयू कार्नेगी, जेपी मार्गन,फोर्ड और वेंडर बिल्ट ने किया।इस सभी उद्योगपतियों ने अधिकांश संपत्ति परोपकार के लिए दान कर दी। अमेरिका ,ब्रिटेन और जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए वह कहतें हैं कि हमारे भारत में घरेलू उद्यमियों की भूमिका को कभी− कभी कम करके आंका जाता है।लेकिन देश के लिए वह जो कर सकतें हैं,वह कोई और नही कर सकता।वे विदेशी तकनीक और फंडों के साथ मजबूत गठजोड़ कर सकतें हैं। पोस्ट के अंत में वह कहते हैं कि अगर घरेलू उद्यमियों की कमाई होगी तो वह अमेरिकी उद्यमियों की तरह ही परोपकार के लिए अपनी कमाई का हिंस्सा दान कर सकेंगे।उनकी राय है कि सरकार को घरेलू कारोबारियों को अधिक सम्मान और मान्यता देनी चाहिए, जिससे उन्हें प्रोत्साहन मिले।उनकी धारणा है कि व्यापारी मुकदमें बाजी आडिट और लंबी सरकारी प्रक्रियाओं से डरते हैं। उद्यमियों पर भरोसा करना और लाभ देना महत्वपूर्ण है।प्रत्येक लोकतांत्रिक देश जो अमीर बना है,वह ऐसा इसलिए कर पाया कि क्योंकि उन्होंने उद्यमियों पर विश्वास रखा ।उन्हें मान्यता दी और प्रेरित किया।
आज सरकारें राजनैतिक हित के लिए किसानों की ही बात करती हैं। उनके लाभ के बारे में सोचती हैं।उन्हें खेती में प्रयोग होने वाला कच्चा माल, बिजली, कीटनाशक सस्ते दाम पर उपलब्ध कराती हैं। उनकी फसल का न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती हैं।क्या कोई प्रदेश या देश अकेले किसानों के बूते तरक्की कर सकता है। कभी नही।किसी देश के विकास में जितना योगदान किसान का है, उतनी ही व्यापारी का।इनके बराबर ही मजदूर का। किसी को भी कमतर नहीं किया जा सकता।
देश के विकास में प्रत्येक व्यापारी का योगदान है, चाहे वह छोटा हो या बड़ा। उनकी जरूरत और सुविधा का धयान रखा जाना चाहिए। सम्मान किया जाना चाहिए।किंतु ऐसा होता नही।हम व्यापारी को चोर और बेईमान बताने में लगे रहतें हैं।कांग्रेस के एक नेता का तो सदा आरोप रहता है कि प्रधानमंत्री एक व्यापारी को अपने साथ लिए घूमते हैं।वे ये नही देखते कि जिस व्यापारी को लेकर वह ये बात करते हैं,उनके देश में कितने कारखाने हैं। उन्होंने कितने करोड़ का निवेश किया हुआ है। कितने लाख लोगों का रोजगार दिया हुआ है।उनसे संपर्क बनाकर ,उन्हें सुविधाएं देकर हम देश का और कितना विकास कर सकतें हैं।
पिछले दिनों दिल्ली के आसपास चले किसान आंदोलन के दौरान तो व्यपारी को बड़े पैमाने पर चोर और बेईमान बताने का अभियान चला। मोबाइल टावरों पर तोड़फोड़ की गई।उद्योगों का घेराव किया गया। रास्तों पर धरना देकर आपूर्ति और माल की निकासी बाधित की गई। बंगाल में ममता दीदी द्वारा नेनों के सिंगूर में कारखाना लगने के स्थान पर दिए धरने का प्रभाव रहा कि वे मुख्यमंत्री तो बन गईं किंतु बंगाल के विकास का रास्ता अवरूद्ध कर गईं। 2008 में शुरू हुए विवाद के बाद से अब तक कोई भी बड़ा प्राइवेट उद्योग बंगाल में नही लगा।प्रदेश और देश के विकास के लिए उद्योगपतियों को सुविधा और सुरक्षित माहौल देना होगा।पिछले दिनों पंजाब में भी उद्योगों के विरूद्ध भी कुछ विपरीत सोच दिखाई दिया।परिणाम यह है कि आज व्यपारी वहां भी जाने से बच रहा है।
पुराने समय से व्यापारियों का
