Monday, May 26, 2025

आत्महत्या करने वाले सभी छात्रों की सोचें


अशोक मधुप

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कोटा में हुई छात्रों की मौत पर सुनवाई की।इन पर चिंता जाहिर की। स्टूडेंट्स सुसाइड के मामलों को भी गंभीर बताया और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई, जबकि अकेले कोटा ही नही देशभर के छात्रों की मौत पर  कार्रवाई होनी चाहिए। इन मौत की जांच होनी चाहिए। देशभर के छात्रों की आत्महत्या और  इनको रोकने पर विचार होना  चाहिए।

स्टूडेंट्स सुसाइड  मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कोटा में हो रहे स्टूडेंट्स सुसाइड के मामलों को भी गंभीर बताया और राजस्थान सरकार को फटकार लगाई।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा, 'कोटा में इस साल अब तक 14 स्टूडेंट्स सुसाइड कर चुके हैं। आप एक राज्य के तौर पर इसे लेकर क्या कर रहे हैं? स्टूडेंट्स कोटा में ही क्यों आत्महत्या कर रहे हैं? एक राज्य के तौर पर क्या आपने इस पर कोई विचार नहीं किया?'सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी कोटा में छात्रा का शव मिलने और आईआटी खड़गपुर के छात्र के सुसाइड मामले की सुनवाई के दौरान की। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

चार  मई को एनइइटी एग्जाम से कुछ ही घंटे पहले कोटा के हॉस्टल में 17 साल की छात्रा का शव मिला था। चार मई को ही, आईआईटी खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 साल के स्टूडेंट ने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगा ली थी। इन्हीं दोनों मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने छह मई को स्वतः संज्ञान लिया था।

आईआईटी खड़गपुर सुसाइड को लेकर कोर्ट ने 14 मई को कहा था वो सिर्फ यह पता लगाने के लिए संज्ञान ले रहे हैं कि प्रशासन ने 'अमित कुमार एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य' मामले में जारी कोर्ट के निर्देशों का पालन कर एफआईआर  दर्ज कराई है या नहीं।वहीं, कोटा में हुए सुसाइड को लेकर कोर्ट ने जवाब मांगा था कि एफआईआर  दर्ज क्यों नहीं की गई। जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की बेंच ने ये सुनवाई की थी। इसी के साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश भी दिया था कि मेंटल हेल्थ और सुसाइड प्रिवेंशन के लिए बनने वाली नेशनल टास्क फोर्स यानी एनटीएफ के गठन के लिए 20 लाख रुपए दो दिन में जमा कराएं।

बात पिछले सालों की करें, तो साल 2024 में कोटा में रहने वाले 17 स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया था। पिछले साल जनवरी के महीने में 2 और फरवरी के महीने में 3 सुसाइड हुए थे। वहीं साल 2023 में कोटा में स्टूडेंट सुसाइड के कुल 26 मामले सामने आए थे।

एमपी  सुसाइड प्रिवेंशन टास्क फोर्स के मेंबर और साइकेट्रिस्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी ने कोटा में हो रहे स्टूडेंट सुसाइड को लेकर कहा, ‘किसी भी आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं होता। वही एग्जाम सभी बच्चे दे रहे होते हैं। ऐसे में सुसाइड के लिए मिले-जुले फैक्टर्स जिम्मेदार होते हैं। इसमें जेनेटिक्स कारण, सामाजिक कारण, पियर प्रेशर, माता-पिता के एक्सपेक्टेशन्स, शिक्षा तंत्र सब शामिल है।

डॉ त्रिवेदी कहते हैं कि कहीं न कहीं हम बच्चों को ये सिखाने में नाकामयाब हो जाते हैं कि स्ट्रेस, रिजेक्शन या फेलियर से कैसे डील करना है। आज बच्चा ये मानने लगा है कि उसका एकेडमिक अचीवमेंट उसके एग्जिस्टेंस से भी बड़ा है। बच्चा तैयारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जीवन छोड़ने के लिए तैयार है। सोसायटी ने प्रतियोगी परीक्षाओं को बहुत ज्यादा महिमामंडित कर दिया है जिसकी वजह से बच्चा ये महसूस करता है कि मैं पूर्ण तभी हो सकूंगा जब कोई एग्जाम क्रैक कर लूंगा।

