Monday, October 30, 2023

देश के आम आदमी की चिंता कौन करेगा?

 देश के आम आदमी की चिंता कौन करेगा?

अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

आवारा पशुओं के कारण  देश में दुर्घटनाएं बढ रही हैं।इन दुर्टनाओं में बड़ी तादाद में वाहन चालक या पैदल मर रहे हैं। मरने से कई गुना  ज्यादा घायल हो रहे हैं किंतु किसी को  इनकी चिंता नही। चिंता है  तो  सड़कों और गली में घूमने  वाले  आवारा पशुओं की । जब भी सड़क के  इन पशुओं के विरूद्ध  कार्रवाई  की बात होती है, तो इन पशुओं के कल्याण  में लगे  संगठन विरोध में उतर आते हैं।वे सड़क के पशुओं की बात करते हैं।उनकी चिंता  करते  हैं।इनसे टकराकर मरने और घायल होने  वालों की चिंता किसी को  नहीं। आखिर सड़क पर चलने  वाले पैदल या वाहन चालक की सुरक्षा  और  उसके अधिकार की भी कौन करेगा?उनकी भी तो बात होनी चाहिए। उनकी सुरक्षाकी चिंता भी की जान चाहिए।उनकी हिफाजत की भी तो  चिंता की जानी चाहिए।

दो साल पुरानी सरकारी जानकारी के अनुसार देश में 2.03 करोड़ लावारिस पशु हैं।इनके हमले से हर दिन तीन व्यक्तियों की मौत  होती है। 3 साल में 38,00 लोगों ने गंवाई।  देश में आवारा पशुओं के हमलों से रोजाना होने वाली मौतों को लेकर केंद्र सरकार ने फरवरी में एक रिपोर्ट तैयार की। साल 2019 की गणना के हिसाब से देश में आवारा पशुओं की संख्या 2.03 करोड़ आंकी गई है।देश के महानगरों में सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण आवारा कुत्तेगाय और चूहे जैसे जानवर  हैं। यह बात अग्रणी टेक-फर्स्ट बीमा प्रदाता कंपनी एको की एको एक्सीडेंट इंडेक्स 2022’ रिपोर्ट में सामने आई ।रिपोर्ट के अनुसारदेश में सड़क दुर्घटनाओं का मुख्य कारण जानवर थेखासकर चेन्नई में जानवरों के कारण सबसे अधिक तीन प्रतिशत से ज्यादा दुर्घटनाएं दर्ज हुई हैं।इसमें कहा गया है कि दिल्ली और बेंगलुरु में जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं की संख्या दो प्रतिशत थी। देश के महानगरों में जानवरों के कारण होने वाले दुर्घटनाओं में कुत्तों के कारण 58.4 प्रतिशत तथा इसके बाद 25.4 प्रतिशत दुर्घटनाएं गायों के कारण हुईं।रिपोर्ट के अनुसार, ‘आश्चर्यजनक बात यह है कि चूहों के कारण 11.6 प्रतिशत दुर्घटनाएं हुईं।कंपनी के  अनुसारइस दुर्घटना सूचकांक में बेंगलुरुचेन्नईदिल्लीहैदराबादऔर मुंबई सहित मुख्य महानगरों में हुई दुर्घटनाओं का विवरण दिया गया है। ये कागजी आंकड़े हैं।ये  महानगरों के हालात हैं।  गांव  में  इन दुर्घटनाओं में मौत और घायलों का आंकड़ा  और भी कई गुना ज्याद होगा।

अभी देश की प्रमुख चाय कंपनियों में से एक वाघ बकरी चाय के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पराग देसाई का निधन हो गया है। मीडिया खबरों के मुताबिक 49 साल के पराग पिछले हफ्ते अहमदाबाद में मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। इस दौरान आवारा कुत्तों ने उन पर हमला कर दिया। खुद को बचाने में वह फिसलकर गिर गए और उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया था। उनका अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। ये बड़े  आदमी थे,  इसलिए  खबरों में आ गए, गांव देहात में तो कोई  इस और ध्यान भी नही देता। हाल में उत्तर प्रदेश के  मथुरा में एक बच्चे  को गाय ने हमला  करके  घायल कर दिया ।

उत्तर प्रदेश  के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह भी मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में चार लाख से ज्यादा आवारा पशु हैंजिन्हें अभी गौशाला भेजना बाकी है।  हालाकि गौशालाओं में  पहले ही दो  लाख से ज्यादा गौंवश  मौजूद है। हरियाणा में सड़कों पर घूम रहे गोवंश के कारण रूप में हर माह 10 लोग जान  गंवा रहे हैं।

भारत सरकार के स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय ने पिछले साल संसद में हुए एक सवाल का जवाब देते हुए बताया था कि 2019, 2020, 2021 और 2022 में देश में लोगों पर कुत्तों के कुल कितने हमले हुए हैं। इस जवाब के अनुसारसाल 2019 में 72 लाख 77 हजार 523 कुत्तों के हमले रिपोर्ट हुए। वहीं साल 2020 में कुल 46 लाख 33 हजार 493 कुत्तों के हमलों  रिपोर्ट हुएजबकि साल 2021 में कुल 1701133 कुत्तों के काटने के मामले रिपोर्ट हुए।

वहीं साल 2022, जुलाई तक भारतीय लोगों पर हुए कुत्तों के हमले की कुल संख्या स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, 14 लाख 50 हजार 666 थी। इन हमलों में कई लोगों ने अपनी जान भी गंवाई है। ये हमले आवारा और पालतू दोनों कुत्तों के हैं। इसके साथ ही इन हमलों के शिकारबच्चेबुजुर्ग और जवान तीनों हुए हैं।

आवारा कुत्तों के काटने से आपको रेबीज नाम की बीमारी हो जाती है। ये बीमारी इतनी घातक होती है कि अगर समय पर इसका इलाज नहीं कराया गया तो मरीज की मौत भी हो सकती है।  साल 2018 में मेडिकल जर्नल लैंसेट में छापी  इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में हर साल 20 हज़ार लोग रेबीज के कारण मरते हैं. इनमें से ज्यादातर रेबीज के मामले कुत्तों द्वारा इंसानों तक पहुंचे हैं।ऐसा नहीं है कि हर कुत्ते के काटने से आपको रेबीज हो सकता हैलेकिन ज्यादातर आवारा कुत्तों के काटने से रेबीज का खतरा रहता है।  कुत्तों के  इन हमलों के सबसे ज्यादा शिकार छोटे बच्चे और जवान होते  हैं।

दिल्ली  और  मध्य प्रदेश  समेत कई  राज्यों में तो हिंदुओं के गाय  प्रेम  का पशुपालक अनुचित लाभ  उठा रहे हैं।  वे सवेरे दूध  निकालकर अपने  पालतू गाय को चरने के लिए  खुला  छोड़  देते  हैं।ये गाय   सड़क और गलियों में घूमकर  अपना पेट भरते  हैं।कई  बार नागरिक इनके हमले के शिकार हो जाते  हैं। पालतू कुत्ते  भी  मालिकों की लापरवाही के कारण लोगों पर हमले करते रहते हैं।      

