Monday, July 27, 2020

प्रदीप जैन पर हमला

पत्रकारिता की भूली बिसरी कथाएं -2
--प्रदीप जैन पर हमला
वर्ष 1995 । मैं श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पांडिचेरी सम्मेलन में भाग लेने परिवार सहित गया था। 25 दिन के अवकाश पर निकला था । सफर में पता चला कि नगीना के हमारे साथी पत्रकार प्रदीप जैन को पुलिस ने पकड़ लिया है। पूरे शहर में पिटाई करते हुए जुलूस भी निकाला गया । तमंचे के साथ उनकी गिरफ्तारी दिखा दी गयी है।प्रदीप जैन नगीने की अपनी ठसक के लिए मशहूर थे ।सम्मान बहुत था। यद‌ि कहीं प्रशासन उन्हें ले जाता तो एसडीएम की गाड़ी में प्रदीप जैन अकेले जाते। एसडीएम सीओ की गाड़ी में होते। नगीना में प्रदीप ने अलग तरह की पत्रकारिता पैदा की।अलग हटकर पत्रकारिता की।
इंस्पेक्टर की वहां के लाटरी माफियाओं उठ-बैठ थी।ये माफिया प्रदीप जैन से नाराज थे।उन्हें सबक सिखाना चाहते थे।
मैं लखनऊ पहुॅचा तो ऑफिस के साथी शैलेंद्र का फोन आया। अतुल जी (अमर उजाला के मालिक अतुल माहेश्वरी जी) का आदेश है कि तुंरत बिजनौर आओ। कई दिन का अवकाश बकाया था। परिवार का लखनऊ घूमने का मन था। मैंने भी ढंग से कभी लखनऊ नहीं देखा था।मैंने अतुल जी से बात की। उन्होंने कहा कि हमारे रिपोर्टर के सम्मान का मामला है। नगीने का इंस्पैक्टर हटना चाहिए। मैंने पुलिस अधीक्षक ‌निरंजन लाल से फोन पर बात की। मेरी उनसे अच्छी उठ -बैठ थी। उन्होंने कहा कि इंस्पैक्टर से ज्यादा वहां का सीओ बदमाश है। पहले वह हटेगा। फिर इंस्पैक्टर। कल तक सीओ हट जाएगा। इसके बाद इंस्पैक्टर भी हट जाएगा। मैंने एसपी से हुई बात अतुल जी को बता दी। बच्चों की नाराजगी के बावजूद मैं बिजनौर लौट आया।मेरे बिजनौर आने से पहले ही सीओ हट चुका था। उससे अगले दिन इंसपेक्टर नगीना हटे।
प्रदीप जैन को प्रताड़नाएं देने के बाद उनका हत्या के प्रयास (307) का झूठा मुकदमा दर्ज कर बिजनौर जेल तो भेज दिया।अगले दिन यह खबर समाचार पत्रों में छपने के बाद बिजनौर समेत आसपास के कई जिलों(जिनमें वर्तमान के उत्तराखंड के क्षेत्र भी)के पत्रकार एकजुट होकर बिजनौर में एकत्र हुए। जिला मुख्यालय पर विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ।
पत्रकारों की एकता व दबाव को देखकर तत्कालीन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने अपर पुलिस अधीक्षक को नगीना भेजकर जांच कराई । पुलिस द्वारा दर्ज किए गए मुकदमे को वापस लिया।पत्रकारों की एकता के कारण ही प्रदीप जैन दो दिन बाद ही जेल से छूटकर आ गए। सीओ ओर इन्स्पेक्टर के हटने से सारे में संदेश गया कि अमर उजाला के रिपोर्टर के साथ ज्यादती की थी, इसलिए हटे। बिजनौर आकर मैं निरंजन लाल जी से मिला। उन्हें धन्यवाद दिया।

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