   देश में आत्महत्या के हर साल आने वाले मामलों में छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। आंकड़ों की बात करें तो साल 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या की थी. जबकि, साल 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की। वहीं 2018 से 2020 के दौरान कुल 33,020 छात्रों ने आत्महत्या कर ली।भारत युवाओं का देश है. यहां की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी युवा है. लेकिन, अब इसी देश में हर 40 मिनट में एक युवा अपनी जान दे रहा है। ये आंकड़े स्टूडेंट सुसाइड- एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट की ओर से जारी किए गए हैं। दरअसल, देश में हर दिन 35 से ज्यादा छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। साल 2018 से 2022 तक देश में 59,153 छात्रों ने आत्महत्या कर ली।

स्टूडेंट सुसाइड - एन एपिडेमिक स्वीपिंग इंडिया रिपोर्ट, आईसी थ्री  की साला कॉन्फ्रेंस में साझा की गई। इस रिपोर्ट को तैयार करने के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो  के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है। आईसी− 3 एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन है जो पूरी दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है।

इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में जहां आत्महत्या की दर हर साल दो फीसदी की दर से बढ़ रही है, वहीं छात्रों में आत्महत्या की दर चार  फीसदी की दर से हर साल बढ़ रही है। यानी देश में आत्महत्या के जितने मामले हर साल आते हैं, उनमें छात्रों की संख्या सबसे ज्यादा होती है। आंकड़ों की बात करें तो साल 2021 में 13,089 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी. जबकि, साल 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की। वहीं 2018 से 2020 के दौरान कुल 33,020 छात्रों ने आत्महत्या की।

छात्रों की आत्महत्या के अलग-अलग मामलों में अलग-अलग वजहें हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में सिर्फ एक वजह है। ये वजह है मेंटल हेल्थ। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में 15 से 24 साल का हर सात  में से एक आदमी खराब मेंटल हेल्थ की समस्या से जूझ रहा है।

सबसे बड़ी बात तो ये है कि लोग अपनी मेंटल हेल्थ की समस्या को गंभीरता से नहीं लेते. यूनिसेफ के इस सर्वे में ही जितने लोगों ने भाग लिया, उसमें से सिर्फ 41 फीसदी लोग ही अपनी मानसिक समस्या के समाधान के लिए काउंसलर के पास गए। यानी 59 फीसदी लोगों ने इस समस्या को जैसे का तैसा छोड़ दिया।

देश को चाहिए कि वरिष्ठ मनोवैज्ञानिकों  की कोई प्रदेश स्तर पर ऐसी कोई संस्था बनाए तो तकनीकि शिक्षा के  लिए कोचिंग करने वालों और तकनीकि शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र− छात्राओं  के मानसिक स्तर की समय – सयम पर जांच करे।  उनकी कोंसलिंग करे।उनकी समस्याओं पर विचार कर छात्र− छात्राओं का सही मार्ग  दर्शन करे, ताकि वह आत्महत्या न कर ,  विपरीत परिस्थिति से संघर्ष करना  सीखें। उन्हें जीवन जीने की कला  सिखाई जाए। अगर विशेषज्ञ समझें तो  कोचिंग करने वाले और  तकनीकि शिक्षा प्राप्त करने वाले युवाओं को मैडिटेशन या ध्यान से भी जोड़ा  जा सकता है। इससे  युवाओं में विषय के प्रति एकाग्रता बढ़ेगी।चिंतन शक्ति का विकास होगा। निगेटिव विचार कम होंगे।ये   मैडिटेशन या ध्यान उन्हें पूरे जीवन के लिए नई र्जा प्रदान करेगा।

 

अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)


Sunday, May 18, 2025

आपरेशन सिंदूर से नुकसान तो चीन को हुआ

 


अशोक मधुप

वरिष्ठ पत्रकार

भारत के चार दिवसीय आपरेशन सिंदूर को लेकर हुए युद्ध  विराम की सबसे बड़ी बात यह है कि भारत और  पाकिस्तान दोनों अपनी −अपनी सफलता पर प्रसन्न है। दोनों जश्न  मना रहे हैं, किंतु इस युद्ध से सबसे  ज्यादा लाभ भारत को हुआ है, और सबसे  ज्यादा नुकसान युद्ध से दूर खड़े होकर तमाशा देख  रहे चीन को । भारत युद्ध में अपने शस्त्रों विशेषकर मिजाइलों  की गुणवत्ता और सटीकता को पूरी दुनिया में साबित करने में  कामयाब रहा।  इससे  भारत में बनी रक्षा प्रणालियों और हथियारों को लेकर माँग अब बढ़ेंगी। हालाकि   चीन युद्ध में शामिल नही था किंतु पाकिस्तान उसके अस्त्र −शस्त्रों के बल पर जंग के मैदान में था।चीन के बने  उपकरण पहले ही अपनी निम्न क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध थे।इस युद्ध में  तो उनके  निराशाजनक प्रदर्शन ने और चीन के सामान की शाख मिट्टी में  मिला दी। चीन अब सफाई में भले ही यह कह रहा है कि उसके उपकरण सही हैं,  पाकिस्तानी सैनिकों पर  उन्हें चलाना नही आया। चीन अब कुछ भी सफाई ने किंतु कोई भी देश अब ये मानने को तैयार नही कि चीन के शस्त्र किसी काम के हैं।   इस चार दिनी युद्ध में सबसे ज्यादा नुकसान चीन को हुआ।चीन अब कुछ भी तर्क दे, कोई भी  दावा करे, अब कोई उसकी बात पर यकीन करने वाला  नही है।

 

पाकिस्तान वर्तमान में चीन के बनाए हुए HQ-16 और HQ-9 एयर डिफेन्स सिस्टम का इस्तेमाल करता है। HQ-9 जहाँ 125 किलोमीटर तो HQ-16 लगभग 50 किलोमीटर की रेंज वाला एयर डिफेन्स सिस्टम है। पाकिस्तान के लिए चीन ने इसमें बदलाव किए , इसके बावजूद  इसका कोई फायदा नहीं हुआ है।ये सिस्टम न तो भारत के द्रोण रोक सके और नही मिजाइल।यह एक भी भारतीय मिसाइलड्रोन या लोइटेरिंग म्युनिशन नहीं पकड़ पाए। भारत ने तो इन डिफेन्स सिस्टम को ही तबाह कर दिया। चीन ने पाकिस्तान को जेएफ−17 लड़ाकू विमान भी बेचा । पाकिस्तान को इसका भी कोई लाभ  न मिल सका।पाकिस्तान ने भारत पर हमले के लिए चीन में बने ड्रोन का भी इस्तेमाल किया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ चीन के विंग लूँग और CH-II ड्रोन इस्तेमाल किए थे। इन्हें भी भारत ने सीमा पर ही मार गिराया है। इनमें से कोई भी ड्रोन भारत के किसी टार्गेट को हिट नहीं कर पाया।

हम जानते हैं कि चीन भारत का प्राकृतिक  शत्रु देश है । कितना भी कर लें वह भारत का मित्र नही हो सकता। वह  पाकिस्तान का मित्र देश है और आज पाकिसतान को शस्त्र देने वाला सबसे बड़ा आपूर्ति करता देश। इतना जानने के बावजूद   हम भारतवासी सस्ते के चक्कर में चीन का बना सामान धड़ल्ले से खरीदते हैं।कभी चीन से विवाद के समय ही हमारी  देशभक्ति जागती है,  वह भी कुछ दिन के लिए और  मात्र फेसबुक तक।यदि आधे भारतवासी ही एक साल के लिए चीन के बने सामान का बायकाट कर दें तो चीन घुटनों में    जाए।कुछ साल के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा से मुंह मोड़कर देखिए।चीन रास्ते पर आ जाएगा।

