अशोक मधुप
वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्तों के बढ़ते खतरे पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली/ एनसीआर के नागरिक प्रशासन और स्थानीय निकाय को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इनमें आवारा कुत्तों को पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और उन्हें आश्रय गृह में रखने के निर्देश दिये गए हैं।सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन आवारा कुत्तों के खिलाफ कार्रवाई में अड़ंगा डालता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई करें। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि 'एनसीटी-दिल्ली, एमसीडी, एनए
जस्टिस पारदीवाला ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि 'नसबंदी हो चुकी है या नहीं, सबसे पहली चीज है कि समाज आवारा कुत्तों से मुक्त होना चाहिए। एक भी आवारा कुत्ता शहर के किसी इलाके या बाहरी इलाकों में घूमते हुए नहीं पाया जाना चाहिए। हमने नोटिस किया है कि अगर कोई आवारा कुत्ता एक जगह से पकड़ा जाता है और उसकी नसबंदी करके उसे उसी जगह छोड़ दिया जाता है, ये बेहद बेतुका है और इसका कोई मतलब नहीं बनता। आवारा कुत्ते क्यों वापस उसी जगह छोड़े जाने चाहिए और किस लिए?' पीठ ने कहा कि हालात बेहद खराब हैं और इस मामले में तुरंत दखल दिए जाने की जरूरत है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने भी अदालत से अपील की कि वे इस मामले में सख्ती से दखल दें ताकि आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान हो सके। मेहता ने कहा कि नसबंदी से कुत्तों की सिर्फ संख्या बढ़नी रुकती है, लेकिन रेबीज का संक्रमण फैलाने की उनकी क्षमता कम नहीं होती।
सवाल यह है कि ये आदेश दिल्ली /एनसीआरके लिए ही क्यों हैं।देश में भी तो नागरिक रहते हैं। उनके लिए क्यों नही। आवारा कुत्तों का आंतक तो पूरे देश में है। देश में कुत्तों के काटने से औसतन प्रति वर्ष 29 हजार से ज्यादा व्यक्ति मरते हैं। यह तो संख्या वह है जो रिपोर्ट हो जाती है। गांव देहात के मामले से रिपोर्ट ही नही हो पाते। न वे खबरों की सुर्खियां बनते हैं।
उत्तर प्रदेश का बिजनौर बहुत छोटा जिला है। यहां हाल ही में 24 जुलाई की शाम थाना अफजलगढ़ क्षेत्र के गांव झाड़पुरा भागीजोत में खेत पर काम कर रहीं 65 वर्षीय वृद्धा को आवारा कुत्तों के झुंड ने नोच कर मार डाला। तीन अगस्त को हीमपुर दीपा के गांव गांगू नंगला में हिंसक कुत्ते ने हमला कर दो बच्चों सहित 10 लोगों को बुरी तरह से घायल कर डाला। छह जून 2025 को अफजलगढ़ में पांच साल की बच्ची यास्मीन को आवारा कुत्तों के झुंड ने नोच-नोचकर मार डाला. दरअसल, बच्ची मां के साथ दूध लेने गई थी और पीछे रह जाने पर बच्ची कुत्तों के हि लग गई।
23 अक्तूबर 2023 को देश की प्रमुख चाय कंपनियों में से एक वाघ बकरी चाय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई का निधन हो गया है। मीडिया खबरों के मुताबिक 49 साल के पराग पिछले हफ्ते अहमदाबाद में मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया। खुद को बचाने में वह फिसलकर गिर गए और उन्हें ब्रेन हेमरेज होने से निधन हो गया ।
भारत सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल संसद में हुए एक सवाल का जवाब देते हुए बताया कि 2019 में 72 लाख 77 हजार 523 कुत्तों के हमले रिपोर्ट हुए। वहीं साल 2020 में कुल 46 लाख 33 हजार 493 कुत्तों के हमलों रिपोर्ट हुए, जबकि साल 2021 में कुल 1701133 कुत्तों के काटने के मामले रिपोर्ट हुए।साल 2022, जुलाई तक भारतीय लोगों पर हुए कुत्तों के हमले की कुल संख्या स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 14 लाख 50 हजार 666 थी। इन हमलों में कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। ये हमले आवारा और पालतू दोनों कुत्तों के हैं। इसके साथ ही इन हमलों के शिकार, बच्चे, बुजुर्ग और जवान तीनों हुए हैं।
साल 2018 में मेडिकल जर्नल लैंसेट में छापी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में हर साल 20 हज़ार लोग रेबीज के कारण मरते हैं. इनमें से ज्यादातर रेबीज के मामले कुत्तों द्वारा इंसानों तक पहुंचे हैं।ऐसा नहीं है कि हर कुत्ते के काटने से आपको रेबीज हो सकता है, लेकिन ज्यादातर आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज का खतरा रहता है। कुत्तों के इन हमलों के सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे ,महिलाएं और जवान होते हैं।
सुप्रीम कार्ट को यह समझना होगा कि अवारा कुत्तों की परेशानी दिल्ली− एनसीआर में ही नही है, ये पूरे भारतवर्ष की समस्या है।देश के देहात के तो हडवार ( मरे जानवर डालने के स्थान के पास) रहने वाले कुत्ते तो और भी ज्यादा खतरनाक होते हैं।ये महिलाएं,बीमार और बच्चों समेत अकेले आते जाते व्यक्ति को मारकर उसके मांस से अपना पेट भरतें हैं ।आवारा कुत्तों की समस्या भारत व्यापी है । इसलिए इस मामले पर कार्रवाई भी देशव्यापी होनी चाहिए।
अशोक मधुप
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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