राकेश बेदी का जन्म 1 दिसंबर 1954 को दिल्ली में हुआ। वे एक भारतीय फ़िल्म, रंगमंच और टेलीविज़न अभिनेता हैं । उन्हें मुख्यतः मेरा दामाद, चश्मे बद्दूर (1981), और ये जो है ज़िंदगी (1984), श्रीमान श्रीमती (1995) और यस बॉस (1999-2009) जैसी फ़िल्मों में उनकी हास्य भूमिकाओं के लिए जाना जाता है।
बेदी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली में पूरी की। उन्होंने दिल्ली के एंड्रयूजगंज स्थित केंद्रीय विद्यालय में पढ़ाई की। स्कूल के दौरान, बेदी मोनो एक्टिंग प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे। बेदी ने नई दिल्ली के थिएटर ग्रुप पिएरोट्स ट्रूप के साथ भी काम किया है और पुणे स्थित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान से अभिनय की पढ़ाई की है।
बेदी ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 1979 में संजीव कुमार अभिनीत फ़िल्म हमारे तुम्हारे में एक सहायक अभिनेता के रूप में की और फिर 150 से अधिक फिल्मों और कई टीवी धारावाहिकों में अभिनय किया। उनकी कुछ सबसे यादगार भूमिकाएँ 1981 की फ़िल्म चश्मे बद्दूर में फारूक शेख और रवि बासवानी के साथ थीं और के. बालचंदर द्वारा निर्देशित एक दूजे के लिए और टीवी सिटकॉम श्रीमान श्रीमती (1995), यस बॉस (1999-2009) में मोहन श्रीवास्तव के रूप में, उनकी सर्वश्रेष्ठ भूमिकाओं में से एक है और इसके लिए उन्हें बहुत सराहना मिली।
उन्होंने ज़ीक्यू पर एक विज्ञान शो, साइंस विद ब्रेनकैफे की मेजबानी की और मुंबई में थिएटर करना जारी रखा। विशेष रूप से, उन्होंने विजय तेंदुलकर के लोकप्रिय वन-मैन प्ले मसाज में 24 अलग-अलग किरदार निभाए। 2012 में, वह अपने पहले टेलीविजन ड्रामा डेली सोप, शुभ विवाह में दिखाई दिए। 2015 से, वह टेलीविजन शो भाबी जी घर पर हैं! में दिखाई देते हैं!
फिल्म और रंगमंच की दुनिया में राकेश बेदी अपनी सादगी, सहज अभिनय और स्वभाविक हास्य के बल पर दर्शकों के दिलों में विशेष स्थान बनाया। हिन्दी फ़िल्मों, धारावाहिकों और नाटकों में सक्रिय रहने वाले राकेश बेदी ने अभिनय को केवल मनोरंजन का साधन नहीं माना, बल्कि उसे समाज और मनुष्य की भावनाओं को सहज रूप में व्यक्त करने का माध्यम बनाया। उनकी अभिनय यात्रा चार दशक से अधिक समय में फैली है, जिसमें उन्होंने हर प्रकार की भूमिका निभाई और अपनी अलग पहचान स्थापित की।
यद्यपि राकेश बेदी ने विविध भूमिकाएँ निभाईं, परन्तु हास्य कलाकार के रूप में उन्हें विशेष लोकप्रियता मिली। हिन्दी फ़िल्मों और धारावाहिकों में उनका हास्य कभी भी आक्रामक या असभ्य नहीं रहा, बल्कि सादगी से भरा, सरल और घरेलwपन लिये हुए रहा। उनके संवादों की प्रस्तुति, चेहरे की भाव-भंगिमाएँ और समयानुसार प्रतिक्रिया दर्शकों को सहज ही हँसा देती थी। इसी स्वाभाविकता ने उन्हें हिन्दी सिनेमा की हास्य परम्परा में एक सम्मानजनक स्थान दिय