 लगभग  50 के आसपास अरब देश हैं किंतु दो अरब देश  तुर्की और अज़रबैजान  ही  इस लड़ाई में पाकिस्तान के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े नजर आए। इस लड़ाई में पाकिस्तान ने तुर्की में बने 40 से ज्यादा द्रोण का इस्तमाल किया, हालाकि ये सभी  रास्ते में मार दिए गए।

2024 में पर्यटन के लिए 2.75 लाख भारतीय तुर्की गए। 2024 में पर्यटन के लिए 2.5 लाख भारतीय अज़रबैजान के बाकू गए। 2022-2024 के दौरान अज़रबैजान में भारतीय पर्यटकों के आगमन में 68 प्रतिशत  की वृद्धि हुईऔर अज़रबैजान में औसत प्रवास समय 4-6 दिन है। तुर्की में भारतीयों का औसत प्रवास 7-10 दिन है।कुल मिलाकरभारतीय अज़रबैजान की अर्थव्यवस्था में सालाना 1,000-1,250 करोड़ रुपये का योगदान करते हैं। भारतीय तुर्की की अर्थव्यवस्था में सालाना 2,900-3,350 करोड़ रुपये का योगदान करते हैं। इस्तांबुलकप्पाडोसिया और अंताल्या में भारतीयों की सबसे ज़्यादा दिलचस्पी है।विदेश में प्रति भारतीय पर्यटक का औसत खर्च प्रति यात्रा ए से सवा लाख रुपये है। चूंकि भारत का मध्यम वर्ग अतिरिक्त आय के साथ 40 करोड़ तक पहुंच गया हैइसलिए सोशल मीडिया और फिल्मों के माध्यम से लोकप्रियता उन्हें तुर्की और अजरबैजान की ओर आकर्षित कर रही है।भारत के कारणतुर्की और अजरबैजान में 20,000 प्रत्यक्ष पर्यटन नौकरियों का सृजन हुआ। अप्रत्यक्ष नौकरियां 45,000-60,000 से अधिक हैं। पिछले चार वर्षों में तुर्की के आतिथ्य क्षेत्र में भारतीय निवेश में 35% की वृद्धि हुई है।

अपने दुश्मन देश को लाभ  पहुंचाना  बंद करने देखिए।सांप और सपोलिए  पालना बंद करिए। सब रास्ते पर आ जाएंगे।दुनिया भर के देशों में घूमने के लिए बहुत सी खूबसूरत जगह हैंसिवाय इन दो देशों के।अगली बारजब भी यात्रा की योजना बनाएँतो इन दो देशों को  छोड़ कर कही भी चले जाए, ये ज्यादा ठीक होगा।

इस चार दिन के भारत और पाकिस्तान के संघर्ष के बाद यह तै  हो गया कि  दुनिया में भारत के अपने शस्त्रों की विश्वसनीयता बढ़ी है।ब्रह्मोस्त्र  की तो  पहले   ही मांग होने लगी थी। अब और ज्यादा मांग आएगी।भारत का शस्त्रों का बाजार बढ़ेगा। निर्यात बढ़ेगा तो देश की अर्थ व्यवस्था  मजबूत होगी। रूस एस −500  बनाने की पहले ही तकनीक भारत को देने को तैयार है। रूस −भारत का विश्वसनीय मित्र है। भारत को चाहिए की समय की मांग को देखते हुए एस − 500 का निर्माण  अपने यहां शुरू कर दे।राफेल की तरह दुनिया की सबसे श्रेष्ठ  तकनीक खरीदे। अमेरिका  मात्र शस्त्रों का  सौदागर है। वह किसी देश का मित्र नही हो सकता। भारत को चाहिए कि अमेरिका का  बिल्कुल विश्वास न करें।इन चार दिनों के युद्ध में रूस और इस्राइल भारत के साथ खड़े  रहे। अब भारत को  समय की जरूरत के हिसाब से नए मित्र बनाने  होंगे। अपने को  मजबूत करना  होगा। तुर्की में भूकंप आने पर भारत 'ऑपरेशन दोस्तशुरू किया।  इसके तहत तुर्की को मेडिकल सहायता भेजी गई। इस ऑपरेशन के तहत एनडीआरएफ की दो टीमें तुर्की भेजीं।इसमें   एक डॉग स्क्वॉड भी शामिल था।भारत की रेस्क्यू टीमों ने मलबे में दबे लोगों को खोजनेउन्हें बाहर निकालने में मदद की। ऑपरेशन दोस्त के तहत भारत ने छह विमान और  30 बिस्तरों वाला मोबाइल अस्पतालमेडिकल सामग्री सहित सभी जरूरी सामान भिजवाए। तुर्किए में भारत का ऑपरेशन दोस्त 10 दिनों तक चला।  इसका बदले  तुर्की ने पाकिस्तान की किस तरह मदद की । किस  तह शस्त्र  भिजवाए,  यह हाल में पता चल गया।

