Thursday, January 30, 2020

रामकुमार वैद्य

जब भी बंसत आएगा, सदा याद आंएगे रामकुमार वैद्य
जन्म तिथ‌ि 20 फरवरी 1920
निधन 22 जुलाई 1992
फोटो
अशोक मधुप
बिजनौर ,जब भी बसंत या बसंतोसव का जिक्र होगा, तो बिजनौर के स्वर्गीय राम कुमार वैद्य को सदा याद किया जाएगा। बिजनौर में बसंत पर वह कई दिन कार्यक्रम कराते थे। बसंत से एक माह पूर्व से कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो जाती थी।
बसंत के तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे।अंतराष्ट्रीय स्तर का कवि सम्मेलन होता।खेल होते।वैद्य थे। अतःवनौषधि -प्रदर्शनी भी लगती। बच्चों के खेल होते थे। वे खुद वालीबॉल के खिलाड़ी थे। तो वालीबाल की स्पर्धा होनी ही थी।
उनके साथी प्रसिद्घ आर्य समाजी नेता जयनारायण अरूण बतातें हैं कि वैद्य जी के साथ नगर के गणमान्य व्यक्तियों की टीम भी एक माह पूर्व से इसकी तैयारी में लग जाती थी। ये याद करते हुए बतातें हैँ कि पत्रकार विश्वामित्र शर्मा देवीशरण शर्मा धामपुर, अभिमन्यु कुमार पाठक , आत्माराम शर्मा, त्रिलोकी नाथ खन्ना, आनन्द गुप्ता आन्नद भाई, शत्रुघ्न वर्मा, आदित्यनारायण मिश्रा ,अब्दुल वहाब,मुहम्मद अफसर आदि की टीम थी। आर्थिक मदद उदय कुमार विश्नोई और पंडित जुगल किशोर शर्मा आदि करते थे।
रामलीला मैदान में कार्यक्रम होते थे। पूरा मैदान पीली बंदरवाल से सजाया जाता था। वैद्य जी और उनकी टीम खुद पीले वस्त्र पहनती थी। कार्यक्रम के विजेताओं को पुरस्कार दिए जाते थे। वनौषधि प्रदर्शनी के साथ- साथ समाचार पत्रों की भी प्रदर्शनी लगाते थे।
जय नारायण अरूण जी बतातें हैं कि वैद्य जी बहु प्रतिभा धनी थे। आयुर्वेद के कई ग्रंथ कंठस्थ थे। वैद्य जी मूल रूप से पैजनियां , बिजनौर निवासी थे |। पत्रकार थे।"कण्व भूमि "नाम से अपना साप्ताहिक निकालते।दिल्ली से निकलने वाले नवभारत टाइम्स के लंबे समय तक बिजनौर जिला मुख्यालय पर रिपोर्टर थे। वालीबॉल के खिलाड़ी थे। सिविल लाइन्स में उनकी शंकर औषधालय नाम से दुकान थी।बाद में नजीबाबाद बस स्टेंड पर आ गए थे।उनकी सिविल लाइन की दुकान पर बड़ा बेटा हरीश बैठने लगा। वैद्य जी की अपनी फार्मेसी थी।
बिजनौर के लेखक शकील बिजनौरी बतातें हैं कि रावली में कण्वाश्रम की स्थापना के लिए उन्होंने बहुत कार्य किया। नई बस्ती निवासी श्री चंद्र शेखर शास्त्री और उन्होंने कण्वाश्रम समिति बनाई। इस समिति के नाम साठ बिघा भमि भी प्रशासन से अलाट कराई ।रावली के स्कूल प्रांगण में कण्वऋषि की प्रतिमा लगवाई।इसका उद्घाटन उन्होंने पूर्व रक्षमन्त्री जगजीवन राम से कराया था।
जय नारायण अरूण जी कहते हैं कि उनके निधन के बाद बंसतोत्सव पर कार्यक्रम होने बदं हो गए। कण्वभूमि अखबार जरूर कुछ साल तक चला। सांध्य दैनिक भी निकला। बाद में बंद हो गया।
अशोक मधुप
 30 janvari Amar ujala .BIJNOR