आज गुजरात के विकास का ये ही कारण है।अपने मुख्यमंत्री काल में नरेंद्र मोदी ने सिंगूर के विवाद के दौरान टाटा अकेले को गुजरात में कारखाना लगाने का आमंत्रण नही दिया, अपितु उनके माध्यम से अपृत्यक्ष रूप से अन्य उद्योगपतियों के भी गुजरात आने का रास्ता खोला। इसीका फल है कि गुजराज आज विकास के क्षेत्र में बहुत आगे हैं।यहीं काम आज उत्तर प्रदेश में हो रहा है।यहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में सुरक्षा का माहौल पैदा करने से व्यापारियों में विश्वास बढ़ा है। आज योगी जी के आहवान पर प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश हो रहा है।
हम अमेरिका गए हुए थे। क्रूज पर न्यूयार्क घूम रहे थे।कूज के चालक की उस समय की बात मैं आज तक नही भूला।उन्होंने कहा था कि वे जो विशाल भवन,बड़े उद्योग सामन देख रहे हैं। ये सब आपके −हमारे पूर्वजों की देन हैं।भारत, बंगला देश, पाकिस्तान,श्रीलंका अफ्रीका से आप से सब के पूर्वज यहां आए ।उन्होंने ये सब खड़ा किया।
ऐसा ही सब जगह है। किंतु भारत में हम देश को विकास में आगे बढ़ाने वाले व्यापारी को गाली देते हैं। कहते हैं कि बैंको का पैसा लेकर भाग रहे हैं। ध्यान रहे कि बैंक ऋण मूल्य से ज्यादा की व्यापारी की संपत्ति गिरवीं रखकर कर्ज देते हैं। व्यापार में नफा नुकसान होता रहता है।घपला करने वाले तो दो चार ही हैं,उनके आचरण का दोष पूरे समाज को तो नही दिया जा सकता। भारत को आगे बढ़ाने के लिए देश के विकास के लिए व्यापारियों को हमे चोर और बेईमान कहना छोड़ ना होगा। वे भामाशाह के वंशज हैं।उन्हें विकास पुत्र या विकास पुरूष की संज्ञा देनी होगी।उन्हें भी सम्मान देना होगा।सुविधाएं देनी होंगी। । दीपावली पर लक्ष्मी का आह्वान करने के साथ इन विकास पुरूषों के स्वागत के लिए नगर प्रदेश और देश में रंगोली सजानी होगी।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
Thursday, November 9, 2023
युद्ध कैसे रूके ,हमास−इस्राइल तो मानने को तैयार ही नहीं
युद्ध कैसे रूके ,हमास−इस्राइल तो मानने को तैयार ही नहीं
अशोक मधुप
वरिष्ठ पत्रकार
ये यक्ष प्रश्न दुनिया में गूंजने लगा है कि हमास और इस्राइल युद्ध कैसे रूके? दुनिया चाहती है कि युद्ध रूके ,शांति हो। इस युद्ध में हो रहे मानवता का विनाश बंद हो। पर प्रश्न है कि हो कैसे ?न इस्राइल मानने को तैयार है न हमास।इन दोनों की जंग में गाजापट्टी का आम नागरिक बच्चे और औरतें मर रही हैं।घायल और बीमार को इलाज नही मिल रहा। गाजापट्टी में हुआ विकास बड़े− बड़े भवन, व्यापारिक केंद्र अस्पताल खंडहर में तबदील होते जा रहे हैं।
हमास ने सात अक्टूबर को इज़राइल में हमला करके
इज़राइल के साथ-साथ क्षेत्र में चल रहे सामान्यीकरण और शांति के प्रयासों को बंद कर दिया। इस्राइल पर हमास ने औचक हमला कर सबको चौंका दिया। किया।इस हमले में 20 मिनट में पांच हजार के आसपास राकेट दागे गए।इतना ही नहीं यह इस्राइल का सुरक्षा घेरा और दीवार तोड़कर अपनी सुरक्षा और मारक क्षमता के लिए विख्यात इस्राइल में घुंस गए।उन्होंने इस्राइल में भारी तबाही मचाई। इस हमले में इस्राइल के एक हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए। तीन हजार के आसपास घायल हुए हैं। सूचनाएं हैं कि 250 के आसपास महिला और बच्चों सहित इस्राइल के नागरिकों का अपहरण कर लिया।हमास के आंतकियों ने महिलाओं का निवस्त्र कर उनके सम्मान को तार− तार करने कोई कसर नही छोड़ी। हमास ने सड़कों पर महिलाओं के नग्न शव घुमाए गए थे और बच्चों को काटकर, जलाकर या अन्य क्रूर तरीकों से मार डाला गया था। इसके बाद इजराइल जवाबी कार्रवाई कर रहा है।
इस्राइल की सुरक्षा व्यवस्था, सेना और गुप्तचर व्यवस्था पूरी दूनिया में विख्यात हैं।इस सबके बावजूद वहां इतना बड़ा नुकसान हुआ।इस्राइल के पास दुनिया का आधुनिकतम सुरक्षा, प्रतिरक्षा और विश्व विख्यात सूचनातंत्र है।फिर भी वह इस हमले के सामने विफल होकर रह गया। इससे भी महत्वपूर्ण और बडी बात यह है कि इस्राइल की सैन्य अजेयता की प्रतिष्ठा धूमिल हो गई है। इससे इजराइल बौखलाया हुआ है। वह गुस्से में बुरी तरह तिलमिला रहा है। परिणाम स्वरूप उसका इरादा हमास को खत्म कर देने का है। एक माह से चालू युद्ध में वह गाजा पर बड़े पैमाने पर हमले कर रहा है।उसका इरादा हमास को पूरी तरह खत्म कर देने का है।इस्राइल गाजा पर बड़े पैमाने पर हमले का सहारा ले रहा है ताकि वह उस प्रतिरोध को बहाल करने की कोशिश कर सके जो उसे कभी मिला था, फिर भी यह निश्चित नहीं है कि अगर गाजा को नष्ट कर दिया जाता है और फिर से कब्जा कर लिया जाता है तो भी वह इसे पूरा कर पाएगा।
दरअस्ल युद्ध हमास और इस्राइल के बीच है।हमास फ़लस्तीन का इस्लामिक चरमपंथी समूह है, जो गाज़ा पट्टी से संचालित होता है। 2007 में गाज़ा पर नियंत्रण के बाद हमास के विद्रोहियों ने इसराइल को बर्बाद करने की कसम खाई थी।तब से लेकर हालिया हमले तक ये चरमपंथी संगठन इस्राइल के साथ कई बार युद्ध छेड़ चुका है।दूसरा पक्ष इस्राइल है। हमास और इस्राइल के युद्ध में गाजापट्टी का आम नागरिक बच्चे पिस रहे हैं,इसका युद्ध से कोई वास्ता नही। युद्ध से कोई लेना −देना नही। हमास इन्ही गाजापट्टी नागिरिकों बीच छिपे बैठे हैं।इस्राइल की परेशानी है कि वह हमास लड़ाकों और आम नागरिक में भेद कैसे करे? उसने गाजापट्टी का आम नागरिक से पिछले दिनों अपील भी की कि वह गाजा छोड जांए।काफी चले गए ,किंतु अब भी बड़ी संख्या में गाजा में रहने को मजबूर हैं। आरोप है कि हमास उन्हें नही जाने दे रहा। वह आम नागरिक की आड़ लेकर बचना चाह रहा है।
दुनिया चाहती है कि यह विनाशकारी युद्ध रूके।इस्राइल पर दबाव भी है,किंतु सात अक्तूबर का औचक और बड़े पैमान पर हुए हमले को इस्राइल भुलाने को तैयार नही। वह हमास को खत्म करके ही रूकने की बात कर रहा है। उधर इसके 250 के आसपास बंदी भी अभी रिहा नही हुए। उस पर मानसिक दबाव है कि अपने इन बंदियों को सुरक्षित रूप से छुडाए।
इसी दौरान फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के प्रवक्ता गाजी हमद ने दावा किया है कि हमास सात अक्टूबर को इज़राइल पर किए गए हमलों को बार-बार दोहराएगा। बता दें कि, इस दिन हमास ने भूमि, वायु और समुद्र के माध्यम से यहूदी राष्ट्र में एक आश्चर्यजनक घुसपैठ शुरू की थी।इसी बीच 24 अक्टूबर को लेबनानी टीवी चैनल एलबीसी के साथ एक साक्षात्कार में, हमास के प्रवक्ता गाजी हमद ने कहा कि, 'हमें पूरी ताकत के साथ यह कहने में कोई शर्म नहीं है। हमें इज़राइल को सबक सिखाना होगा और हम ऐसा बार-बार करेंगे।' गाजी हमद ने कहा कि 'इज़राइल एक ऐसा देश है जिसका "हमारी भूमि पर कोई स्थान नहीं है और फिलिस्तीनी "कब्जे के शिकार" थे।' उन्होंने "कब्जा समाप्त करने" का भी आह्वान किया।