दो साल पहले केंद्र सरकार ने निर्देश  दिए थे कि आवारा पशुओं जिनमें गौवंश और विशेष तौर पर कुत्ते शामिल हैंउन्हें पकड़ कर पशु चिकित्सक द्वारा पशु पालन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में मेडिकल जांच कराने और बीमार होने पर इलाज कराने को कहा गया है। उन्हें अलग- अलग संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए अनिवार्य वैक्सीनेशन कराने के लिए भी कहा गया है। वैक्सीनेशन पशुओं के माध्यम से इंसानों को होने वाले संक्रमण से भी बचाएगा।

राज्यों को यह भी कहा गया है कि वह ऐसे लोगों की पहचान करेंजो बीमार या काम लायक न रहने पर अपने पशुओं को बेसहारा छोड़ देते हैं। ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाए। कानून के तहत ऐसे मामलों में महीने से लेकर साल तक की सजा का प्रावधान है।राज्यों को पशु हेल्पलाइन बनाने के निर्देश
राज्यों को शिकायत तंत्र और पशु हेल्पलाइन बनाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही कहा गया कि कोई आवारा पशु जैसे कुत्ता पागल हो गया है तो उससे रेबीज की मात्रा अधिक मिलती हैतो उसे तब तक अलग रखा जाएजब तक उसकी मौत न हो जाए। आवारा कुत्ते को संक्रामक बीमारी है और एक पशु से दूसरे पशु या इंसानों में होने का खतरा है और इलाज संभव नहीं हैतो ऐसे संक्रमित जानवरों को शांतिपूर्ण तरीके से खत्म करने के भी निर्देश दिए गए हैं।केंद्र  के ये निर्देश ,निर्देश  ही बन कर रह गए। किसी को इनके क्रियान्वयन का ध्यान  नही आया। 

आवारा गौवंश  के लिए  उत्तर प्रदेश में सरकारी स्तर पर गौशालाएं खोली गई  हैं।ये  गौशालाएं  नगर निगम ,  नगरपालिका  और नगर पंचायत  स्तर पर खुली हैं।आवारा गौवंश पकड़कर इनमें रखा  जाता है।  इन गौशालाओं की जगह पशुशाला खुलनी चाहिएं। इनमें गाय, बैल,गधा,घोड़ा कुत्ता, बिल्ली जैसे आवारा पशु पकड़कर रखे  जांए। देश की नगर ,गांव और सड़कें आवारा पशुओं से  बिल्कुल मुक्त  होनी चाहिए। ऐसा होगा तो आम अदमी और वहन चालक गली, मुहल्लों,  नगरों  और सडकों पर सुरक्षित होंगे।       

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)

