Monday, November 17, 2008



जिंदगी का सफर कैसा भी कितना भी कठोर क्यो न हो ,यह जीने वाले की इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है कि वह उसे कैसे जिए।बच्चों की साइकिल पर सवार इन मियां जी को देखकर कोई हंसे या मजाक उड़ाए किंतु अपने ढंग से जीवन जीने वाले पर कुछ फर्क नही पड़ता। उसने अगर जीवन को जीने की ठान ली तो वह हर हालत में मस्त रहता है। इन साइकिल सवार मौलाना के चेहरे की मुस्कराहट में तो मुझे फकीरो की मस्ती,मस्तों की मुस्कराहट,प्रेम करने वालों की दीवानगी नजर आती है। सड़क चलते मौलाना को साइकिल चलातें देख मेरे मन का फोटोग्राफर के जागते समय यह नही लगा था कि बच्चों की साइकिल पर सफर कर रहा यह व्यक्ति अपने में इतना मस्त होगा।

4 comments:

Vinay said...

सार्थक!

naresh singh said...

आप की लेखनी आप को दूसरो से अलग करती है इसको कायम रखियेगा । word veryfication हटा दे ।

राहुल सि‍द्धार्थ said...

अच्छी पोस्ट.शुभकामनाऍ..

मनोज अबोध said...

vaah !!! kaddu bijnori !!!