उधर इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू का कहना है कि जंग ख़त्म होने के बाद "अनिश्चित काल" के लिए ग़ज़ा पट्टी की "पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी" इसराइल के पास होगी।अमेरिकी चैनल एबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में ये कहा है.इस इंटरव्यू में उन्होंने हमास के कब्ज़े से बंधकों को छुड़ाए जाने तक युद्ध रोकने की मांग को पूरी तरह ख़ारिज कर दिया।उन्होंने कहा, “जहां तक समय-समय पर छोटे-छोटे विरामों की बात है - एक घंटा या दो घंटे रुकना - हम पहले भी ऐसा कर चुके हैं। मेरा मानना है कि हम परिस्थितियों को देखेंगे, ताकि सामान, मानवीय मदद अंदर आ सके।”अमेरिका, फ्रांस सहित कई यूरोपीय देश इस संघर्ष को अस्थायी रूप से रोकने (पॉज़) की अपील कर रहे हैं।उधर इसराइली सरकार में मंत्री एमिचाई एलियाहू ने हमास के ख़िलाफ़ ‘ग़ज़ा पट्टी में परमाणु हथियार के इस्तेमाल’ की बात की है। हालाकि इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसका खंडन किया है,किंतु सरकार के एक मंत्री के बयान से स्पष्ट हो जाताहै कि इस्राइल इस समस्या से निपटने के लिए किसी भी सीमातक जा सकता है।
हमास के बारे में जानकारी रखने वाले मानते हैं कि सात अक्टूबर को जब हमास ने हमला किया तो उसकी प्लानिंग ने सबको हैरान कर दिया। सात अक्टूबर को किए गए हमले की प्लानिंग से पता चलता है कि हमास लबी अवधि के लिए जंग लड़ने की तैयारी करके बैठा है।जंग शुरू होने से पहले हमास के पास 40 हजार लड़ाके बताए जा रहे थे। इजराइल की बमबारी में नौ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इजराइल के पास अभी इस सवाल का जवाब नहीं है कि इनमें से कितने हमास के लड़ाके हैं और कितने आम लोग।इजराइली सेना के मुताबिक वो हमास के 50 से ज्यादा टॉप कमांडरों को खत्म कर चुकी है।जंग से पहले हमास के पास 15 हजार रॉकेट्स का जखीरा था। इसमें 8100 से ज्यादा रॉकेट्स इजराइल पर दागे जा चुके हैं। अब भी सात हजार रॉकेट्स बचे हैं। 2008 की जंग के वक्त हमास के रॉकेटों की अधिकतम सीमा 40 किमी (25 मील) थी, लेकिन 2021 तक यह बढ़कर 230 किमी हो चुकी है।गाजा में 80 फीट की गहराई में बनी सुरंगें भी हमास के लिए किसी हथियार से कम नहीं हैं। हमास का प्लान था कि वो इजराइली सैनिकों को सुरंगों के जरिए घेर कर मारेंगे, ताकि इजराइल परेशान होकर जल्द सीजफायर का ऐलान कर दे। इजराइल ने दावा किया है कि वो 100 ऐसी सुरंगों को तबाह कर चुका है। चार नवंबर को इजराइली सेना के प्रवक्ता डेनियल हागरी ने दावा किया कि अब तक की जंग में गाजा अब दो हिस्सों में बंट चुका है। उत्तरी गाजा और दक्षिणी गाजा। उत्तरी गाजा में हम हमास का सफाया कर रहे हैं और दक्षिण में घायलों की मदद। अगर हमें लगता है कि दक्षिण में भी कोई हमास लड़ाका है तो उसे भी मार गिराया जा रहा है। इससे साफ हो गया है कि जंग के 30 दिन पूरे होते-होते इजराइली सेना ने गाजा के दो टुकड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं, महीने भर की इस जंग ने फिलिस्तीन के नक्शे के अलावा हमास की ताकत और मुस्लिम देशों की सियासत को बदलकर रख दिया है। गाजा को हथियारों की सप्लाई ईरान और लीबिया से होती है। इस्राइल काप्रयास इस आपूर्ति और हमास की आर्थिक मदद रोकने का होगा ताकि वह जल्दी हथियार डाल दे।