Friday, October 27, 2023

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुरूप भारत को तैयार कीजिए

पेंटागन की रिपोर्ट के अनुरूप भारत को तैयार कीजिए अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन नई रिपोर्ट चौंकाने वाली है।भारत के लिए ये चिंताकर है। भारत चीन सीमापर रिपोर्ट चीन की युद्ध तैयारी का खुलासा करती है। साथ ही इस बात का संकेत है कि भारत को अपनी सुरक्षा को बहुत मजबूत करना होगा। अपने बूते पर मजबूत करना होगा। स्वदेशी तकनीक से मजबूत करना होगा।अपने को इस तरह ढालना होगा कि एक साथ दो देशों से युद्ध की स्थिति का वह मजबूती के साथ मुकाबला कर सके। अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन नई रिपोर्ट भारत के सचेत करने के लिए है। इसमें कहा गया है कि चीन भारत से लगी सीमा एलएसी (लाइन आफ एचुअल कंट्रोल )पर बड़े स्तर पर जंग की तैयारी कर रहा है।पेंटागन की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन एलएसी पर अपने सैन्य जमावड़े को कम नहीं कर रहा है। बल्कि बदले वह अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। वह सीमा पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। परमाणु हथियार से लेकर लॉन्ग रेंज बैलिस्टिक मिसाइल की क्षमता में इजाफा कर रहा है। चीन एलएसी के पास अंडरग्राउंड स्टोरेज सुविधा, सड़क, दोहरे इस्तेमाल वाले गांव, एयर फिल्ड और हेलीपैड बना रहा है।चीन युद्ध के सभी डोमेन में अपनी सेना को सक्रिय रूप से आधुनिक बना रहा है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक चीन की सेना को विश्व-स्तरीय बनाने का है। चीन ने 3,488 किलोमीटर लंबे एलएसी के पास अपनी सेना को 2023 में भी तैनात रखा। चीन ने एलएसी के पश्चिमी क्षेत्र (लद्दाख) में शिनजियांग और तिब्बत सैन्य जिलों के डिवीजनों द्वारा समर्थित सीमा रेजिमेंटों को तैनात किया है। ये बल टैंक, तोपखाने, एयर डिफेंस मिसाइल और अन्य हथियारों से लैस हैं। इसके अतिरिक्त, चीन ने पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश) और सेंट्रल (उत्तराखंड, हिमाचल) क्षेत्रों में लाइट-टू-मेडियम संयुक्त-आर्म्स ब्रिगेड (सीएबीएस) को तैनात किया है। चीन के डोकलाम के पास भूमिगत भंडारण सुविधाएं तैयार की है। वह एलएसी के पास नई सड़कें बना रहा है। चीन ने भूटान में विवादित क्षेत्रों में नए गांव बसाए हैं। उसने पंगोंग झील पर दूसरा पुल तैयार किया है। इसके साथ ही हवाई अड्डे और कई हेलीपैड तैयार किए हैं। दोनों देशों की सेनाएं लगभग तीन साल से आधुनिक शस्त्रों के साथ आमने−सामने हैं। भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार पूर्वी लद्दाख सेक्टर में 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है। कई जगह तो वह बहुत ही नजदीक हैं। भारत चीन के बीच सीमा विवाद का कोई हल नहीं निकल रहा। सीमा पर तनाव होने के बावजूद शांति है। तीन साल पहले हुए गलवान घाटी संघर्ष के और बाद में 2022 में अरुणाचल के तवांग घाटी में बाद कोई घटना नहीं हुई। यह सब बहुत ही अच्छा है। लेकिन चीन के इरादे कुछ और कहतें हैं। उसकी तैयारी कुछ और इशारा करती हैं।हालाकि वह पहले भी कभी ऐसा पड़ौसी नही रहा, जिसका यकीन किया जा सके, जिस पर विश्वास किया जा सके। दूसरे अमेरिकी रक्षा विभाग के मुख्यालय पेंटागन की नई रिपोर्ट अब आई है किंतु सीमा के हालात से भारत वाकिफ नही होगा, ऐसा नही लगता।उसे भी सब पता होगा। आज दुनिया के हालात बहुत बदले हुए हैं।भारत का संकट का मित्र रूस यूक्रेन युद्ध में फंसा हुआ। अमेरिका और मित्र देश यूक्रेन की शस्त्र आदि से पूरी मदद कर रहे हैं।ऐसे हालात में रूस और चीन की नजदीकी बढ़ रही है।ऐसे में चीन से युद्ध में रूस हमारे साथ आएगा, ऐसा नही लगता।उसे तो यूक्रेन युद्ध में अपनी फंसी टांग निकालने से ही समय नही मिल रहा।हालाकि आज अमेरिका का रवैया बता रहा है कि वह भारत के साथ है किंतु वह कभी विश्वसनीय मित्र नही रहा। यहीं हाल उसके मित्र देश कनाडा आदि का है।कनाडा से तो एक सिख आतंकी की कनाड़ा में मौत के बाद भारत के रिश्ते काफी खराब हुए हैं। अमेरिका और उसके कई मित्र देश भारत के फरार और इनामी आंतकियों को शरण दिए हुए हैं।हालांकि चीन के मुकाबले के लिए अमेरिका को भारत की बड़ी जरूरत है। वह मानता है कि चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए उसे भारत का साथ चाहिए।किंतु अमेरिका ड़ेढ साल से ज्यादा समय से रूस के साथ चल रहे यूक्रेन के युद्ध में सभी तरह से यूक्रेन की मदद कर रहा है। अब उसके मित्र देश इस्राइल और हमास में युद्ध शुरू हो गया। यहां भी उसे इस्राइल की शस्त्रों आदि से मदद करनी पड़ रही है। इस्राइल हमारा मित्र देश है किंतु वह खुद युद्ध में लगा है।ऐसे में संकट में हमें इन सबसे मदद की उम्मीद नही करनी चाहिए। युद्ध के लिए हमें युद्ध का अपने बूते पर अपनी तकनीक से मुकाबला करना होगा।हालाकि वर्तमान हालात में जबकि अमेरिका यूक्रेन और इस्राइल में फंसा है, चीन के लिए अच्छा अवसर है कि वह वियतनाम पर कब्जा करले। वियतनाम पर वह काफी समय से गिद्ध दृष्टि लगाए है। बार बार वियतनाम के पास युद्धाभ्यास करने में लगा हुआ है। जो भी हो चीन की तैयारी हमें यह बताने के लिए काफी है, कि उसका कोई भरोसा नही किया जा सकता। दूसरे दुनिया की दो शक्तियां अमेरिका और रूस यूक्रेन में लगी हैं। अब अमेरिक इस्राइल में फंस गया । दुनिया की तीसरी शक्ति चीन अभी शांति के साथ अपने को मजबूत करने में लगा है। उससे भारत के लिए सदा सचेत रहने और उससे युद्ध के लिए अपने को तैयार करने के लिए लगे रहना होगा। भारत का इसके लिए भी तैयार रहना होगा, कि चीन के साथ युद्ध की हालत में चीन का मित्र देश पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ मोरचा खोल सकता है।इसे देखते हुए एक साथ दो मोरचों पर युद्ध के लिए तैयार करना होगा। अब तक चीन का रवैया युद्ध करना नहीं, युद्ध का हौवा खड़ा करके सामने के देश पर दबाव बनाकर लाभ उठाना रहा है। किंतु इस बार वह अपनी इस रणनीति में कामयाब नही हो पा रहा। चीन ने भारत सीमा पर सेना बढ़ाई तो भारत ने भी सीमा पर सैना तैनात कर दी। इतना ही नहीं भारत ने आधुनिक तोप और लड़ाकू विमान भी तैनात कर दिए हैं। चीन से बात करने के लिए सामने वाले का मजबूत होना और सीना तान कर सामने खड़ा होना जरूरी है। आज भारत इस हालत में है। उसने स्पष्ट भी कर दिया है कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिये तैयार है। पूरा देश जानता है कि चीन हमारा दुश्मन है, कभी दोस्त नहीं हो सकता। इसके बावजूद सस्ते के लालच में हम चीन का बना सामान खरीद रहे हैं। हममें देशभक्ति सिर्फ सोशल मीडिया पर नजर आती है। फेसबुक पर नजर आती है, व्हाटसएप पर नजर आती है, इंस्ट्रागाम पर दिखाई देता है। व्यवहार में ऐसा नहीं है। चीन के सीमा पर सेना तैनात करने के बाद से चीनी सामान बहिष्कार का आंदोलन इस तरह चला था कि लगता था कि कोई भारतीय चीन का बना सामान नहीं खरीदेगा। किंतु हो इसके विपरीत रहा है। इस साल की पहली छमाही में भारत को चीन का निर्यात 56.53 अरब डॉलर का रहा। यह एक साल पहले के 57.51 अरब डॉलर से 0.9 फीसदी कम है। चीनी कस्टम्स द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकार मिली है। वहीं, चीन को भारत का निर्यात इस अवधि में कुल 9.49 अरब डॉलर रहा। यह एक साल पहले 9.57 अरब डॉलर रहा था। इस तरह साल 2023 की पहली छमाही में व्यापार घाटा एक साल पहले के 67.08 अरब डॉलर से घटकर 47.04 अरब डॉलर रह गया। पिछला साल भारत-चीन व्यापार के लिए बंपर ईयर रहा था। यह पिछले साल 135.98 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। साल 2022 में कुल भारत-चीन व्यापार 8.4 फीसदी की बढ़त के साथ एक साल पहले के 125 अरब के आंकड़े को पार कर गया था। व्यापारी चीन से माल खरीदकर बेचने से बाज नही आ रहा और जनता सस्ते के लालच में उसे खरीद रही है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि चीन से आने वाले सामान पर आयात शुल्क ज्यादा लगाकर और चीन से आ रहा सामान देश में बनाकर चीन से आयात कम करना होगा। भारत को वर्तमान हालात में अपने को युद्ध के लिए, आने वाले युद्ध की चुनौती के लिए युद्ध स्तर पर अपने को तैयार करना होगा। अपने को मजबूत बनाना होगा। घर में बैठे गद्दारों से सचेत रहना होगा।हालाकिं भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इसमें लगातार लगी है।किंतु जरासी चूक और लापरवाही देश को भारी पड़ सकती है। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Tuesday, October 17, 2023

