Friday, October 27, 2023

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुरूप भारत को तैयार कीजिए

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुरूप भारत को तैयार कीजिए अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन नई रिपोर्ट चौंकाने वाली है।भारत के लिए ये चिंताकर है। भारत चीन सीमापर रिपोर्ट चीन की युद्ध तैयारी का खुलासा करती है। साथ ही इस बात का संकेत है कि भारत को अपनी सुरक्षा को बहुत मजबूत करना होगा। अपने बूते पर मजबूत करना होगा। स्वदेशी तकनीक से मजबूत करना होगा।अपने को इस तरह ढालना होगा कि एक साथ दो देशों से युद्ध की स्थिति का वह मजबूती के साथ मुकाबला कर सके। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन नई रिपोर्ट भारत के सचेत करने के लिए है। इसमें कहा गया है कि चीन भारत से लगी सीमा एलएसी (लाइन आफ एचुअल कंट्रोल )पर बड़े स्तर पर जंग की तैयारी कर रहा है।पेंटागन की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन एलएसी पर अपने सैन्य जमावड़े को कम नहीं कर रहा है। बल्कि बदले वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। वह सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। परमाणु हथियार से लेकर लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की क्षमता में इजाफा कर रहा है। चीन एलएसी के पास अंडरग्राउंड स्टोरेज सुविधा, सड़क, दोहरे इस्तेमाल वाले गांव, एयर फिल्ड और हेलीपैड बना रहा है।चीन युद्ध के सभी डोमेन में अपनी सेना को सक्रिय रूप से आधुनिक बना रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक चीन की सेना को विश्व-स्तरीय बनाने का है। चीन ने 3,488 किलोमीटर लंबे एलएसी के पास अपनी सेना को 2023 में भी तैनात रखा। चीन ने एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख) में शिनजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के डिवीजनों द्वारा समर्थित सीमा रेजिमेंटों को तैनात किया है। ये बल टैंक, तोपखाने, एयर डिफेंस मिसाइल और अन्य हथियारों से लैस हैं। इसके अतिरिक्त, चीन ने पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) और सेंट्रल (उत्तराखंड, हिमाचल) क्षेत्रों में लाइट-टू-मेडियम संयुक्त-आर्म्स ब्रिगेड (सीएबीएस) को तैनात किया है। चीन के डोकलाम के पास भूमिगत भंडारण सुविधाएं तैयार की है। वह एलएसी के पास नई सड़कें बना रहा है। चीन ने भूटान में विवादित क्षेत्रों में नए गांव बसाए हैं। उसने पंगोंग झील पर दूसरा पुल तैयार किया है। इसके साथ ही हवाई अड्डे और कई हेलीपैड तैयार किए हैं। दोनों देशों की सेनाएं लगभग तीन साल से आधुनिक शस्त्रों के साथ आमने−सामने हैं। भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार पूर्वी लद्दाख सेक्टर में 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। कई जगह तो वह बहुत ही नजदीक हैं। भारत चीन के बीच सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल रहा। सीमा पर तनाव होने के बावजूद शांति है। तीन साल पहले हुए गलवान घाटी संघर्ष के और बाद में 2022 में अरुणाचल के तवांग घाटी में बाद कोई घटना नहीं हुई। यह सब बहुत ही अच्छा है। लेकिन चीन के इरादे कुछ और कहतें हैं। उसकी तैयारी कुछ और इशारा करती हैं।हालाकि वह पहले भी कभी ऐसा पड़ौसी नही रहा, जिसका यकीन किया जा सके, जिस पर विश्वास किया जा सके। दूसरे अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की नई रिपोर्ट अब आई है किंतु सीमा के हालात से भारत वाकिफ नही होगा, ऐसा नही लगता।उसे भी सब पता होगा। आज दुनिया के हालात बहुत बदले हुए हैं।भारत का संकट का मित्र रूस यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ। अमेरिका और मित्र देश यूक्रेन की शस्त्र आदि से पूरी मदद कर रहे हैं।ऐसे हालात में रूस और चीन की नजदीकी बढ़ रही है।ऐसे में चीन से युद्ध में रूस हमारे साथ आएगा, ऐसा नही लगता।उसे तो यूक्रेन युद्ध में अपनी फंसी टांग निकालने से ही समय नही मिल रहा।हालाकि आज अमेरिका का रवैया बता रहा है कि वह भारत के साथ है किंतु वह कभी विश्वसनीय मित्र नही रहा। यहीं हाल उसके मित्र देश कनाडा आदि का है।कनाडा से तो एक सिख आतंकी की कनाड़ा में मौत के बाद भारत के रिश्ते काफी खराब हुए हैं। अमेरिका और उसके कई मित्र देश भारत के फरार और इनामी आंतकियों को शरण दिए हुए हैं।