फ़िल्मों के अलावा राकेश बेदी ने दूरदर्शन और बाद के निजी चैनलों पर प्रसारित अनेक धारावाहिकों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने ऐसे पात्रों को जीवंत किया जो आम भारतीय घरों में देखे-सुने जाते हैं। उन्होंने परिवार आधारित धारावाहिकों से लेकर सामाजिक विषयों पर केन्द्रित प्रसंगों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके अभिनय में अपनापन इतना अधिक था कि दर्शक उन्हें अपने ही घर का सदस्य समझने लगते थ
फ़िल्मों के अलावा राकेश बेदी ने दूरदर्शन और बाद के निजी चैनलों पर प्रसारित अनेक धारावाहिकों में यादगार भूमिकाएँ निभाईं। उन्होंने ऐसे पात्रों को जीवंत किया जो आम भारतीय घरों में देखे-सुने जाते हैं। उन्होंने परिवार आधारित धारावाहिकों से लेकर सामाजिक विषयों पर केन्द्रित प्रसंगों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके अभिनय में अपनापन इतना अधिक था कि दर्शक उन्हें अपने ही घर का सदस्य समझने लगते थे।
राकेश बेदी का रंगमंच से विशेष लगाव रहा है। फ़िल्मों और धारावाहिकों के व्यस्त समय में भी उन्होंने नाटकों से दूरी नहीं बनाई। रंगमंच ने उनके अभिनय को माँजने का काम किया। मंच पर वे हर बार नई ऊर्जा, नया रूप और नया अनुभव लेकर आते हैं। उनका मानना है कि रंगमंच किसी भी कलाकार को नई दृष्टि देता है और निरन्तर अभ्यास करवाता है। उनकी अनेक नाट्य प्रस्तुतियाँ आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय है!
राकेश बेदी की अभिनय शैली बड़े स्वाभाविक ढंग से दर्शक को छू लेती है। वे पात्र को वही रूप देते हैं, जैसा वह कथानक में दिखता है—न अधिक, न कम। चरित्र निर्माण में उनकी सबसे बड़ी विशेषता है सूक्ष्म अवलोकन शक्ति। वे जीवन के छोटे-छोटे अनुभवों का उपयोग अपनी भूमिकाओं में करते हैं, जिससे उनका अभिनय जीवंत हो उठता है। उनका चेहरा सहज ही भावना व्यक्त कर देता है और संवादों की प्रस्तुति में भी वे अत्यधिक सरलता बनाए रखते हैं।लम्बे समय से राकेश बेदी भारतीय फ़िल्म और मनोरंजन जगत का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने ढेरों फ़िल्मों, धारावाहिकों और नाटकों के माध्यम से जो योगदान दिया है, वह अत्यन्त मूल्यवान है। अनेक पुरस्कार और सम्मान उन्हें प्राप्त हुए हैं, किन्तु उनके अनुसार सबसे बड़ा सम्मान दर्शकों का विश्वास और स्नेह है। वे नवोदित कलाकारों को हमेशा यह सीख देते हैं कि अभिनय केवल प्रतिभा नहीं, बल्कि निरन्तर अभ्यास और अनुशासन का विषय है
राकेश बेदी ने मनोरंजन जगत के संसार में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। वे उन कलाकारों में गिने जाते हैं जिन्होंने कला को बाज़ार की वस्तु नहीं बनने दिया, बल्कि उसे संस्कृतिमय और मानवीय स्पर्श प्रदान किया। उनकी विनम्रता, सहजता और दार्शनिक दृष्टि उन्हें सामान्य कलाकारों से अलग बनाती है। आज भी वे सक्रिय हैं और दर्शकों को उत्कृष्ट मनोरंजन प्रदान कर रहे हैं। निःसन्देह, राकेश बेदी भारतीय अभिनय जगत के उन स्तंभों में से हैं, जिनकी उपस्थिति ने मनोरंजन को सौम्यता और संवेदनशीलता के साथ समृद्ध किया है।
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