निठारी कांड के निर्णय पर गूंजते सवाल

निठारी कांड के निर्णय पर गूंजते सवाल अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के नोएडा के चर्चित निठारी कांड के 12 केस के आरोपी सुरेंद्र कोली और दो केस में फंसी की सजा पाए कोठी डीएस−5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को भी ने बरी कर दिया है। शायद यह एतिहासिक होगा कि एक साथ 12 मामलों में फंसी के आरोपी को बरी किया गया हो। न्यायालय ने इन्हें दोष मुक्त तो करार दे दिया। किंतु ये न्याय एक तरफा है। अधूरा है।निठारी कांड तो हुआ है।चर्चित निठारी कांड में निचली अदालत से कोली को एक दर्जन से अधिक मामलों में फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। निठारी गांव के कोठी डीएस−5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को दो केस में फंसी की सजा हो चुकी है।अब जब की ये निचली अदालत से फांसी की सजा पाए ये दोनों आरोपी हाईकोर्ट ने बरी कर दिए तो व्यवस्था को यह तो बताना ही होगा कि फिर इस कांड के आरोपी कौन हैं? किसने इस कांड की 19 घटनाओं को अंजाम दिया। कांड तो हुआ ही है।ये दोंनों आरोपी इसलिए बरी हो गए कि इनके विरूद्ध सुबूत नही थे। किंतु पीड़ित परिवार को भी तो न्याय चाहिए।उनके परिवार की युवतियों, बेटियों बच्चों पर जुल्म करने वाला, उनसे व्यभिचार कर उन्हें काटकर खाने वाला कोई तो होगा? किसी ने तो ये कांड किया होगा? उसे कानून की जद में लाकर सजा कौन दिलाएगा? ये निर्दोष थे तो फिर इनकी कोठी के पास नाले में किसने मारकर इनको डाला? इस मामले में कई दिनों तक चली बहस के बाद अदालत ने सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया। निचली अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कोठी D-5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एसएएच रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया। कोली पर आरोप है कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गईं। वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था। 29 दिसंबर 2006 को नोएडा में मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले से 19 बच्चों और महिलाओं के कंकाल मिले। मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली गिरफ्तार किया।आठ फरवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया।मई 2007 को सीबीआई ने पंढेर को अपनी चार्जशीट में अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे मामले में सहअभियुक्त बनाया।13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 वर्षीय किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई। ये पहला फैसला था।इसके बाद 11 केस में दोनों को सजा हुई। पुलिस ने इस मामले में कहा था कि कम से कम 19 युवा महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था, उनकी हत्या कर दी गई थी और उनके शवों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे। पुलिस ने उस समय कहा था कि ये हत्याएं पंढेर के घर के अंदर हुई थीं, जहां कोली नौकर के तौर पर काम करते थे।पुलिस ने आरोप लगाया कि जिन बच्चों के अवशेष बैग में छिपे हुए पाए गए थे, उन्हें कोली ने मिठाई और चॉकलेट देकर लालच देकर मार डाला था।पुलिस का कहना था कि जांच के दौरान कोली ने नरभक्षण और नेक्रोफिलिया (शवों के साथ संबंध बनाने) की बात कबूल की थी। बाद में उन्होंने अदालत में अपना कबूलनामा ये कहते हुए वापस ले लिया कि उनसे जबरन ये बयान दिलवाया गया था।सीबीआई ने सुरेंदर कोली और पंढेर के खिलाफ़ 19 मामले दर्ज किए थे। जहां कोली पर हत्या, अपहरण, बलात्कार, सबूतों को मिटाने जैसे आरोप थे तो वहीं पंढेर पर अनैतिक तस्करी का आरोप था।इस मामले की गूंज कई सालों तक देश गूंजती रही थी। लोगों ने पुलिस पर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए थे. स्थानीय लोगों ने उस समय कहा था कि पुलिस इस मामले में इसलिए भी कार्रवाई नहीं कर सकी क्योंकि लापता होने वालों में से अधिकतर गरीब परिवार के थे. गाज़ियाबाद जेल में बंद कोली को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई किए जा रहे 12 मामलों में मौत की सज़ा सुनाई गई थी। वहीं पंढेर नोएडा की जेल में बंद हैं और उन्हें दो मामलों में मौत की सज़ा हुई थी।कोली की सज़ा को उम्रकैद में बदलने वाले हाईकोर्ट के आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अभी ये मामला शीर्ष न्यायालय में लंबित है। न्यायालय ने निर्णय में ये माना कि आरोपियों के विरूद्ध सबूत नही हैं। न्यायालय ने ये नही कहा कि कांड हुआ ही नही।कांड तो हुआ। 19 महिलाओं और बच्चियों के कंकाल कोठी डीएस−5 के सामने नाले से मिले। अब प्रश्न यह है कि ये नही तो किसी और ने ये कांड किया है।जिसने कांड किया उसे सजा दिलाने की किसकी जिम्मेदारी है? किंतु लगता है कि न्यायालय ने इस केस के आरोपी के बरी हो जाने के बाद ये केस व्यवस्था की कबाड़ की फाइल में चला जाएगा। 2006 से न्याय की आशा में बैठे पीडित परिवार को रो पीट कर चुप हो बैठना पड़ेगा ।इस निर्णय के बाद पीड़ितों के माता पिता और परिवार वालों का दुख और गहरा हो गया। अपनों को खोने वालों ने कहा कि 17 साल बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिला। निठारी कांड में अपने बच्चों को खोने वाले पैरंट्स का लगभग एक ही सवाल है कि अगर पंढ़ेर और कोली निर्दोष हैं तो उनके बच्चों को किसने मारा है? एक बात और हाईकोर्ट ने कहा कि शवों की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर जांच नही हुई।ये रिपोर्ट मानव तस्करी की और इशारा कर रही थी।दोनों न्यायधीश ने जांच पर नाखुशी जताते हुए ये भी कहा कि जांच बेहद खराब है। सुबूत जुटाने की मौलिक प्रक्रिया का पूरी तरह उल्लंघन किया गया। जांच एसेंसियों की नाकामी जनता के विश्वास के साथ धोखा है। हाईकोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों ने अंग व्यापार के गंभीर पहलुओं की जांच किए बिना एक गरीब नौकर को खलनायक की तरह पेश किया। हाईकोर्ट ने माना कि ऐसी गंभीर चूक के कारण मिलीभगत सहित कई गंभीर निष्कर्ष संभव है। हाईकोर्ट ने यह भी माना कि आरोपी अपील कर्ता को निचली अदालत में स्पष्ट रूप से निचली अदालत में सुनवाई का मौका नही मिला। न्यायालय ने निर्णय में ये भी कहा कि दोनों आरोपियों के खिलाफ कोई सुबूत नही हैं।सुबूत के अभाव में दोनों आरोपियों को लगभग 17 साल जेल में रहना पड़ा।अकारण जेल में बिताए इनके इन सालों के लिए कौन जिम्मेदार है? इस केस में शुरूआत से ही पुलिस पर आरोप लगते रहते हैं कि वह इस मामले में रूचि नही ले रही।उसीके बाद मामला सीबीआई को गया। अब सीबीआई की जांच पर भी सवाल उठा है तो सीबीआई को अपनी जांच और प्रक्रिया पर भी सोचना और बदलाव करना होगा। क्योंकि देश में उसका बहुत सम्मान है। प्रत्येक प्रकार के टिपिकल मामले में उसी से जांच कराने की बात आती है। अब उसकी भी जांच ऐसी ही निम्न स्तरीय होगी,तो फिर उसे सोचना तो होगा ही। अशोक मधुप

