जब मेरे विरूद्ध दर्ज हुआ सेना में विद्रोह फैलाने का मामला---5
स्वर्ण
मंदिर पर सेना ने धावा बोलकर आतंकवादियों को मार दिया था। काफी को
गिरफ्तार कर लिया था।आपरेशन हो चुका था। इसे लेकर देश के सिखों में बहुत
गुस्सा था। शाम के समय बिजनौर पुलिस कंट्रोल से मेेसेज आया कि कोडिया
छावनी से एक ट्रक में नौ सिख जवान भागे हैं। उस समय आज के 'स्वतंत्र आवाज
पोर्टल' के संपादक दिनेश शर्मा यहां उत्तर भारत टाइम्स में कार्यरत थे।
उन्हें यह मैसेज हाथ लगा। उन्होंने उत्तर भारत टाइम्स के लिए खबर की।
मैंने अमर उजाला में भेज दी।उत्तर भारत टाइम्स ,बिजनौर लोकल तक सीमित था।
उसपर कुछ फर्क नही पड़ा।
उस समय बरेली
का अमर उजाला बिजनौर आता था। यह खबर सुबह के अमर उजाला अखबार में छप गई।
इससे अगले दिन खबर छपी कि कोडिया छावनी के कमांडिग आफिसर ने मेरे (अशोक
मधुप) और अमर उजाला के संपादक- प्रकाशक स्वामी के विरुद्ध सेना में
विद्रोह करने का मुकदमा दर्ज करा दिया है। बरेली से आदरणीय अत़ुल जी का
अखबार की टैक्सी से पत्र आ गया कि कृपया देख लें। क्या मामला है?
मै और साथी कुलदीप सिंह एडवोकेट कोटद्वार चले गए। वहां अमर उजाला के रिपोर्टर पी डी कुकशाल साहब मिले। बहुत घबराए हुए थे। बोले जल्दी भाग जाओ । कोडिया छावनी के कमांडिग आफिसर को आपका पता चल गया तो जाने आपके साथ क्या करे।
हम उनके साथ चाय की दुकान पर बैठ गए। चाय पीते हुए बात होने लगी।उन्होंने बताया कि आपकी खबर पढ़कर लगभग 10 बजे मैंने छावनी फोन किया ,कमांडिग अफसर से बात की। वह गाली देकर बोला कहाॅ है ?मैं तो सुबह से तेरी तलाश में हूं। मैने कहा - मैं 11 बजे आपके पास आ रहा हूँ। जाने से पहले आफिस गया । पता चला कि सुबह से फौज की गाड़ियाॅ मुझे खोजती घूम रही हैं।
उन्होंने बताया कि मै 11 बजे छावनी पहुंचा। कमांडिग आफिसर मुझे गाली दे, सो दे। एक घंटे तक वह बिफरा रहा। एक घंटा होने पर मैंने कहा - साहब पानी पिलवाओ। आप भी पानी पियो। दोनों ने पानी पिया। वह कुछ ठंडा हुआ तो मैंने कहा -वह अखबार दिखाओ जिसमें खबर है। उन्होंने अखबार दिया। मैने खबर पढ़कर उन्हें सुनाया। खबर में था कि बिजनौर से हमारे संवाददाता अशोक मधुप ने खबर दी है कि कोडिया छावनी से एक ट्रक में सवार नौ जवान बिजनौर साइड को भागे हैं। उन्हें रोका जाए।
उन्होंने बताया कि खबर आराम से पढ़ने के बाद उसका गुस्सा शांत हुआ। इससे पहले वह मुझे गाली दे रहा था। खबर पढ़ने के बाद उसने आपको खूब गलियाया।
कुकशाल साहब से हमने ऐसा प्रदर्शित किया कि हम डर गए हैं। तुरंत बिजनौर जा रहे हैँ। उनसे अलग होकर हम थाने पहुॅच गए। आईओ से मिले। आईओ का नाम याद नहीं। पर बहुत ही बढ़िया और अच्छा पुलिस अधिकारी था। उसने हमें चाय पिलाई। कहा कि इनका जवान भागने का वायरलैस तो हमारे यहां भी रिकार्ड है। उनकी राय थी कि जवान भागे । इन्होंने उनके भागने का वायरलैस किया। किंतु रास्ते की जानकारी न होने के कारण वे पकड़ लिए गए। इन्होंने बाद में मामला दबा लिया।
उन्होंने आश्वस्त किया कि एक सप्ताह में मामला खत्म हो जाएगा। आईओ तीन -चार दिन बाद कमांडिग आफिसर के पास गए।उनसे कहा कि वे बिजनौर अशोक मधुप के पास गए थे। उन्होंने बताया कि यहां पुलिस कंट्रोल को कोडिया छावनी से वायरलैस आया था। वे मुझे लेकर पुलिस कंट्रोल गए। यहां रिकार्ड में दर्ज आपका वायरलैस मैसेज मुझे दिखवाया।
बताएं अब क्या करना है ? केस आगे बढ़ता है तो आपके खिलाफ जाएगा। कमांडिग अधिकारी का अब तक गुस्सा शांत हो चुका था। उन्हें लगा कि मामला आगे बढ़ा तो उनके विरूद्ध जाएगा । सो कहा छोड़ो। मामला खत्म करो। और इस तरह मामला खत्म हो गया। एक सप्ताह भी नहीं लगा।
अशोक मधुप
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