tag:blogger.com,1999:blog-4337051175126516614.post2993037989069061313..comments2024-03-01T13:43:10.224+05:30Comments on लिखाड़ी: मेरी पंसद की श्रीमती तारा प्रकाश की कविताbijnior districthttp://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4337051175126516614.post-48297968907191167542009-09-23T09:56:47.962+05:302009-09-23T09:56:47.962+05:30हारना हो कुछ अगर ,
जीवन की दौड में ,
तो हंसते हंसत...हारना हो कुछ अगर ,<br />जीवन की दौड में ,<br />तो हंसते हंसते प्यार में<br />बस खुद को हारिए।<br />स्वार्थ तो अपने यहां साधतें हैं सब,<br />हो सके तो जिंदगी दूजों पे वारिए।<br />सुन्दर और सार्थक संदेश देती कविता के लियी श्रीमती तारा जी को बहुत बहुत बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com