Saturday, October 14, 2023

कन्याओं को पूजिए ही नही, उन्हें आत्मसुरक्षा भी सिखाइये

कन्याओं को पूजिए ही नही, उन्हें आत्मसुरक्षा भी सिखाइये अशोक मधुप शारदीय नवरात्रि का आरंभ रविवार 15 अक्टूबर 2023 से हो रहा है।नवरात्र में अधिकांश हिंदू परिवार घर में मां के कलश की स्थापना करते हैं।इन नौ दिन उपवास रखकर देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।देवी स्परुपा कन्याओं को पूजा जाता है।उन्हें जिमाया जाता है। वस्त्रादि भेंट किए जाते हैं। उपहार दिए जाते हैं। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है।सदियों से चली आ रही इस परम्परा में वक्त के हिसाब से अब सुधार की जरूरत है। आज जरूरत है कि हम कन्याओं को पूजे और जिंमाए ही नहीं।उन्हें शिक्षित करें।उन्हें आत्मसुरक्षा भी सिखाए।उन्हें गुड टच और बेड टच से अवगत भी करांए। कन्याओं को आज के समाज में शान और सम्मान के साथ जीने के योग्य बनांए। ज्यादती के खिलाफ बोलना भी बतांए।इतनी ही नही बेटियों को सुरक्षा का वचन दें।शपथ लें कि गर्भ में बेटियों को नही मारेंगे। बेटी व्यक्ति विशेष की होने के साथ ही समाज की होती हैं। वचन लें आपदा में प्रत्येक बेटी की मदद करेंगे। नवरात्र देश भर में अलग −अलग रूप में मनाए जाते हैं।पूजा अर्चन की जाती है।सबका तात्पर्य यह ही है कि देवी शक्ति की पूजा कर हम उनसे अपने और समाज के कल्याण का आशीर्वाद मांगे।स्वस्थ समाज की मांग करें।ये सब कुछ सदियों से चला आ रहा है। आज समय की मांग है कि हम आगे बढ़े।वक्त की जरूरत के साथ परिवर्तन करें। आज देश की देवियां ,महिलाएं, मातृशक्ति विकास के हर क्षेत्र में अपना योगदान कर रही हैं।कार तो बहुत समय से चलाती रही हैं। अब ये आटो, ट्रक,ट्रेन ,मालगाड़ी भी चलाने लगीं हैं।ये प्लेन उड़ा रही हैं। अब तो सेना में जाकर बार्डर की हिफाजत भी महिलाएं कर रही हैं। आधुनिकतम लड़ाकू विमान भी उड़ा रहीं हैं। उन्हें निंयत्रित कर रही हैं। कभी गाना , बजना, नाचना महिलाओं की कला थी। उसमें उन्हें पारंगत करने के साथ− साथ पुराने समय से परिवार की बेटियों को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई,अनाज पिसाई,छनाई के साथ घर के कामकाज सफाई,भोजन बनाने में आदि में निपुण किया जाता था। ताकि वह समय की जरूरत के हिसाब के शादी के बाद अपने परिवार को संभाल सकें। इस समय शिक्षा पर उतना जोर नही था। परिवार की जरूरतें बढ़ी तो पढ़ी लिखी बेटियां और महिलाएं घर की चाहरदीवारी से निकलीं। नौकरी करने लगीं। बिजनेस में परिवार को सहयोग देने लगीं।समय बदला ।महिलाएं आज शिक्षित हो सभी क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दे रही हैं। नौकरी के लिए अकेली युवती का विदेश जाना अब आम हो गया। समय के साथ− साथ समाज की प्राथमिकताएं भी बदलीं। नहीं बदला तो महिलाओं और युवतियों के शोषण का सिलसिला। भारतीय समाज में फैली दहेज की कुप्रथा के कारण गर्भ में ही बालिका भ्रूण मारे जाने लगे।परिवार में ही आसपास ने नाते रिश्तेदारों द्वारा छुटपन से बेटियों के साथ छेड़छाड़ ,यौन शोषण चलता रहा।देश में चेतना आई ,शिक्षा का स्तर बढ़ा पर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध कम नही हुए। राष्ट्रीय महिला आयोग ने सूचित किया कि वर्ष 2021 के प्रारंभिक आठ महीनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की शिकायतों में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 46 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग को साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की करीब 31,000 शिकायतें मिलीं थी जो 2014 के बाद सबसे ज्यादा हैं। इनमें से आधे से ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश के थे। महिलाओं के खिलाफ अपराध की शिकायतों में 2020 की तुलना में 2021 में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। साल 2020 में कुल 23,722 शिकायतें महिला आयोग को मिली थीं।राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 30,864 शिकायतों में से, अधिकतम 11,013 सम्मान के साथ जीने के अधिकार से संबंधित थीं। घरेलू हिंसा से संबंधित 6,633 और दहेज उत्पीड़न से संबंधित 4,589 शिकायतें थीं। सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सबसे अधिक 15,828 शिकायतें दर्ज की गईं, इसके बाद दिल्ली में 3,336, महाराष्ट्र में 1,504, हरियाणा में 1,460 और बिहार में 1,456 शिकायतें दर्ज की गईं।आयोग के आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के शील भंग या छेड़छाड़ के अपराध के संबंध में 1,819 शिकायतें मिली हैं। बलात्कार और बलात्कार की कोशिश 1,675 शिकायतें, महिलाओं के प्रति पुलिस की उदासीनता की 1,537 और साइबर अपराधों की 858 शिकायतें मिली हैं। ये वे शिकायत हैं जो रजिस्टर होती हैं1 इससे कई गुनी शिकायत तो दर्ज ही नही होती। परिवार का सम्मान बताकर ,युवती की स्मिता की बातकर घटनांए दबाली जाती हैं। अब तक बच्चियों को गाने – बचाना ,डांस करने के वीडियों सामने आते थे। हाल ही में एक वीडियों सामने आया जिसमें एक पिता अपनी बेटी को लाठी चलाना सिखा रहा है। इस छोटे से वीडियों को बहुत पसंद किया गया। एक बेटी को तलवार चलानासिखाने का वीडियो देखने को मिला। जूड़े− कराटे सीखते भी बेटियां दिखाई देने लगी हैं। किंतु अभी इससे बहुत आगे बढ़ना होगा। प्रत्येक बेटी का आत्मरक्षा सिखानी होगी। आज समय की मांग है कि परिवार विशेषकर मां बेटी को बचपन से गुड टच और बैड टच से अवगत कराए। इनका अंतर बताएं। कहीं कुछ घर के आसपास , स्कूल में, स्कूल बस में अगर गलत होता है तो बेटी घर आकर बतांए।बेटी अब घर की देहरी के अंदर तक ही सीमित नही रह गई है। वह कार्य के लिए घर से बाहर निकल रही है। ट्रेन में, बस में अकेले सफर कर रही है।नौकरी के लिए सात समुंद पार जा रही है।ऐसे में जरूरत है उसे आत्मसुरक्षा के लिए तैयार करने की।जुडे−कराटे सिखाने की। आत्मसुरक्षा में निपुण करने की, ताकि वह विपरीत परिस्थिति में अपना बचाव कर सके।अगर ऐसा होगा तो छेड़छाड़ करने वाले के भय से युवती को आत्महत्या नही करनी पड़ेगी।जबकि आज इस तरह की रोज अखबारों में खबर आ रही हैं। पिछले दिनों मुरादाबाद में से 12वीं में पढ़ने वाली छात्रा ने छेड़छाड़ से परेशान होकर कीटनाशक खा कर आत्महत्याकर ली। मुंबई के विनोबा भावे नगर चचेरे भाई के बार-बार यौन उत्पीड़न से तंग आकर 15 वर्षीय किशोरी ने आत्महत्या की। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में मनचले की छेड़छाड़ से परेशान छात्रा ने अपने ही घर में फांसी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली।इस तरह की खबर रोज अखबारों में सुर्खियां बन रही हैं। हम अपने परिवार की बेटी का ऐसे संस्कार और शिक्षा दें। आत्मनिर्भर बनांए, आत्मसुरक्षा सिखाएं,ज्यादती के खिलाफ उसे आवाज उठाना भी सिखांए ताकि समाज की कन्या और हमारी बेटी की खबर अखबार की सुर्खी न बने। शपथ लें कि गर्भ में बेटियों को नही मारेंगे। बेटी व्यक्ति विशेष की होने के साथ ही समाज की होती हैं। वचन लें कि आपदा में प्रत्येक बेटी की मदद करेंगे। किसी बेटी पर होती ज्यादती और जुल्म देखकर मुंह नही फेर लेंगे। आंख नही मूदेंगे। बल्कि ज्यादती करने वाले का पूरी क्षमता और शक्ति से विरोध करेंगे। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Thursday, October 12, 2023