हमास की तैयारी को देखते हुए लगता है कि वह जल्दी हार नही मानेगा। उसने हमला बहुत सोच समय कर किया होगा।उसने हमले से पूर्व उसके परिणाम पर गंभीरता के साथ सोचा होगा। जैसे उसका हमला चौकाने वाला था, हो सकता है कि हमले के बाद इस्राइल से निपटने की तैयारी भी चौंकाने वाली हों। ऐसे में युद्ध कितना लंबा चलेगा, यह नही कहा जा सकता।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
Saturday, November 4, 2023
प्रदूषण रोकने को जमीन से आक्सीजन क्यों नही उगाते?
अशोक मधुप
वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली एनसीआर समेत 30 के आसपास नगर आज बुरी तरह प्रदूषण की चपेट में हैं। बृहस्पतिवार के आंकडों के अनुसार दिल्ली की हवा काफी जहरीली हो गई है। इंडिया गेट, अक्षरधाम, रोहिणी, आनंद विहार समेत 13 इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के ऊपर दर्ज किया गया। एक्यूआई 300 से ऊपर की रेंज बेहद खतरनाक कैटेगरी में मानी जाती है।हवा की क्वालिटी खराब होने पर कमीशन फॉर एयर क्वॉलिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के थर्ड स्टेज को लागू कर दिया। GRAP का स्टेज III तब लागू किया जाता है जब एक्यूआई 401-450 की सीमा में गंभीर हो जाता है।इसके चलते गैर-जरूरी निर्माण-तोड़फोड़ और रेस्टोरेंट में कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। बीएस−3 पेट्रोल और बीएस−4डीजल चार पहिया वाहनों के इस्तेमाल पर सरकार ने 20 हजार रुपए चालान काटने का निर्देश दिया है।मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पांचवीं क्लास तक के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को शुक्रवार और शनिवार के लिए बंद करने का आदेश दिया है। दिल्ली में प्रदूषण पर अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. निखिल मोदी ने लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी है।प्रदूषण के कारण दिल्ली−एनसीआर में रहने वालों की अस्थमा जैसी बीमारी विकसित हो रही हैं । प्रदूषण बढ़ने से यहां रहने वालों की आयु कम हो रही है। सासें कम हो रही हैं। हालत अन्य घनी आबादी वाले महानगरों की होती जा रही है। जाड़े शुरू होते ही सांसों पर संकट आ जाता है। दिल्ली एनसीआर में सरकारी स्तर के प्रयास असफल होते देख हर वर्ष सर्वोच्च न्यायालय को दखल देना पड़ता है। सर्वोच्च न्यायालय प्रदेश सरकारों से प्रदूषणा रोकने के किए जा रहे उपाए पूछता है। प्रदेश सरकार उपाय के नाम पर की गई खानापूरी से अवगत करा देती हैं। मामला अगले साल के लिए टल जाता है।अगले साल शीत का मौसम आते ही फिर प्रदूषण की समस्या खड़ी हो जाती है।प्रदूषण की इस समस्या के स्थाई निदान के प्रयास क्यों नही होतें? प्रदूषण वाले क्षेत्र में आक्सीजन क्यों नही उगाई जाती। क्यों नहीं सांसों के लिए जमीन से आक्सीजन उगाने के प्रवंध होते।प्रदूषण दूर करने के हमारे प्रयास कृत्रिम होते हैं।प्रकृति प्रदत्त संसाधन बढ़ाने की ओर हमारा ध्यान क्यों नहीं?इसके लिए हम अभियान क्यों नही चलाते?
