Wednesday, September 23, 2009

मेरी पंसद की श्रीमती तारा प्रकाश की कविता


पिछले दिनों मुजफ्फरनगर के भाजपा नेता एवं पूर्व पालिकाध्यक्ष डाक्टर सुभाष चंद्र शर्मा मुझे श्रीमती तारा प्रकाश की दो पुस्तकें दे गए। पुस्तक बहुत अच्छी थी,एक रात में पढ गया किंतु आंखों की समस्या के कारण कुछ लिख नहीं सका । डाक्टर शर्मा का आभार व्यक्त करते हुए तारा प्रकाश की एक पंसदीदा रचनां दे रहा हूं।
मुश्किलें तों आएँगी

मुश्किलें तों आएँगी
हिम्मत ना हारिए।
सभी को प्यार कीजिए,
जीवन संवारिए /
हारना हो कुछ अगर ,
जीवन की दौड में ,
तो हंसते हंसते प्यार में
बस खुद को हारिए।
स्वार्थ तो अपने यहां साधतें हैं सब,
हो सके तो जिंदगी दूजों पे वारिए।
दोस्त गर मिलते रहे ,
तो जिंदगी कट जाएगी,
दुशमन तो खुद के आप हैं,
बस खुद को मारिए।
दुनिया की तो फितरत यहां,
सबको डुबोना ही रही,
फितरतों को भूलकर,
हां सबको तारिएं।
श्री मती तारा प्रकाश
सच हुए सपने से साभार


1 comment:

निर्मला कपिला said...

हारना हो कुछ अगर ,
जीवन की दौड में ,
तो हंसते हंसते प्यार में
बस खुद को हारिए।
स्वार्थ तो अपने यहां साधतें हैं सब,
हो सके तो जिंदगी दूजों पे वारिए।
सुन्दर और सार्थक संदेश देती कविता के लियी श्रीमती तारा जी को बहुत बहुत बधाई