क्या हमास जैसे हमले के लिए हम तैयार हैं?

अशोक मधुप वरिष्ठ पत्रकार इस्राइल पर हमास ने हमला किया।इस हमले में 20 मिनट में पांच हजार के आसपास राकेट दागे गए।इतना ही नहीं यह इस्राइल का सुरक्षा घेरा और दीवार तोड़कर अपनी सुरक्षा और मारक क्षमता के लिए विख्यात इस्राइल में घुंस गए।उन्होंने इस्राइल में भारी तबाही मचाई। इस हमले में इस्राइल के एक हजार से ज्यादा नागरिक मारे गए। तीन हजार के आसपास घायल हुए हैं। सूचनाएं हैं कि 150 के आसपास महिला और बच्चों सहित इस्राइल के नागरिकों का अपहरण कर लिया।हमास के आंतकियों ने महिलाओं का निवस्त्र कर उनके सम्मान को तार− तार करने कोई कसर नही छोड़ी। इस्राइल की सुरक्षा व्यवस्था, सेना और गुप्तचर व्यवस्था पूरी दूनिया में विख्यात हैं।इस सबके बावजूद वहां इतना बड़ा नुकसान हुआ। ईश्वर न करे ,काश कभी ऐसा हमला हम पर ,भारत पर हो तो क्या हम इसके लिए तैयार हैं?हमें इस पर सोचना होगा। साथ ही आने वाली प्रत्येक परिस्थिति के मुकाबले के लिए हमें अपने को अभी से तैयार करना होगा। इस्राइल के पास दुनिया का आधुनिकतम सुरक्षा, प्रतिरक्षा और विश्व विख्यात सूचनातंत्र है।फिर भी वह इस हमले के सामने विफल होकर रह गया। 20 मिनट में पांच हजार मिजाइल छोड़ने, और टैंको से दीवार तोड़कर इस्राइल की सीमा में जल, थल और ग्लाइडर से एक साथ घुंसने की तैयारी एक दिन में नही हुई होगी।लंबा समय लगा होगा, किंतु इस्राइल के सुरक्षा और गुप्तचर तंत्र को इसकी भनक तक नही लगी। इस्राइल ही नही उसके मित्र देश अमेरिका तक को भी इस हमले की भनक तक नही हुई।ऐसा ही अमेरिका पर हमले के समय हुआ था। रोज दुनिया बदल रही है।युद्ध बदल रहा है।युद्ध का मैदान बदल रहा है। अल-कायदा के आतंकियों ने 11 सितंबर 2001 की सुबह चार अमेरिकी विमानों को हाईजैक कर लिया था। इन सभी का मकसद विमानों को अलग-अलग ऐतिहासिक स्थलों पर क्रैश कराने का था। सबसे पहला क्रैश अमेरिकन एयरलाइन फ्लाइट 11 का हुआ था, जो कि न्यूयॉर्क शहर में सुबह 8.46 बजे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी टावर से टकराई थी। इसके 17 मिनट बाद ही यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 175 बिल्डिंग के दक्षिणी टावर से टकराई। हाई अलर्ट जारी होने के बावजूद सुबह 9.37 बजे अमेरिकन एयरलाइंस फ्लाइट 77 वॉशिंगटन स्थित अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से टकराई। चौथे हाईजैक हुए विमान यूनाइटेड एयरलाइंस फ्लाइट 93 का लक्ष्य व्हाइट हाउस या यूएस कैपिटल बिल्डिंग को निशाना बनाने का था, लेकिन यात्रियों से भिड़ंत की वजह से आतंकियों के हाथ से विमान का नियंत्रण छूट गया और यह पेन्सिलवेनिया के शैंक्सविल में मैदानी इलाके में गिर गया। अमेरिका में हुए इस हमले तक को सोच भी नही सकता था कि यात्री विमानों को शस्त्र के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।रूस यूक्रेन युद्ध लगभग 20 माह से जारी है।रूस के पास परमाणु हथियार हैं, किंतु यह हथियार दिखाने और अपनी शक्ति बताने के लिए है। दुनिया की बड़ी शक्ति होते भी 20 माह से युद्धरत रूस कुछ ज्यादा नही कर पा रहा।यूक्रेन के द्रोण रूस की मिजाइल पर भारी पड़ रहे हैं। भारत में मुंबई पर आतंकी हमला हमने देखा हैं।दिल्ली में संसद पर हुए हमले के घाव हम भूले नहीं हैं। आंतकियों के खुराफाती दिमाग किस तरह घटना का अंजाम दें, कुछ कहा नही जा सकता।इन सब के लिए सिर्फ मजबूत रक्षा तंत्र बनाने की जरूरत है। अभी खालिस्तानी गुरपतवंत पन्नू ने धमकी दी है कि खालिस्तान के लिए भारत पर हमास जैसे हमले किये जाएंगे। पाकिस्तान के कुछ कट्टर मुल्ला धमकी दे रहे हैं कि वह इस्राइल से लड़ने के लिए हमास को परमाणु बम देंगे। दुनिया के देश आधुनिक युद्धास्त्र बनाने में लगे हैं।परमाणु बम, हाइड्रोजन बम के आगे के विनाशक बम पर काम चल रहा है। सुपर सोनिक मिजाइल बन रही हैं, किंतु लगता है कि आधुनिक युद्ध इन सबसे अलग तरह के अस्त्र− शस्त्रों के लड़ा जाएगा। अलग तरह के युद्ध होंगे। लगता है कि आने वाले युद्ध सीमा पर नहीं, शहरों में लड़े जाएगे।घरों में लड़े जाएगे। गली –मुहल्लों में लड़े जाएंगे ।अभी से हमें इसके लिए सोचना और तैयार होना होगा। 