अनुमान  लगाए जा रहे हैं कि चीन के हथियारों के भारत के खिलाफ फेल होने के बाद अब पाकिस्तान  अमेरिका और बाकी पश्चिमी देशों से हथियार खरीदने पर जोर लगाएगा। हालाँकिउसकी आर्थिक स्थिति को ठीक नही किंतु यह एक हजार साल भी भारत से लड़ने का इरादा रखता है। भले ही उससे  दुनिया के आगे भीख मांगनी पड़े। झोली फैलनी पडे।

अमेरिका भारत के विरोध के बावजूद पहले भी पाकिस्तान को युद्ध सामग्री देता रहा है। भात के पुरजोर विरोध के बावजूद उसने पाकिस्तान को एफ −16 विमानों की खेप दी थी।अब चीन से पाकिस्तान का  मोहभंग होता देख  अमेरिका और मित्र देश  पाकिस्तान को अपने खेमें में लेने के लिए कार्य करेंगे।  

 

एक बात और भारत ने  पहली बार पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई में चीन से मिले हथियारों का नाम लिया है। भारत ने बताया कि पाकिस्तान ने इन हथियारों का इस्तेमाल भारतीय सेना पर हमला करने के लिए किया था। डीजीएओ एयर मार्शल एके भारती ने सबके सामने पाकिस्तान और चीन की इस सांठ-गांठ के सबूत दिखाए। ये काम तो बहुत पहले से होना  चाहिए था।वैसे  चीन पर इसका कोई असर होने वाला  नही है।  उसका ध्येय  अपना और अपनी सीमाओं का विस्तार करना है,  वह इसमें लगा है। चीन भारत को अपना सबसे प्रबल शत्रु मानता है,वह मानता रहेगा ।भारत अपने दुश्मनों की मदद करन में चीन का नाम ले या न लें को फर्क पड़ने वाला नही है।

अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Friday, May 9, 2025

कांटे को कांटे से ही निकालना बेहतर है

 कांटे को कांटे से ही निकालना बेहतर है

अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

पुराना  सिद्धांत है कि कांटा −कांटे से निकलता है तलवार या मिजाइल से नही। करना भी वही चाहिए।  सिद्धांत के विपरीत जाने में ज्यादा नुकसान की ज्यादा संभावना रहती है। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद आज देश  गुस्से में  है। देश की जनता चाहती है कि हमला कराने वाले पाकिस्तान से भारत बदला ले। पाकिस्तान को तहस − नहस कर दे।  पाकिस्तान पर हमलाकर उसे  सबक सिखाए। सरकार भी ही चाहती है। इसके लिए  उसने सेना को  फ्रीहैंड दे दिया।  ऐसे  में देश की  जनता को चाहिए कि सरकार और सेना को सोचने, समझने और तैयारी करने का अवसर दे।  हमले की तैयारी  फुलप्रूफ हो कि  दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो।  हमले में अपने देश ,देश के   जवानों और सेना की कम से कम क्षति हो। हमले का बदला भी ले लिया जाए। 