आक्सीजन उगाने का प्रयोग उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में एक भागीरथ ने शुरू किया। पिछले तीन साल में बिजनौर में इतनी आक्सीजन उगा दी कि आने वाली सन्तति भी उसका लाभ उठाएंगी। कोरोना काल में आक्सीजन की कमी को लेकर मारामारी मची थी। पूरी दुनिया आक्सीजन के लिए परेशान थी।आक्सीजन सिलेंडर पर भारी ब्लैक था।एक −एक सिलेंडर के लिए हाय− तौबा मची थी,तब उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग में कार्यरत बिजनौर नगर के विक्रांत शर्मा के मस्तिष्क में जमीन से आक्सीजन उगाने का विचार आया।आइडिया आया कि आज इंसान की सांसों का संकट है। सांसों के लिए आक्सीजन चाहिए।आक्सीजन को मशीन से पैदा करने की जगह जमीन से क्यों न पैदा किया जाए। इसके लिए उन्होंने पढ़ा और सोचा कि शहर के आसपास ऐसे वृक्ष लगाए जाएं जो 24 घंटे आक्सीजन देतें हो।बस वह इस भगीरथ अभियान में लग गए।कोरोना काल में जब लोग घरों में बंद थे। वे अपने बेटे को लेकर सवेरे रेलवे लाइन और सड़क से निकल जाते। यहां उन्हें पीपल, बरगद, नीम आदि के 24 घंटे आक्सीजन देने वाले जो पौधे दिखाई देते, उन्हें आराम से निकाल लेते।इन पौधों को लाकर ये शहर की सड़कों के किनारे खाली जगह पर लगाने लगे।इनके इस कार्य को देख इनकी पत्नी ने इन्हें पिट्ठू बैग सिल दिए। अब ये पौधे निकालते और पिट्ठू बैग में रख लेते।विक्रांत शर्मा ने ये पौधे लगाए ही नही। उन्हें पानी दिया और पाला भी। पौधों की सुरक्षा के लिए ये बांस खरीदते।उसकी खप्पच बनाते ।इन खप्पचों को पौधे के चारों और जमीन में गाड़कर ऊपर सबको आपस में बांध देते।पौधों की सुरक्षा के लिए उसके चारों ओर पुराना कपड़ा लगा देते।इनके इस जुनून को देख काफला बनना शुरू हो गया। इस काफले को इन्होंने नाम दिया पर्यावरण प्रहरी।आज इस काफले में 150 के आसपास कार्यकर्ता हैं। 16 के आसपास महिलायें भी इस संगठन से जुड़ी हैं।ये अपने− अपने क्षेत्र में खाली जगह में पौधे लगाते हैं।उन्हें नियमित पानी देते और देखभाल करते है। इन पर्यावरण प्रहरियों ने दो−ढाई किलोमीटर में बसे बिजनौर शहर में आज साढे चार हजार से कहीं से ज्यादा आक्सीजन देने वाले पौधे लगा दिए। अकेले इसी बरसात में एक हजार से ज्यादा पौधे रोपें।इनकी उपलब्धि यह है कि इनके लगाए 90 प्रतिशत पौधे चल रहे हैं। वे ही नही चले,जिन्हें किसी ने उखाड़ दिया या जला दिया। । बीते रक्षाबंधन पर इन पर्यावरण प्रेमियों ने नगर में संकल्प रैली निकाली। अपने लगाए पौधों को रक्षा सूत्र बांधे और उनकी देखरेख तथा सुरक्षा का संकल्प लिया। ये पर्यावरण प्रेमी ग्रीष्मकाल में यह सेवा कार्य प्रातः 05:30 से 07:30 तक व शीत ऋतु में छह बजे से आठ बजे तक कम से कम दो घण्टे अवश्य करते हैं। इस सेवा कार्य को इन्होंने प्रकृति वन्दन का नाम दिया गया है।सुबह सबेरे ये पर्यावरण प्रेमी नियमित रूप से प्रकृति की सेवा में लगातें हैं। उसके बाद अपने− अपने कार्य में लग जाते हैं। विक्रांत बताते हैं कि लगभग तीन साल के अपने इस कार्य में उन्होंने पाया कि पीपल और बरगद प्रायः जंगल में नही मिलते।ये पुरानी बस्तियों में बहुतायत ये पाए जातें हैं। पुराने शहर और पुराने भवन में पीपल, बरगद और नीम के पौधों का बहुतायात ये मिलने का कारण संभवतःउस क्षेत्र में आक्सीजन की कमी का होना है।प्रकृति शायद इस कमी को महसूस करती है।इन हर समय आक्सीजन देने वाले पौधों को उसी पुरानी आबादी में उगाती है।
