Monday, December 22, 2008

हम भी आंतकवादी होते जा रहे हैं

हो सकता है कि आपको मेरी बात अजीब या अटपटी लगे किंतु है सहीं । हममें भी कुछ आंतकवादियों के गुण आते जा रहे हैं । हम अपनी मांग मनवाने के लिए दूसरों का अपहरण नही कर रहे। अपने बच्चों को दांव पर लगाने लगे हैं। आतंकवादी अब तक विमान ,ट्रेन या बस के यात्रियों का अपहरण करके सरकार पर दबाव डाल कर अपनी मांग मनवाते रहे है। ये हथियार अब हम प्रयोग करने लगे हैं। अपनी मांगों को मनवाने के लिए हम अपने बच्चों का जीवन दांव पर लगा रहे हैं।

भारत सहित दुनिया के कई देशों में बच्चों में वायरस से आने वाली शारीरिक विकलांगता दूर करने के लिए पोलियो अभियान चलाया हुआ है। भारत को भी पोलियो मुक्त करने के लिए अभियान चला हुआ हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की और से चलने वाले इस अभियान पर हमारी सरकार खरबों रूपया व्यय कर चुकी हैं। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि वायरसजनित बीमारी से देश का कोई बच्चा विकलांग न हो पाए। सरकार का ये अभियान आपके एवं हमारे बच्चों के लिए है किंतु हम अब यह मान बैठे हैं कि पोलियो की दवा पिलाना सरकार की मजबूरी है। पहले सरकार बूथों पर आने वाले बच्चों को दवाई पिलाती थी। क्योकि सारे बच्चे बूथ तक नही आ पाते , इसलिए सरकार ने यह किया कि पोलियो कर्मी एक सप्ताह तक लोगों के घर जाकर उनके बच्चों को दवा पिलांएगे।

हमारे बच्चो को विकलांगता से बचाने के लिए सरकार की कोशिश ,जद्दोजहद को हमने उसकी मजबूरी समझ लिया। हम समझने लगे कि इसमें सरकार की कोई मजबूरी है, जो इस प्रकार बार बार अभियान चला रही है। सरकार के प्रयास को हमने उसकी मजबूरी मान उसे ब्लैक मेल करना शुरू कर दिया। जग ह-जगह से समाचार आने लगे है कि गांव वाले किसी न किसी मांग को लेकर अड़ जाते है एवं दबाव देते है कि जब तक उनकी मांग पूरी नही होगी, वह बच्चों को दवा नही पिलांएगें। मेरे जनपद के एक गावं में आज दो घंटे तक बच्चों को इसलिए पोलियो ड्राप नही दी गई कि वहां का बिजली का ट्रांसफार्मर खराब था एवं बदला नही जा रहा था। गांव वालों के दबाव पर बिजली कर्मी आए आश्वासन दिया । उसके बाद ही बच्चों को दवा पिलाई गई।

कया यह ब्लैकमेल करना नही हैं। दवा न पीने से किसके बच्चे प्रभावित होंगे। क्या पोलियो की बीमारी को खत्म करने की सराकर की ही जिम्मेदारी हैं। ट्रांसफार्मर बदलवाने के लिए भूख हडताल या किसी अन्य प्रकार का कोई आंदोलन शुरू किया जा सकता थां। अपने बच्चो की कीमत पर तो यह सौदा नही होना चाहिए ।बच्चों को आगे करके इस प्रकार मांग मनवाना मेरी राय में तो ठीक नही हैं । अपने बच्चों कों दाव पर लगाकर कोई मांग पूरी करना ठीक नही हैं ।

4 comments:

नवनीत नीरव said...
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नवनीत नीरव said...

aapki baat atpati nahi balki bilkul sahi hai. log kuchh bi karne se pahle uske parinamon par vichar nahi karte hai.
aapne mere blog par tippani ki iske liye dhanyawad.

Smart Indian said...

यह तो बहुत ही घटिया प्रचलन है, ऐसा करने वालों को बच्चों का जीवन असुरक्षित करने के आरोप में सज़ा मिलनी चाहिए!

akshaya gawarikar said...

Thanx for visiting my blog.