Monday, December 22, 2008

नेताओं की मौत पर राष्ट्रध्वज तिरगें का झुकाया जाना क्या उचित है

पंतजलि योग पीठ हरिद्वार में आयोजित कवि सम्मेलन का आज आस्था चैनल पर प्रसारण हो रहा था ।इस कवि सम्मेलन के एक कवि की कविता ने मुझे बहुत प्रभावित किया। कवि का नाम एवं कविता तो याद नही किंतु उसका भाव यह है कि आज देश में नेताओं के मरने पर राष्ट्रीय ध्वज तिंरगें को झुकाने का प्रचलन है। नेताओं के मरने पर इसे झुकाना आम हो गया है।
कवि का कहना था कि हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिंरगा देश के गौरव, सम्मान एवं उसकी स्मिता का प्रतीक हैं। यह देश की शान है। इसे फहराने की खातिर देश के सैंकड़ों क्रांतिकारियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। उन्होंने हंसते - हंसते सीने पर गोली खाकर प्राण न्योछावर कर दिए किंतु तिंरगे को झुकने नही दिया।देश के जवान भी तिंरगे के सम्मान की खातिर अपने प्राण दे देते हैं।
राष्ट्रध्वज तिंरगा देश के सम्मान का प्रतीक हैं। देश सबसे बडा़ है, नेताओं से भी ।नेता देश एवं तिंरगे से बडे़ नही हैं। ऍसे में उनकी मौत पर राष्ट्रीयध्वज झुकाया जाना उचित नहीं ।वह इसे राष्टी्यध्वज ही नही पूरे देश का अपमान मानतें हैं।
इस विषय पर आपकी क्या राय है।

11 comments:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

झुकना चाहिए क्योंकि सारी जिन्दगी उसने देश को ओरो के सामने झुक्वाया है इसलिए उसके मरने पर उस दिन तो सिर्फ़ झंडा झुकाने मे कुछ नही बिगडेगा अगर वह जिंदा होता तो देश को झुकाता.

तरूश्री शर्मा said...

झंडा शहीदों के लिए झुके तो कोई हर्ज नहीं लेकिन इन सांपों के लिए... आपने सही मुद्दा उठाया। राष्ट्रीय प्रतीक की इस तौहीन पर मन कई बार दुखी होता है।

Vinay said...

बहुत बढ़िया, आज नेता नहीं, भक्षक हैं

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चाँद, बादल और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/

Amit Kumar Yadav said...

काफी संजीदगी से आप अपने ब्लॉग पर विचारों को रखते हैं.यहाँ पर आकर अच्छा लगा. कभी मेरे ब्लॉग पर भी आयें. ''युवा'' ब्लॉग युवाओं से जुड़े मुद्दों पर अभिव्यक्तियों को सार्थक रूप देने के लिए है. यह ब्लॉग सभी के लिए खुला है. यदि आप भी इस ब्लॉग पर अपनी युवा-अभिव्यक्तियों को प्रकाशित करना चाहते हैं, तो amitky86@rediffmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं. आपकी अभिव्यक्तियाँ कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, वैचारिकी, चित्र इत्यादि किसी भी रूप में हो सकती हैं......नव-वर्ष-२००९ की शुभकामनाओं सहित !!!!

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

आपने बहुत ही सही मुद्दा उठाया है.
आपको एवं आपके समस्त मित्र/अमित्र इत्यादी सबको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाऎं.
ईश्वर से कामना करता हूं कि इस नूतन वर्ष में आप सबके जीवन में खुशियों का संचार हो ओर सब लोग एक सुदृड राष्ट्र एवं समाज के निर्माण मे अपनी महती भूमिका का भली भांती निर्वहण कर सकें.

Vinay said...

नववर्ष की शुभकामनाएँ

समयचक्र said...

नववर्ष की ढेरो शुभकामनाये और बधाइयाँ स्वीकार करे . आपके परिवार में सुख सम्रद्धि आये और आपका जीवन वैभवपूर्ण रहे . मंगल कामनाओ के साथ .धन्यवाद.

मनोज अबोध said...

apki baat se puri tarah sahmat hun.

shivraj gujar said...

aapka kahna sahi hai lekin tiranga kisi neta ke liye nahi uske pad par aaseen vyakti ke marne par shok main jhukaya jata hai. fir hamare yahan marne ke baad kisi se koi shikva rakhane ki parmpra bhi nahi hai.

Dikshya said...

aapne bohot samvedan sheel mudhhay
ko uthaya hai,jis tirange ke liye jin kranti ke pujariyo ne apna sab kuch luta diya usi tirange ko kisi ke bhi liya jhukana uchit nahi hai, mai aake vichar se sehemat hu...

Asha Joglekar said...

आपने बहुत सही मुद्दा उठाया है । लेकिन दुनिया के काफी देशों में यह प्रथा है ।