30अक्तूबर 2021 को पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा आयोजित ‘पुणे डॉयलॉग’ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि भविष्य में खतरनाक जैविक हथियार दुनिया के लिए गंभीर परिणाम साबित हो सकता है। दुनिया के लिए किसी भी जानलेवा वायरस को हथियार बनाकर इस्तेमाल करना गंभीर बात है। एनएसए डोभाल ने अपने बयान में कोरोना वायरस का उदाहरण देते हुए जैविक हथियारों का मुद्दा उठाया। ‘आपदा एवं महामारी के युग में राष्ट्रीय सुरक्षा की तैयारियों ’ पर बोलते हुए अजीत डोभाल ने कहा कि आपदा और महामारी का खतरा किसी सीमा के अंदर तक सीमित नहीं रहता और उससे अकेले नहीं निपटा जा सकता । इससे होने वाले नुकसान को घटाने की जरूरत है। अभी तक पूरी दुनिया इस खतरे से जूझ रही है कि परमाणु बम किसी आंतकवादी संगठन के हाथ न लग जाए। उनके हाथ में जाने से इसे किस तरह रोका जाए? उधर आतंकवादी नए तरह के हथियार प्रयोग कर रहे हैं। शिक्षा बढ़ी है तो सबका सोच बढ़ा है। दुनिया के सुरक्षा संगठन समाज का सुरक्षित माहौल देने का प्रयास कर रहे हैं।आंतकवादी घटनाएं कैसे रोकी जांए, ये योजनाएं बना रहे हैं। आंतकवादी इनमें से निकलने के रास्ते खोज रहे हैं। वे नए−नए हथियार बना रहे हैं। अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सैंटर पर हमले से पहले कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि विमान को भी घातक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। इसमें विमानों को बम की तरह इस्तेमाल किया गया।माचिस की तिल्ली आग जलाने के लिए काम आती है । बिजनौर में कुछ आंतकवादी इन माचिस की तिल्लियों का मसाला उतार कर उसे गैस के सिलेंडर में भर कर बम बनाते विस्फोट हो जाने से घायल हुए। हम विज्ञान और कम्यूटर की ओर गए। हमारे युद्धास्त्र कम्यूटरीकृत हो रहे हैं।उधर शत्रु इस सिस्टम को हैक करने के उपाए खोज रहा है। लैसर बम बन रहे हैं। हो सकता है कि हैकर शस्त्रों के सिस्टम हैक करके उनका प्रयोग मानवता के विनाश के लिए कर बैठे। बनाने वालों के निर्देश छोड़ से बने बनाए शस्त्र हैकर के इशारे पर चलने लगें। रोगों के निदान के लिए वैज्ञानिक रोगों के वायरस पर खोज रहे हैं। उनके टीके बना रहे हैं। दवा विकसित कर रहे हैं,तो कुछ वैज्ञानिक इस वायरस को शस्त्र के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। साल 1763 में ब्रिटिश सेना ने अमेरिका पर चेचक के वायरस का इस्तेमाल हथियार की तरह किया । 1940 में जापान की वायुसेना ने चीन के एक क्षेत्र में बम के जरिये प्लेग फैलाया था। 1942 में जापान के 10 हजार सैनिक अपने ही जैविक हथियारों का शिकार हो गए थे। हाल ही के दिनों में आतंकी गतिविधियों के लिए जैविक हथियार के इस्तेमाल की बात सामने आई है।इससे हमें सचेत रहना होगा। सीमाओं की सुरक्षा के साथ इन जैविक शास्त्रों से निपटने के उपाए खोजने होंगे। इस्राइल दूसरे विश्व युद्ध से संघर्ष झेल रहा है। इसने प्रत्येक परिस्थिति के लिए अपने को तैयार किया हुआ है।ढाला हुआ है।इस तरह के हमलों के लिए उसने प्रत्येक घर में बंकर बनाए हुए हैं।वहां का लगभग प्रत्येक व्यक्ति एंव महिला युद्ध के लिए हर समय तैयार रहते हैं।वहां सैन्य प्रशिक्षण आवश्यक है। हमास के हमले का सबसे बड़ा सबक यह है कि दुनिया का कोई भी देश इस तरह के हमले नही रोक सकता।बस इस तरह के हमलों को रोकने की व्यवस्था कर सकता है।इस्राइल का सुरक्षा चक्र आइरन डोम पांच हजार मिजाइल के हमले के सामने कारगर नही रहा। हमारे पास रूस का बना एस 400 मिजाइलरोधी सिस्टम हैं। हमें सोचना होगा कि क्या यह इस तरह के भारी मिजाइल हमलों को रोकने में सक्षम है। या कोई अन्य सिस्टम चाहिए।हमें राष्ट्रीय आपदा या इस प्रकार के आतंकी हमले की हालत में अपना सहायता तंत्र विकसित करना होगा।उन्हें सभी प्रकार के हमलों या राष्ट्रीय आपदा के समय जनता की सुरक्षा , मदद, उपचार आदि देने के लिए तैयार करना होगा। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Monday, October 2, 2023

मित्रता दिवस पर दोहे

एक मित्र ही खोजिए,जो हो दुख का यार। सुख में तो मिल जाएंगे,यारा मित्र हजार। -जब भी तुम बेचैन हो,करना मुझको याद । मन ही मन हो जायगा,बस सीधा संवाद। -अर्थ बहुत चिंतित भए,शब्द रहे हैं रोय। मतलब के संसार में,कैसे रिश्ते बोय? प्रेम डगर है अगन की,जल कर कुंदन होय। राधा, मीरा, हीर की,पीड़ा समझे कोय। – दिन बीता पूरा सखे!आयी होने रात। वेलेंटाइन दौर है ,कर लो कोई बात। -कैसे भी हालात हों,कैसी भी हो बात। अब तो छूटेगा नहीं ,मित्र ,तुम्हारा साथ। – एक बूंद था चाहिए,मिला असीमीत प्यार। ऊपर वाले मैं तेरा,करता जय -जय कार। महाभारत जीते बड़े,जीतीं भारी जंग। पग पग राह दिखा रहे,रहकर साथी सँग। -एक दोस्त की ही रही ,मुझे सदा दरकार। अगनित लेकर आ गए,झोली भर- भर प्यार। अशोक मधुप

क्या भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है?

