Thursday, November 20, 2008

गंगा सफाई


गंगा के प्रदूषण को लेकर हाल में हमारे प्रधानमंत्री चिंतित नजर आए। बहुत समय से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के प्रयास हो रहे है। गंगोत्री से कलकत्ता तक अभियान चल रहा है किंतु मुझे नजर नही आया। मैं गंगा के तट से १२ किलो मीटर दूर बिजनौर शहर में रहता हूं। यहां में गंगा के दो फोटो डाल रहा हूं। यह फोटा गंगा बैराज के स्नान घाट के पास के हैं ।



बैराज एवं घाट की देखरेख की जिम्मेदारी सिंचाई विभाग की है किंतु वह धन न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ देता है। फोटो घाट के पास शाव दाह स्थल का है। शव दाह के शव के साथ आए व्यक्ति शव के जल जाने पर बची लकड़ियों अौर राख को गंगा में बहा देते हैं।इतना ही नही वे अपने साथ मृतक के कपडे़,रजाई,गद्दे ,कमीज ,पाजामा ,पेंट, आदि कपड़े,दवाई, मेडकिल रिपो्र्ट आदि साथ लाते एवं गंगा में डाल देते हैं।ये सामान गंगा में बहकर आगे नही जा पाता। यह वही एकत्र रहता हैं तथा जल उतरने पर दिखाई देने लगता है।इतना ही नही घरों की पुरानी देवी देवताआे की मूर्तिया, पुरानी तसवीर तथा केलेंडर आदि गंगा में लाकर डाल देते है। शादियों के पुराने कार्ड, पूजा में प्रयुक्त हुई सामग्री ,दीप आदि भी गंगा में डाले जाते हैं। इन्हें गंगा में विसर्जन करना कहा जाता है। इसका परिणाम है कि यह सामग्री गंगा को प्रदूषित करने में लगी है। सरकार एवं किसी समाजसेवी संगठन का इस आैर ध्यान नही ,यदि लोगों को इसके लिए प्रेरित किया जाए कि शाव की थोडी़ राख को गंगा मे विसर्जित कर शेष बची सामग्री गंगा के तट पर गड्ढा खोद कर उसमे डालकर गड्ढे को बंद कर दिया जाए तों गंगा को बड़े प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता है

1 comment:

adil farsi said...

ashok madhup ji ganga safai par aap ne achha parkash dala ha..badhai , ek sujhav hai aap word verifiation hata le