Tuesday, August 18, 2020

छात्रवृति घोटाला

 छात्रवृति घोटाला

1993 में बिजनौर जनपद में हरिजन समाज कल्याण विभाग में घोटाला हुआ। यह लगभग 50 लाख रुपये का घोटाला था। दो वर्ष पूर्व अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए छात्र वृति देने की सरकार की योजना आई। इसमें व्यवस्था की गई थी कि छात्रवृति विद्यालय के खाते में जाएगी। इस व्यवस्था की कमी को बिजनौर समाज कल्याण विभाग के एक ल‌िपिक मोर्य ने पकड़ लिया। उसने जनपद के कुछ विद्यालय के प्रबधंक- प्रधानाचार्य के दोस्ती गांठी। उनसे कॉलेज के नाम से मिलते -जुलते नाम के खाते खुलवा लिए।विद्यालय को छात्रवृति न भेजकर विद्यालयों से मिलते -जुलते खातों में राशि डाल दी।

इस घोटाले का मुझे जून के आसपास पता चला। मैंने अमर उजाला में छापना शुरु किया। उस समय ओम सिह चौहान समाज कल्याण अधिकारी थे । वे दावा करते कि उनके यहां घोटाला हो ही नहीं सकता। सीडीओ सुंदर लाल मुयाल होते थे। उन्होंने हमारे समाचार देख तत्कालीन डीडीओ आरएस वर्मा को जांच सौंपी ।

इस प्रकरण लगभग आठ माह चला।प्रारंभिक जांच में 27 लाख का घोटाला मिला। 23 मार्च 1994 को समाज कल्याण अधिकारी ओम  सिंह चौहान  की गिरफ् तारी हुई।

समाज कल्याण विभाग में एक कर्मचारी होते थे मलिक। उनके पिता मेरे दोस्त होते थे।इस प्रकरण के चलने के दौरा एक दिन शाम को मलिक मेरे पास आए। अटैची उनके पास थी। वह बोले - छात्रवृति घोटाले के समाचार छापने बंद कर दें। अटैचीं में तीन लाख रुपये हैं। इन्हें रख लें। मैंने कहा - मलिक तुझे यह भी ख्याल नहीं आया कि तेरे वालिद मेरे दोस्त होतें हैं । वह बहुत शर्मीदा हुआ। अटैची लेकर वापस चला गया।

इसके बाद केस शुरु हो गया। एक दिन एक वकील साथी दफ्तर आए। बोले - समाज कल्याण का बाबू जगन लाल मोर्य को लेकर आऊंगा।वे चाहतां  है कि आप उन्हें लिखकर दे दें। इस घोटाले की जानकारी मैने मोर्य ने दी। इसके बाद आपने छापी। जो आपकी बात हो, उसमें से पांच हजार रुपये मुझे देने हैं।

वे बाद में मोर्य को लेकर आए। मोर्य को उम्मीद थी कि अमर उजाला से लिखकर  मिल जाने पर तू बच जाएगा। मैंने कहा कि लिखकर दे दूंगा। बीस लाख लूूंगा। मैं जानता था कि वह नहीं देगा। मैंने कहा मोर्य बाबू वह भूल गए, जब मैने तीन लाख लौटा दिए थे। तुमने कैसे सोच लिया कि मैं लिखकर दे दूंग?। मोर्य को तो उतना बुरा नहीं लगा, जितना मित्र महोदय को लगा। क्योंक‌ि मुफ्त में मिल रह पांच हजार रुपये का उनका नुकसान हो गया। 

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