मदनोत्सव गया,
रंगोंत्सव बीता,
मानव वहीं खड़ा है।
हर उत्सव से भी,
जीवन संघर्ष बड़ा है।
एक साल बाद फिर लौटेगा
ये ही होली का पर्व,
नए रंग,
नई पिचकारी,
नया उल्लास,
नया जोश लेकर।
फिर वही हुल्लड़ होगा,
वही उल्लास,
वही मस्ती।
नही होगा तो
वह पूरा एक साल
जो बीत जाएगा।
वो दिन जो
खत्म हो गए होंगे।
वो सांसे जो चली गईं होंगी ।
अशोक मधुप
रंगोंत्सव बीता,
मानव वहीं खड़ा है।
हर उत्सव से भी,
जीवन संघर्ष बड़ा है।
एक साल बाद फिर लौटेगा
ये ही होली का पर्व,
नए रंग,
नई पिचकारी,
नया उल्लास,
नया जोश लेकर।
फिर वही हुल्लड़ होगा,
वही उल्लास,
वही मस्ती।
नही होगा तो
वह पूरा एक साल
जो बीत जाएगा।
वो दिन जो
खत्म हो गए होंगे।
वो सांसे जो चली गईं होंगी ।
अशोक मधुप
No comments:
Post a Comment