Sunday, October 31, 2010

नजीबाबाद का ताजमहल




शाहजहां द्वारा अपनी प्यारी                 बेगम      मुमताज                 की  यादगार के तौर पर बनवाया गया आगरा का ताजमहल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। लेकिन उत्तर प्रदेश में बिजनौर जनपद के नजीबाबाद शहर में बने ताजमहल के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। लगभग 240 साल पूर्व चारमीनार नाम के इस ताजमहल को एक बेगम ने अपने पति की याद में बनवाया था। पुरातात्विक महत्व की यह इमारत सरकारी उपेक्षा के कारण आज बदहाल है औैर धीरे -धीरे दम तोड़ रही है।

दिल्ली से लगभग 190 किलोमीटर की दूरी पर नजीबाबाद के नाम से प्रसिद्ध शहर को एक रूहेला सरदार नजीबुद्दौला ने बसाया था। नजीबाबाद उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है। कोटद्वार के रास्ते यहां से उत्तराखंड आया जाया जाता है। नजीबुद्दौला ने इस शहर में कई महत्वपूर्ण एवं खूबसूरत भवन बनवाए।
इसी नवाब नजीबुद्दौला के नवासे नवाब जहांगीर खान की याद में उनकी बेगम ने चारमीनार नाम से शानदार मजार बनवाया। इतिहास के जानकारों के अनुसार, नवाब जहांगीर खान की शादी किरतपुर के मुहल्ला कोटरा में हुई थी। शादी के दो साल बाद वह अपनी बेगम को लेने कोटरा गए हुए थे। लौटते समय जश्न की आतिशबाजी के दौरान छोड़ा गया गोला गांव जीवनसराय के पास आकर नवाब जहांगीर खान को लगा और उनकी मौत हो गई। उस हादसे से उनकी बेगम को बहुत धक्का लगा। उन्होंने नवाब की याद में नजीबाबाद के मोजममपुर तेली गढ़ी में चारमीनार नाम का शानदार मकबरा बनवाया।
इस मकबरे के चारों ओर चार मीनारें हैं। एक मीनार की गोलाई 15 फुट के आसपास है। प्रत्येक मीनार तीन खंडों में बनी है। दो मीनारों में ऊपर जाने के लिए 26-26 पैड़ी बनी हुई है। इनसे बच्चे और युवा आज भी मीनार पर चढ़ते उतरते हैं। लखौरी ईंटों से बनी इन मीनारों की एक दूसरे से दूरी 50 फुट के आसपास है। चारों मीनारों के बीच में बना भव्य गुंबद कभी का ढह गया। बताया जाता है कि इसी गुंबद में नवाब जहांगीर खान की कब्र है। हॉल में प्र्रवेश के लिए मीनारों के बीच में महराबनुमा दरवाजे बने हैं। मीनारें भी अब धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही हैं। मीनारों के नीचे के भाग की हालत बहत ही खराब है। उनकी ईंट लगातार निकलती जा रही हैं। नजीबाबाद और बिजनौर जनपद के इतिहास के जानकार बेगम द्वारा बनवाए गए इस चारमीनार ताजमहल के बारे में तो बात करते हैं, लेकिन वे यह नहीं बता पाते कि बेगम का नाम क्या था और वह कब तक जिंदा रहीं। यह भी कोई नहीं बता पाता कि इसके निर्माण पर कितनी लागत आई। ध्वस्त होने को तैयार पुरातात्विक महत्व के इस मकबरे के                 तरंत                 सर  क्षण की जरूरत            अमर                 उजाला         में                 तीस   


















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1 comment:

दिगम्बर नासवा said...

ऐसे कितनी ही धरोहर हैं अपने देश में .... सरकार के जागने क़ि प्रतीक्षा में ... आपका प्रयास अच्छा है बहुत ... अगर सही विभाग जागे तो शायद बात बने ...