हालांकि चीन के मुकाबले के लिए अमेरिका को भारत की बड़ी जरूरत है। वह मानता है कि चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए उसे भारत का साथ चाहिए।किंतु अमेरिका ड़ेढ साल से ज्यादा समय से रूस के साथ चल रहे यूक्रेन के युद्ध में सभी तरह से यूक्रेन की मदद कर रहा है। अब उसके मित्र देश इस्राइल और हमास में युद्ध शुरू हो गया। यहां भी उसे इस्राइल की शस्त्रों आदि से मदद करनी पड़ रही है। इस्राइल हमारा मित्र देश है किंतु वह खुद युद्ध में लगा है।ऐसे में संकट में हमें इन सबसे मदद की उम्मीद नही करनी चाहिए। युद्ध के लिए हमें युद्ध का अपने बूते पर अपनी तकनीक से मुकाबला करना होगा।हालाकि वर्तमान हालात में जबकि अमेरिका यूक्रेन और इस्राइल में फंसा है, चीन के लिए अच्छा अवसर है कि वह वियतनाम पर कब्जा करले। वियतनाम पर वह काफी समय से गिद्ध दृष्टि लगाए है। बार बार वियतनाम के पास युद्धाभ्यास करने में लगा हुआ है। जो भी हो चीन की तैयारी हमें यह बताने के लिए काफी है, कि उसका कोई भरोसा नही किया जा सकता। दूसरे दुनिया की दो शक्तियां अमेरिका और रूस यूक्रेन में लगी हैं। अब अमेरिक इस्राइल में फंस गया । दुनिया की तीसरी शक्ति चीन अभी शांति के साथ अपने को मजबूत करने में लगा है। उससे भारत के लिए सदा सचेत रहने और उससे युद्ध के लिए अपने को तैयार करने के लिए लगे रहना होगा। भारत का इसके लिए भी तैयार रहना होगा, कि चीन के साथ युद्ध की हालत में चीन का मित्र देश पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ मोरचा खोल सकता है।इसे देखते हुए एक साथ दो मोरचों पर युद्ध के लिए तैयार करना होगा। अब तक चीन का रवैया युद्ध करना नहीं, युद्ध का हौवा खड़ा करके सामने के देश पर दबाव बनाकर लाभ उठाना रहा है। किंतु इस बार वह अपनी इस रणनीति में कामयाब नही हो पा रहा। चीन ने भारत सीमा पर सेना बढ़ाई तो भारत ने भी सीमा पर सैना तैनात कर दी। इतना ही नहीं भारत ने आधुनिक तोप और लड़ाकू विमान भी तैनात कर दिए हैं। चीन से बात करने के लिए सामने वाले का मजबूत होना और सीना तान कर सामने खड़ा होना जरूरी है। आज भारत इस हालत में है। उसने स्पष्ट भी कर दिया है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिये तैयार है। पूरा देश जानता है कि चीन हमारा दुश्मन है, कभी दोस्त नहीं हो सकता। इसके बावजूद सस्ते के लालच में हम चीन का बना सामान खरीद रहे हैं। हममें देशभक्ति सिर्फ सोशल मीडिया पर नजर आती है। फेसबुक पर नजर आती है, व्हाटसएप पर नजर आती है, इंस्ट्रागाम पर दिखाई देता है। व्यवहार में ऐसा नहीं है। चीन के सीमा पर सेना तैनात करने के बाद से चीनी सामान बहिष्कार का आंदोलन इस तरह चला था कि लगता था कि कोई भारतीय चीन का बना सामान नहीं खरीदेगा। किंतु हो इसके विपरीत रहा है। इस साल की पहली छमाही में भारत को चीन का निर्यात 56.53 अरब डॉलर का रहा। यह एक साल पहले के 57.51 अरब डॉलर से 0.9 फीसदी कम है। चीनी कस्टम्स द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकार मिली है। वहीं, चीन को भारत का निर्यात इस अवधि में कुल 9.49 अरब डॉलर रहा। यह एक साल पहले 9.57 अरब डॉलर रहा था। इस तरह साल 2023 की पहली छमाही में व्यापार घाटा एक साल पहले के 67.08 अरब डॉलर से घटकर 47.04 अरब डॉलर रह गया। पिछला साल भारत-चीन व्यापार के लिए बंपर ईयर रहा था। यह पिछले साल 135.98 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। साल 2022 में कुल भारत-चीन व्यापार 8.4 फीसदी की बढ़त के साथ एक साल पहले के 125 अरब के आंकड़े को पार कर गया था। व्यापारी चीन से माल खरीदकर बेचने से बाज नही आ रहा और जनता सस्ते के लालच में उसे खरीद रही है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि चीन से आने वाले सामान पर आयात शुल्क ज्यादा लगाकर और चीन से आ रहा सामान देश में बनाकर चीन से आयात कम करना होगा। भारत को वर्तमान हालात में अपने को युद्ध के लिए, आने वाले युद्ध की चुनौती के लिए युद्ध स्तर पर अपने को तैयार करना होगा। अपने को मजबूत बनाना होगा। घर में बैठे गद्दारों से सचेत रहना होगा।हालाकिं भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसमें लगातार लगी है।किंतु जरासी चूक और लापरवाही देश को भारी पड़ सकती है। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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