 इतिहास गवाह है कि पहले भी हम अपना बहुत कम नुकसान कर दुश्मन का बड़ा नुकसान पहुंचा चुके हैं। इसके लिए पाकिस्तान में  बने आंतकियों के लांचिंग पैड दो बार तबाह ही नही किए, वहां मौजूद  आंतकियों का  खात्मा भी  दो बार पहले हो चुका है।भारतीय सेना के कमांडो ने 28 सितंबर 2016 की रात को गुलाम कश्मीर (पीओके ) में दाखिल होकर आतंकी कैंपों में सर्जिकल स्ट्राइक की। यह कार्रवाई गुलाम कश्मीर (पीओके ) के चार क्षेत्र भिंबर सेक्टर, तत्तापानी सेक्टर, लिपी सेक्टर व कैल सेक्टर में एक साथ हुई। पांच घंटे चली इस कार्रवाई में इन सेक्टरों में चल रहे छह आतंकी शिविर तबाह करने के साथ करीब 45 आतंकियों को मार गिराया गया। मिशन को अंजाम देकर सभी कमांडों सुरक्षित भारतीय क्षेत्र में लौट आए। अभियान में शामिल कमांडों की हेलमेट पर लगे विशेष कैमरों व ड्रोन की मदद से पूरे ऑपरेशन को कैद भी किया गया।14 फरवरी 2019 को जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में जोरदार विस्फोट हुआ था। निशाने पर था CRPF के 78 वाहनों का काफिला। विस्फोट में 40 जवान शहीद हो गए थे। दो सप्ताह बाद 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 विमानों ने रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा यानी एसओसी  पार कर पाकिस्तान के पूर्वोत्तर इलाके खैबर पख्तूनख्वाह के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। भारत के तत्कालीन विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि इस स्ट्राइक में बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी, उनको प्रशिक्षण देने वाले, संगठन के बड़े कमांडर और फिदायीन हमलों के लिए तैयार हो रहे जिहादियों को खत्म कर दिया गया। अगले दिन पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की। भारत ने दावा किया कि डॉग-फाइट में भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 को मार गिराया। पाकिस्तान ने भी मिग-21 को मार गिराया और विंग कमांडर अभिनंदन को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि, दबाव में दो दिन बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।बदला  लेने की तैयारी ऐसी ही हो ।अपना कम से कम नुकसान हो और दुशमन का बहुत ज्यादा।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान पर पांच तरफ से हमला बोला। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घोषणा कर चुकें है कि इसका बदला  लिया जाएगा।  दुश्मन को माफ  नही किया जाएगा।  उसे कड़ी से कड़ी  सजा दी जाएगी। भारत सरकार  सिंधु जल संधि, अटारी सीमा और वीजा संबंधी सेवाएं बंद करने का फैसला कर चुकी है। पूरे विश्व  में पाकिस्तान का चरित्र  उजागर करने में भारत का विदेश मंत्रालय लगा है। भारत  दुनिया भर के देशों को इस बात के सबूत देने में लगा है कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद फैला रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी कबूल कर चुके हैं कि पाकिस्तान तीन दशक से आतंकवाद बढ़ाने में लगा है। एक इंटरव्यू में आसिफ ने कहा था, “हम लगभग तीन दशकों से संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएस) और ब्रिटेन सहित पश्चिम के लिए आंतकवाद फैलाने का यह गंदा काम कर रहे हैं।”

इस सबके बीच अब सरकार ने पाकिस्तान पर सोशल स्ट्राइक कर हमला बोला है। भारत में पाकिस्तान के 16 यूटयूब चैनल बंद किए जा चुकें हैं।आसिफ के एक्स अकाउंट को बैन करने का यह कदम भारत द्वारा 16 पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध लगाने के ठीक एक दिन बाद उठाया गया। बैन किए गए पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों का सब्सक्राइबर बेस 63 मिलियन है।ये चैनल भड़काऊ और सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री फैला रहे थे।ब्लॉक किए गए कुछ प्रमुख पाकिस्तानी यूट्यूब चैनलों में डॉन न्यूज, एआरवाई न्यूज, बोल न्यूज, जियो न्यूज, समा टीवी और जीएनएन शामिल हैं।

