Sunday, June 20, 2021

गुदड़ी का वार्षिक मेला

 गुदड़ी का वार्षिक मेला , हमारे गाओं के पास वाले गाओं में सावन के महीने में लगता था ! अब से ७० वर्ष पहले , झालु से हल्दौर जाने का कोई और साधन नहीं था , या तो पेद ल  जाओ या बैलगाड़ी से ! बस या रेलगाड़ी की सुविधायें नही थी ! हम लोग बारिश में भीगते झालु से अन्य लोगों के साथ , लहभग प्रत्येक वर्ष ही मेला दहकने जाते थे ! हल्दौर का यह मेला , हल्दौर के चौहान राजा ने शुरू किया था और वह ही हर साल इसका प्रभंध करते थे ! उनके भविये महल के सामने एक बहुत बड़ा तालाब था, जिसके चारों ओ र लकड़ी की सुंदर जंगला लगा था ! उसी तालाब के चरों ओर मेला लगता था ! मेले में , स्वांग, मौत का कुंवा, जादूगरों के करतब , घूमने वाले झूले , उस समय  के हिसाब से बहुत बहुत आकर्षण की वस्तुवें होती थीं ! खाने पीने की दुकानें, खेल खिलौनों की दुकाने ! शाम को जब, तालाब के चरों और रोशनी क्र दी जाती थी, तो विशेष आकर्षण हो जाता था ! हम बच्चों के लिए बहुत आनंद का होता था यह मेला ! मेले के आख़री दिन , राजा जी का खूब सजा हुवा  बेडा , रात्रि में तालाब में घूमता था ! उनकी हाथी पर सवारी निकलती थी !

बचपन की एक घटना याद आती है! एक वर्ष  मैं , अपने परिवार के मित्र श्री बसंत राम जी के साथ मेला देखने, हल्दौर गया! वोह , अपने   साड्डू  के घर पर रुके थे ! वर्षा हो रही थी, शाम भी हो गए थी, इस लिए अब रात्री को वहीं रुकना था! उनका घर अच्छा बड़ा घर था ! शाम को खाना लगाया जाया तो में यह कह क्र खाना खाने से मना क्र दिया  कि  अम्मा ने कहा है कि किसी के घर खाना नहीं खाते हैं ! सभी बहुत हांसे भी और मुझे खाने के लये मानते भी रहे ! बड़ी मुश्किल से मैंने उनके यहां खाना खाया ! बाद में, चाचा , बसंत राम जी मुझे चिढ़ाते भी रहे कि घर चल कर , तुम्हारी अम्मा को बताएँगे कि तुमने , हल्दौर में  खाना खाया था ! आज , वह सोच कर मुझे भी उस बचपन की बात पर हंसी आती है ! मेले की झलकियां भी अपनी यादें


https://davendrak.wordpress.com/category/biography/

(अब ये मेला नही लगता। कई साल पहले से लगना बंद हो गया)

No comments: