Friday, May 9, 2014

सपेरे का साक्षात्कार

बहुत भागदौड़ के बाद उस व्यक्ति को आखिर मैने खोज ही लिया , जिसने उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री की कार में सांप डाल दिया था। पत्रकारजनित उत्सुकता से मैने उससे पूछ ही लिया-भाई तुम्हें क्या सूझी? मंत्री जी की कार में सांप क्यों छोड़ दिया? वह मुसकराकर बोला -कोई खास बात नहीं । मै तो सपेरा हूं। सांपो से खेलता हूं। उन्हें दुलराता हूं। प्यार करता हूं। । अपने परिवारजनों की तरह उन्हें पालता हूं। इसी कारण वे मेरा कहा मानतें हैं। मेरी मर्जी पर जनता का मनोरंजन करतें हैं। नेता जी को देखकर मैने सोचा कि जरा इनकी विद्वता परख ली जाए। ये नए- नए नारे लगातें है । सारी जनता को मूर्ख बनाते हैं। कभी गरीबी हटाओ की बात करतें हैं। तो कभी रामराज्य का सपना दिखातें हैं। हर बार चुनाव में अलग - अलग तरह के मुखौटे लगाकर जनता के बीच आते हैं। बार - बार उसे भरमातें हैं। छलकर चले जातें हैं। बस मैने इनकी प्रतिभा परखने के लिए इनकी गाड़ी में सांप डाला था। मैं देखना चाहता था कि ये मेरे सिखाए सांप को भी बेवकू फ बना पातें हैं, या नहीं। वह ठहाका लगाते हुए बोला-कार में सांप डालते ही कमाल हो गया। सारी जनता को बेवकूफ बनाने वाले नेता जी को सांप सूंघ गया। सांप को पढ़ाने की जगह कार से भागकर जान बचाई। काश नेता जी जानते कि सांप भी दोस्त -दुश्मन को अच्छी तरह पहचानता हैं। प्यार करने वाले को नहीं काटता । काटता उसे ही है, जिससे खतरा जानता है। वैसे सापों के भी कुछ उसूल होतें हैं। वे उन्हें मानते हैं। सब जगह टेड़े चले किंतु बांबी में सीधे ही अंदर जातें हैं। दूसरे 90 प्रतिशत सांपों में जहर नहीं होता। किंतु नेता का कुछ नहीं बांबी हो या घर कब क्या करदें कुछ पता नहीं? सापंो से ज्यादा ये जहरीले होंते है। ये तो कब किसे डसलें कुछ नहीँ कहा जा सकता। मौका पड़ने पर किराए के बदमाशों से अपने ही जुलूस पर पत्थर फिंकवा लेते हैं। और को तो क्या बकशेगें, ये तो राजनीति की खातिर आतकवादियों से अपनी बेटी तक का अपहरण करा लेंते है। जीवन से ज्यादा प्यार करने वाली पत्नी और पे्रमिका को कभी भी मार या मरवा देतें हैं। कभी तो पत्नी के टूकड़ो को तंदूर में जलवा देतें हैं। कैसे नेता जी हैं ये मैने जरा सा झटका दिया तो भाग खड़े हुए। जरा सी देर में नानी याद आ गई। सब लग गये मेरी खुशामद करने। गिड़गिड़ाते देख मैन भी अपने सांप को पकड़कर अपनी झोली में डाल लिया। -अशोक मधुप

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