Monday, October 2, 2023

क्या भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है?

क्या भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है? अशोक मधुप क्या भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश के गढ़ को फतह करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है? बीजेपी सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को यूपी से अलग प्रदेश बनाने जाने की मांग कर इस आंशका को बढ़ा दिया है। बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं की मेरठ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में संजीव बालियान ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य बने। इसके बाद यह देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा।केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक अलग राज्य बने और मेरठ उस राज्य की राजधानी हो। इसकी मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका। बाद में पत्रकारों से रूबरू केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने इस मुद्दे को विस्तार देकर बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश केवल नौ करोड़ की आबादी वाला इलाका है। यूपी में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला इलाका है और यह इलाका शिक्षा, कृषि, उद्योग से समृद्ध भी है। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य बनता है तो यह देश का सबसे बेहतरीन राज्य होगा। यहां विकास की अपार संभावनाएं होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी मेरठ बने। सब जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी राजधानी भी मेरठ को कहा जाता है। बेहतर कानून-व्यवस्था, अयोध्या में श्रीराममंदिर और जन कल्याणकारी योजनाओं को देने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में बीजेपी की राह आसान नहीं दिखती। घोसी के विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद अब बीजेपी को इंडिया गठबंधन लोकसभा की राह का रोड़ा प्रतीत हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विजय तो उससे पहले ही दूर थी। अब और ज्यादा दुरूह लग रही है।भाजपा इसी इंडिया गठबंधन की काट निकालने की कोशिश कर रही है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग− अलग समाज के लोगों से विचार कर मंथन कर रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की चुनावी वैतरणी से कैसे पार लगा जाए । केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण बहाली को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन का मूड बनाए बैठे हैं। इस आंदोलन की काट ढूंढने के लिए का रविवार को मेरठ में आयोजन किया। इस आयोजन में हर एक राजनीतिक दल के नेता आमंत्रित किए गए थे। पश्चिमी यूपी को हरित प्रदेश बनाकर अलग राज्य का दर्जा देने की मांग करीब तीन दशक पुरानी है। इस क्षेत्र में समाज के हर वर्ग के लोग अलग राज्य की मांग के लिए आंदोलन करते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह इलाका है या यहां उद्योग धंधे नहीं हैं। यहां के लोगों की मुख्य शिकायत प्रमुख प्रशासनिक केंद्रों का विकेंद्रीकरण न होना है। अधिकतर सभी प्रमुख संस्थान लखनऊ और उसके पास ही केद्रिंत हैं।है।पश्चिमी उत्तर प्रदेशवासियों को यहां जाने में काफी परेशानी उठानी पडती है।इलाहाबाद हाईकोर्ट की पश्चिम में अलग बैंच बनाने की मांग तो 1956 से चली आ रही है।पश्चिम उत्तर प्रदेश के वादकारियों और अधिवक्ताओं की मांग रही है कि लाहोर से ज्यादा दूर उन्हें इलाहाबाद पड़ता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बैंच बने इस मांग को लेकर 1980 में तीर्व आंदोलन हुआ था। इसे पूरा न होते देख सुझाव आया कि हाईकोर्ट की बैंच की मांग छोडकर अलग प्रदेश की मांग करो। अलग प्रदेश बनेगा तो बैंच नहीं प्रदेशा का अपना ही हाईकोर्ट होगा। पश्चिमी यूपी का इलाका हर दृष्टि से प्रदेश के अन्य हिस्सों से आगे है। यहां के निवासियों का आरोप रहा है कि हमारे द्वारा दिया गया राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में लग रहा है। प्रदेश में लगभग छह साल से भाजपा की सरकार है।इस दौरान भी कुछ नही हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में शिकायत रही है कि उनका ध्यान पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर के विकास पर ज्यादा है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा के कारण कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कभी हरित प्रदेश के नाम से लोगों ने संघर्ष किया है, पर आज तक मांग नहीं सुनी गई। उत्तराखंड को अलग किए जाने के बाद यह मांग और ज्यादा मुखर हुई थी ।मायावती अगर अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव ला चुकी हैं। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के बारे में प्रधानमंत्री कोभी अपने मुख्यमंत्री काल में पत्र लिख चुकी हैं। बिजनौर के स्वामी ओमवेश ने 1989 में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मुरादाबाद, अमरोहा, बंदायू, आगरा, बरेली व शाहजहांपुर समेत 17 जिलों को मिलाकर गंगा प्रदेश बनाने की मांग की थी। इस मांग को लेकर उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर इसके लिए प्रदर्शन भी किया था। स्वामी ओमवेश के साथ इस आंदोलन में पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, वीरेंद्र वर्मा, सोहनवीर सिंह समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम नेता शामिल हुए थे। इस मुद्दे पर ये तमाम नेता एकजुट हो गए थे।स्वामी ओमवेश ने 1996 तक गंगा प्रदेश को अलग राज्य बनाने का आंदोलन चलाया था। बाद में ये मुद्दा दब गया। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने हरित प्रदेश बनाने की मांग करते हुए 1992 में इस मुद्दे को फिर हवा दी। उन्होंने जोर शोर से अलग प्रदेश बनाने का यह मुद्दा उठाया था। लगभग दो साल पहले बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर ने संसद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने का मुद्दा उठाकर इसे फिर से हवा दे दी है। उन्होंने छोटे राज्य के फायदे भी बताए। सांसद ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग राज्य बनने से राजस्थान सरकार ने पिछड़ों के साथ जो अन्याय किया है, उसकी भरपाई की जा सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की पहले भी मांग उठती रही है। लोकसभा चुनाव से साल में भाजपा के राज्य मंत्री की इस मांग से ऐसा लगता है कि भाजपा के उच्च नेतृत्व में कुछ चल रहा है। मंथन हो रहा है। हो सकता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विपक्ष को चित्त करने के लिए लंबे समय से चली आ रही पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग पूरी कर दे। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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