 हाल के पहलगांव में हुए  इस दुर्दांत हमले के बाद से भारत की जनता में आक्रोश है। साथ ही साथ पीएम मोदी और देश की तमाम राजनीतिक पार्टियां एक मंच पर आकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की बात कह रही है। इस हमले के कुछ ही दिन बात पीएम मोदी ने बिहार की धरती मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के आकाओं और आतंकियों को ये खुले शब्दों में चेतावनी देती हुए कहा है, ‘आतंकियों को ऐसी सज़ा मिलेगी जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी।सब बदला चाहते हैं किंतु  जोश मे होश  खोना ठीक नही।हमें ऐसा काम करना चाहिए कि हमारा नुकसान कम से कम हो और दुश्मन का ज्यादा से ज्यादा ।

उधर भारत सरकार ने इस घटना का बदला लेने के लिए सेना को फ्री हैंड  दे दिया है। प्रधानमंत्री मोदी की सेना को फ्री हैंड देने की घोषणा का मतलब है कि अब भारतीय सेना आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी। अब उसे इसके लिए किसी राजनैतिक से अनुमति की जरूरत नही होगी। 

सरकार ने जहां आंतकवाद को प्रश्य  देने वाले पाकिस्तान को नुकसान पहुंचाने के लिए सरकार  सिंधु जल संधि को स्थागित करने का फैसला लिया है।  ऐसे  ही और निर्णय भी हो सकतें हैं पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों  पर साइबर अटैक कराए जा सकते हैं। तो पाकिस्तान के विरूद्ध खड़े आतंकवादी समूहों की इसी तरह मदद की जा सकती है जैसे पाकिस्तान भारत के विरूद्ध करता है।सिंध और बलूचिस्तान के आजादी  के आंदोलन में लगे सशस्त्र   समूहों की मदद करके उन्हें मजबूत किया जा सकता है।  अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार पाकिस्तान से  नाराज है कि उसका भी फायदा उठाया जा सकता है। हालात इस तरह के पैदा किए  जा सकते है कि बिना  सैनिक कार्रवाई किए  पाकिस्तान को अपने घर में उलझा दिया जाए।  ऐसे हालात पैदाकर दिए जाएं कि उसके विभिन्न टुकड़े हो जाएं।

इस सब के बीच बड़ी खबर यह है कि आम कश्मीरी इस  हमले का विरोध कर रहा है।इस  हमले की कश्मीर की मशजिदों  से निंदा की गई।सबने एक  सुर में  कहा कि पाकिस्तान को इसका जवाब दिया जाना चाहिए। पिछले कुछ साल में कश्मीर में लौटी रौनक  से कश्मीर का कारोबार बहुत तेजी के साथ बढ़ा है।करीब 15 लाख टरिस्ट अब कश्मीर आने लगे  हैं।22 अप्रैल की आंतकवादी घटना ने कश्मीर के इस व्यापार को बड़ा धक्का दिया  है। ज्ञातव्य  है कि इस हमले में 26 सैलानियों की मौत हुई है।

पहलगाम में आंतकी हमले के बाद देश में गुस्सा है। देश की जनता चाहती है कि हमला कराने वाले पाकिस्तान से भारत बदला ले।  पाकिस्तान पर हमलाकर उसे  सबक सिखाए।  देश की जनात  इस समय  जोश में है किंतु जोश में हमें होश  नही खोना है। हमारी कोशिश ये हो कि बिना युद्ध के पाकिस्तान से बदला ले लिया लाए।उसे विभिन्न भाग में तोड़ दिया जाए। हमला करने वाले कही भी जाकर छुप जाए  इसे इस्राइल के गुप्तचर संगठन मौसाद की तर्ज पर वहीं जाकर मारा जाए।

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)