क्या भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है? अशोक मधुप क्या भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश के गढ़ को फतह करने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है? बीजेपी सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को यूपी से अलग प्रदेश बनाने जाने की मांग कर इस आंशका को बढ़ा दिया है। बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं की मेरठ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में संजीव बालियान ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य बने। इसके बाद यह देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा।केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश एक अलग राज्य बने और मेरठ उस राज्य की राजधानी हो। इसकी मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका। बाद में पत्रकारों से रूबरू केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने इस मुद्दे को विस्तार देकर बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश केवल नौ करोड़ की आबादी वाला इलाका है। यूपी में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला इलाका है और यह इलाका शिक्षा, कृषि, उद्योग से समृद्ध भी है। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य बनता है तो यह देश का सबसे बेहतरीन राज्य होगा। यहां विकास की अपार संभावनाएं होंगी। उन्होंने यह भी बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजधानी मेरठ बने। सब जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी राजधानी भी मेरठ को कहा जाता है। बेहतर कानून-व्यवस्था, अयोध्या में श्रीराममंदिर और जन कल्याणकारी योजनाओं को देने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में बीजेपी की राह आसान नहीं दिखती। घोसी के विधानसभा उपचुनाव में हार के बाद अब बीजेपी को इंडिया गठबंधन लोकसभा की राह का रोड़ा प्रतीत हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विजय तो उससे पहले ही दूर थी। अब और ज्यादा दुरूह लग रही है।भाजपा इसी इंडिया गठबंधन की काट निकालने की कोशिश कर रही है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग− अलग समाज के लोगों से विचार कर मंथन कर रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की चुनावी वैतरणी से कैसे पार लगा जाए । केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण बहाली को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन का मूड बनाए बैठे हैं। इस आंदोलन की काट ढूंढने के लिए का रविवार को मेरठ में आयोजन किया। इस आयोजन में हर एक राजनीतिक दल के नेता आमंत्रित किए गए थे। पश्चिमी यूपी को हरित प्रदेश बनाकर अलग राज्य का दर्जा देने की मांग करीब तीन दशक पुरानी है। इस क्षेत्र में समाज के हर वर्ग के लोग अलग राज्य की मांग के लिए आंदोलन करते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह इलाका है या यहां उद्योग धंधे नहीं हैं। यहां के लोगों की मुख्य शिकायत प्रमुख प्रशासनिक केंद्रों का विकेंद्रीकरण न होना है। अधिकतर सभी प्रमुख संस्थान लखनऊ और उसके पास ही केद्रिंत हैं।है।पश्चिमी उत्तर प्रदेशवासियों को यहां जाने में काफी परेशानी उठानी पडती है।इलाहाबाद हाईकोर्ट की पश्चिम में अलग बैंच बनाने की मांग तो 1956 से चली आ रही है।पश्चिम उत्तर प्रदेश के वादकारियों और अधिवक्ताओं की मांग रही है कि लाहोर से ज्यादा दूर उन्हें इलाहाबाद पड़ता है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बैंच बने इस मांग को लेकर 1980 में तीर्व आंदोलन हुआ था। इसे पूरा न होते देख सुझाव आया कि हाईकोर्ट की बैंच की मांग छोडकर अलग प्रदेश की मांग करो। अलग प्रदेश बनेगा तो बैंच नहीं प्रदेशा का अपना ही हाईकोर्ट होगा। पश्चिमी यूपी का इलाका हर दृष्टि से प्रदेश के अन्य हिस्सों से आगे है। यहां के निवासियों का आरोप रहा है कि हमारे द्वारा दिया गया राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में लग रहा है। प्रदेश में लगभग छह साल से भाजपा की सरकार है।इस दौरान भी कुछ नही हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में शिकायत रही है कि उनका ध्यान पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर के विकास पर ज्यादा है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश की उपेक्षा के कारण कभी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और कभी हरित प्रदेश के नाम से लोगों ने संघर्ष किया है, पर आज तक मांग नहीं सुनी गई। उत्तराखंड को अलग किए जाने के बाद यह मांग और ज्यादा मुखर हुई थी ।मायावती अगर अलग राज्य बनाने का प्रस्ताव ला चुकी हैं। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के बारे में प्रधानमंत्री कोभी अपने मुख्यमंत्री काल में पत्र लिख चुकी हैं। बिजनौर के स्वामी ओमवेश ने 1989 में इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने बिजनौर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, अलीगढ़, मुरादाबाद, अमरोहा, बंदायू, आगरा, बरेली व शाहजहांपुर समेत 17 जिलों को मिलाकर गंगा प्रदेश बनाने की मांग की थी। इस मांग को लेकर उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर इसके लिए प्रदर्शन भी किया था। स्वामी ओमवेश के साथ इस आंदोलन में पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, वीरेंद्र वर्मा, सोहनवीर सिंह समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम नेता शामिल हुए थे। इस मुद्दे पर ये तमाम नेता एकजुट हो गए थे।स्वामी ओमवेश ने 1996 तक गंगा प्रदेश को अलग राज्य बनाने का आंदोलन चलाया था। बाद में ये मुद्दा दब गया। रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने हरित प्रदेश बनाने की मांग करते हुए 1992 में इस मुद्दे को फिर हवा दी। उन्होंने जोर शोर से अलग प्रदेश बनाने का यह मुद्दा उठाया था। लगभग दो साल पहले बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर ने संसद में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने का मुद्दा उठाकर इसे फिर से हवा दे दी है। उन्होंने छोटे राज्य के फायदे भी बताए। सांसद ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलग राज्य बनने से राजस्थान सरकार ने पिछड़ों के साथ जो अन्याय किया है, उसकी भरपाई की जा सकती है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की पहले भी मांग उठती रही है। लोकसभा चुनाव से साल में भाजपा के राज्य मंत्री की इस मांग से ऐसा लगता है कि भाजपा के उच्च नेतृत्व में कुछ चल रहा है। मंथन हो रहा है। हो सकता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विपक्ष को चित्त करने के लिए लंबे समय से चली आ रही पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग पूरी कर दे। अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)