जो काम बिजनौर शहर में विक्रांत शर्मा ने अकेले किया। वहीं काम सरकारी स्तर पर क्यों नही होता। सरकार प्रत्येक वर्ष बरसात में पौधरोपण करती हैं। करोड़ों पौधे लगाती हैं।यदि इनकी जगह 24 घंटे आक्सीजन देने वाले पौधे लगाए जांए तो कितना बेहतर हो।सड़कों के डिवाइडर पर हम शो के फूल वाले पौधे लगाते हैं।इस जगह यदि 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले आमरिका बाम, एलोवेरी, तुलसी, वाइल्ड जरबेरा, स्नेक प्लांट, आरकिड, क्रिसमस केक्टस लगांए तो ज्यादा बेहतर रहेगा। नोयडा में कुछ मार्ग पर पीपल लगाने का काम हुआ भी है। गर्मी के दिनों में बरगद छाया के साथ ठंडक प्रदान करता है। वट वृक्ष दिन ही नहीं, बल्कि रात में भी ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है। वट वृक्ष में फैलाव अधिक होने के चलते ऑक्सीजन अधिक मात्रा में मिलती है। इसके अलावा वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण से वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ का विशेष महत्व है। विज्ञानियों का कहना है कि बरगद पेड़ अन्य पेड़-पौधे की अपेक्षा चार-पांच गुना अधिक ऑक्सीजन देता है। शुद्ध हवा और प्रकृति ऑक्सीजन से शरीर निरोगी रहता जिस जगह बरगद पेड़ होता है उसके आसपास के 200 मीटर का क्षेत्र ठंडा रहता है। 24 घंटे आक्सीजन देने वाले आमरिका बाम, एलोवेरी, तुलसी, वाइल्ड जरबेरा, स्नेक प्लांट, आरकिड, क्रिसमस केक्टस को सोसायटी, कॉलोनी, बस्ती के संकरे रास्ते घर के आसपास ,मकान की छतों पर भी लोगों को लगाने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इन जगह के रहने वालों को इन पौधों को लगाने के लाभ बतांए जांए।कुछ एनजीओ को भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया जा सकता है।राजकोट गुजरात में एक वृद्धाआश्रम सेवा समिति इस कार्य में लगी हैं। ये डिवाइडर पर भी सहजन के आठ− दस फिट के पौधे लगा रही है।
एक बात और विकास के नाम पर पेड़ काटें न जाए।उनको शिफ्ट किया जाना चाहिए। इसके कार्य में कर्नाटक आदि में कुछ कंपनी लगी भी है। सड़को को चौड़ा करते समय किनारे के पेड़ डिवाइडर पर लगाए जा सकतें हैं।
जाड़ों में आने वाले सांसों के संकट का खत्म करने के लिए आक्सीजन उगाने और नगरों को आक्सीजन बैंक में बदलना होगा। ये भी ध्यान रहे कि आज का लगाया पौधा आगे 50−60 साल तक जीवित रहकर जनता को मुफ्त में आक्सीजन देगा। पीपल, बरगद और नीम की आयु तो अन्य वृक्षों से और भी ज्यादा होती है। हमारा आजका लगाया पौधा हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी भरपूर आक्सीजन देता रहेगा।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)