Thursday, October 3, 2019

धामपुर में दिए भाषण से गांधी जी ने ला दी थी क्रांति

महात्मा गाॅधी और बिजनौर
अशोक मधुप
पूरे देश की तरह बिजनौर में भी आजादी को पाने के लिए जनता उतावली थी। युवाओं के दिलों में आजादी की लहरें हिलोंरे ले रहीं थी। युवा देश पर मर मिटने केे लिए उतावले थे। 18 57 के जनपद की कहानी से वे बहुत चौकस थे। प्रत्येक युवा फूॅक -फूॅक कर कदम रख रहा था।
1857 के आन्दोलन में जनपद के सभी राजाओं और राजघरों ने आपस में तय कर के नवाब महमूद को जिले की कमान अंग्रेजों से दिलाई थी। किंतु नवाब के एक सिपहसालार की करतूत से लड़ाई हिंदू और मुस्लिम में बॅट गई। दोनों पक्ष एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। जनपद के हिंदू राजा अंग्रेजों के साथ हो गए।लगभग एक साल की आजादी के बाद जनपद को फिर से गुलामी का शिकार होना पड़ा।अब सब सचेत थे। अंग्रेजों के खिलाफ जनपद के सारे हिंदू मुस्ल‌िम एक जुट ‌थे। कांग्रेस और आर्य समाज उनमें देश भक्ति की भावना फूॅकने में लगे थे।ऐसे समय में महात्मा गाॅधी का जनपद में आगमन हुआ।
13 अक्तूबर 1929 के दिन विजय दशमी थी।इसी दिन महात्मा गाॅधी धामपुर पधारे। पूरे जनपद के आजादी के दीवाने विजय दशमी के पर्व का पूजन छोड़कर धामपुर पहुॅचे । महात्मा गाॅधी लगभग 11 बजे ट्रेन से धामपुर पहुॅचे ।उनका केएम कॉलेज में प्रवास था। वहीं सभा थी।स्टेशन पर ही भारी भीड़ थी । कार्यकर्ता किसी तरह स्टेशन मास्टर के कमरे से गाॅधी जी को निकाल कर केएम कॉलेज ले गए। रास्ते में भी महात्मा गाॅधीको देखने के लिए सड़क के दोनों ओर भारी भीड़ थी। गाॅधी जी जिंदाबाद के नारे गूॅज रहे थे।
प्रसिद्ध साम्यवादी चिंतक स्वर्गीय चरण सिंह सुमन ने अपनी पुस्तक "स्वतंत्रता संग्राम के स्तंभ" में इस कार्यक्रम का विस्तार से जिक्र किया है।उन्होंने लिखा है कि महात्मा गाॅधी को सुनने के लिए पाॅच हजार से ज्यादा महिलाएॅ सभा में पहुॅची थीं। उस समय के अखबारों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि गाॅधी जी को सुनने आने वालों की संख्या भी 15 हजार से ज्यादा थी। जबकि उस समय धामपुर की आबादी मात्र सात हजार ही थी। सभा का प्रबंध बहुत बढ़िया था। खुद महात्मा गाॅधी ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा था कि यहाॅ की सभा का प्रबंध उत्तर प्रदेश के दौरे की सभी सभाओं से बढ़िया रहा।सभा में जनपद की ओर से गाॅधी जी को 644 रुपये चार आना की थैली भेंट की गयी। वि‌भिन्न संस्थाओं ने उन्हें सम्मान पत्र भी दिए। गाॅधी जी के भाषण के पश्चात उन्हें मिले मानपत्र उनकी इच्छानुसार नीलाम कर दिये गए। इनकी नीलमी से 46 रुपये प्राप्त हुए।महात्मा गाॅधी के अनुरोध पर उन्हें भेंट की गयी राशि में से दो सौ रूपये कांग्रेस संगठन को दे दिए गए ।शेष 400 रुपया खद्दर प्रचार के लिए चर्खा संघ को दे दिया गया।ज्ञातव्य है कि महात्मा गाॅधी चर्खा संघ के मैनेजर डा जसवंत सिंह के कहने पर धामपुर आए थे।
स्वागत सभा के मंत्री डी गाॅगुली ने गाॅधी जी के कार्यक्रम के लिए अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में कहा है कि महात्मा गाॅधी के भाषण से जनपद के युवाओं में नई चेतना जागृत हुई। अनेक कार्यकर्ता अपना व्यवसाय और सरकारी नौकरी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। इनमें गोविंद सहाय , चौधरी होरी सिंह,विशम्भर नाथ माहेश्वरी, राम निवास ,चोखे लाल,पंडित वाचस्पति, सोमदेव , चंद्र शेखर गोयल, लाला मुन्ना लाल ,मक्खन स‌िंह त्यागी,चौधरी चंदन सिंह आदि प्रमुख हैं।इन्होंने कांग्रेस का संदेश गाॅव गाॅव तक पहुॅचाया। ये ही आगे चलकर बड़ा आंदोलन बना।

अशोक मधुप
 2 october 2019 

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