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Saturday, December 13, 2008
मुंबई का हमला ,हमारी सोच
क्या पूरा पाकिस्तान अपराधी है
मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद देश भर से एक आवाज आ रही है कि पाकिस्तान पर हमला किया जाना चाहिए। मीडिया चिल्ला-चिल्लाकर कर रहा है कि बाप द्वारा एक आंतकवादी की शनाख्त किए जाने के बाद पाकिस्तान को और क्या सबूत चाहिए।
मै कुछ और कह रहा हूं। पाकिस्तान पर हमले की बात करने से पूर्व हमें बहुत कुछ सोचना चाहिएं। पहला प्रश्न यह उठता है कि पाकिस्तान हमले की बात कर क्या हमने यह नही मान लिया कि पूरा पाकिस्तान आंतकवादी है। क्या एक कौम या एक पूरा देश आतंकवादी हो सकता है। अब तक आंतकवाद में शामिल रहे शत प्रतिशत युवक मुस्लिम हैं,इसके बावजूद मुस्लिम समाज का बड़ा तबका इसका विरोध करता है। आंतकवाद के कारण शक के आधार पर बेगुनाह मुस्लिम के उत्पीड़न के लिए आज वह सुरक्षा बलो को कम आंतकवाद के नाम पर रास्ता भटके युवाऔ को ज्यादा जिम्मेदार मानता है। इसीका कारण है मुंबई के हमले मे मरने वाले आंतकवादियों को अपने कब्रिस्तान मे दफनाने की मुंबई के मुस्लिमों ने इजाजत नही दी।
पाकिस्तान में बड़ी तादाद में आतंकवाद है, यह भी सही है कि वहां आंतकवादियों के खुलेआम ट्रेनिग कैंप चल रहे हैं किंतु यह तो नही कहा जा सकता कि वहां पूरा देश ही आतंकवादी है । पाकिस्तान सरकार दावेकर रही है कि मंबई की आतंकवादी बारदात में उसका हाथ नही ,वह इसके सबूत भी हमसे मांग रही है किंतु मुंबई में मरने वाले आंतकवादी के गांव के लोगों से बातचीत वहां का गियो चैनल सबूत दे देता कि मुंबई के आतंकवादी हमले में फोर्स के हाथ मरने वाला पाकिस्तान का अजमल कसाब है । वह पाकिस्तान द्वारा भारत से मुंबई के हमले में पाकिस्तान के हाथ होने के सबूत खुद उपलब्ध कराता हैं। पाकिस्तान में बड़ी तादाद में आंतकवादी शिविर या उनके प्रश्यदाता हों किंतु पूरे देश के नागरिक आंतकवादी नही हो सकते।एक दो सिरफिरे की गलती पर पूरे देश कों दंड देना तो न्याय नही है। क्या आप इसे उचित मानेंगे। मै तो कमसे कम इसके लिए तैयार नही हू।
मुंबई के आंतकवादी हमले में मरने वाले युवक को उसके मां-बाप से इस रास्ते पर चलने को नही कहा होगा,मेरा एेसा मानना है।हम पूरे पाकिस्तान को आज सबक सिखाने पर उतारू होते समय यह भूल जाते है कि हम ही नही आंतकवाद का दंशा उतला ही पाकिस्तान झेल रहा है,जितना हम झेल रहे हैं। आंतकवाद के विरोध में हम ही कुरबानी नही दे रहे, पाकिस्तान भी दे रहा है! जरदारी भी दे रहे हैं। उनका भी बहुत कुछ इस आंतकवाद की बदोलत गया है।
हमारे देश में सैना अनुशासित है,उसके जवान आतंकवाद के विरूद्ध संघर्ष कर रहे है जबकि पाकिस्तानी सेना आंतकवादियों की पीठ पर खड़ी है। यही मूल फर्क भारत एंव पाक में हैं।
इसके लिए हमें अंतर्राष्टीय दबाव बनाना होगां। इसमें हम कामयाब भी हों रहे हैं। कारगिल मे आंतकवादियो को जमाने का जिम्मा पाकिस्तानी सेना का नही था अपितु उसके जवान भी उनमें शामिल थे किंतु दुनिया के सामने पूरे घटनाक्रम को लाकर जब हमने आपरेशन चलाया तो पाकिस्तानी सेना चुप ही नही रही, उसने अपने सैनिकों के शवों को भी नही स्वीकारा।
हम अपने मुंबई कांड मे लगे जख्मों के आगे आतंकवाद में पिस रहे पाकिस्तान के आवाम के जख्मो को भूल रहे है, जरदारी के जख्मों को भूल रहे हैं।
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