Friday, April 13, 2018

किस्सा हिरन के शिकार का


किस्सा हिरन के  शिकार का 
मंडल के बड़े अधिकारी कर चुकें हैं कार्बेट में हिरन का शि‌कार

फिल्म कलाकार सलमान खान को राजस्थान में हिरन का शिकार करने में सजा हुई। मुरादाबाद मंडल के अधिकारी तो बहुत पहले नेशनल कार्बेट पार्क में हिरन का शिकार कर चुकें हैं।लेकिन तब शासन का दबदबा होने के चलते केवल इन अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया था।मुकदमें भी दर्ज हुए थे।
यह घटना है साल 1982 में नए साल की ।बिजनौर के तत्कालीन डीएम अनीस अंसारी शौकीन मिजाज थे। खुद तो शायर थे  ही । शाम को उनकें यहां शायरों की महफिल जमती। नए साल का जश्न मनाने का प्रोग्राम बनाया था। इसके लिए वे मंडलायुुक्त मुरादाबाद अरविंद वर्मा और डीआईजी मुरादाबाद बीएस माथुर को भी  आंमत्रित किया गया। तत्कालीन एसपी एके सिंह भी इनके साथ थे। कालागढ़ में नए साल का जश्न मनाया गया।वहां सभी अधिकारियों ने रामगंगा में बोट‌िंग का आनंद लिया। बोट से ही कार्बेट में चले गए। तत्कालीन एसपी एके सिंह के साथ उनके बेटे भी थे। एकेसिंह के बेटे ने कार्बेट में शिकार करते हुए हिरन को गोली मार दी। बंदूक चलने की आवाज सुनकर आसपास मौजूद वन अधिकारी मौके पर आ गए। तब तक हिरन मर चुका था। उन्होंने शिकार के बारे में पूछा तो एसपी एके ‌स‌िंह का बेटे ने वन अधिकारियों को धमकाना शुरू कर दिया। वन अध‌िकारी ने इन सब को हिरासत में ले लिया। कार्बेट में सांसद अरूण नेहरू भी रूके हुए थे। कमिश्नर, डीआई, डीएम और एसपी जैसे अधिकारियों के शिकार करने पर अरूण नेहरू बहुत नाराज हुए। उन्होंने शासन से इन अधिकारियों के विरूद्घ कठोर कार्रवाई करने को कहा।  उस समय एसडीएम नगीना बिजेंद्र पाल सिंह के स्टेनो थे। बिजेंद्र पाल ‌सिंह भी इन अधिकारियों के साथ जाना चाहते थे पर किसी कारण से जा नहीं सके थे। पहले उन्हें बड़े अधिकारियों के साथ न जाने का अफसोस था।बाद में कार्बेट में शिकार की घटना पता चलने पर उन्होंने बहुत खुशी मनाई ।कहा था कि वे बाल बाल बच गए।
मंडलायुक्त जैसे अधिकारियों का मामला होने के कारण कार्बेट प्रशासन ने इन्हें हाथों हाथ जमानत दे दी थी। किंतु यह मामला इन सब अ‌ध‌िकारियों को भारी पड़ा। बिजनौर पुलिस अधीक्षक एके सिंह का 15 जनवरी को शासन ने तबादला कर दिया।डीएम अनीस अंसारी को 20 जनवरी, मंडलायुक्त अरविंद सिंह को 21 जनवरी को हटा दिया गया। डीआइजी भी इसीअवधि में हट गए।इन अधिकारियों पर मुकदमे चले।एके सिंह को तो इसका बहुत बड़ा खाम‌ियाजा भुगतना पड़ा। उनका प्रमोशन रूका रहा। सेवा निवृति से एक दिन पहले उन्हें सब मामला निपटाकर प्रमोशन दिया गया। बिजनौर के पुराने पत्रकार एंव कलेक्ट्रेट कर्मी इस घटना को नहीं भूले।‌
अशोक मधुप

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