Monday, November 18, 2024

पूरी तरह कामयाब रहा बिजनौर महोत्सव

 पूरी तरह कामयाब रहा बिजनौर महोत्सव

कार्यक्रम की सफलता से बहुत उत्साजहित है बिजनौरी

अशोक मधुप

वरिष्ठ पत्रकार

बि‍जनौर जनपद के दो सौ  साल पूरे होने पर आयोजि‍त  बि‍जनौर महोत्सव अपनी आन -बान और शान  के साथ  संपन्न  हो गया।इसके साथ ही  बिजनौरवासियों में एक चेतना का संचार कर गया। इस कार्यक्रम में देश- विदेश से बड़ी संख्या में बिजनौरी शिरकत करने आए। बिजनौर महोत्सेव से जुड़ने वाले बिजनौरी अब अपने  जनपद के विकास की बात कर रहे हैं।जनपद के विकास की योजनाएं  बना रहे है।सबका प्रयास है कि  बिजनौर जनपद में विकास की त्रिवेणी पूरी क्षमता से प्रवाहित हो।   

बिजनौरवासियों को अबतक अफसोस रहा है कि  विकास के मामले में शुरू  से ही बिजनौर को  नजर अंदाज  किया  गया है। बिजनौर के  विकास के लिए आए प्रोजेक्टत बड़े नेता अपने क्षेत्र में ले गए।प्राय: बिजनौर का सांसद  उस दल से चुना जाता रहा ,जिसकी केंद्र में सरकार नही होती थी। सो न उसकी सुनी गई न उसके क्षेत्र में विकास ही हुआ।

बिजनौर महोत्सीव के लिए बिजनौर जिला प्रशासन ने कई माह से तैयारी शुरू कर दी थी। इसी के परिणामस्विरूप बड़ी तादाद में बिजनौरी प्र्रशासन द्वारा बनाए इस व्हावटसएप ग्रुप से जुड़े।उन्होंसने सोचना शुरू कर दिया की बिजनौर का विकास कैसे हो। बिजनौर महोत्सेव में देशभर से तो बिजनौरी कार्यक्रम में पहुंचे ही, कनाड़ा,बंगलादेश  और  दुबर्इ  आदि से भी बिजनौरी कार्यक्रम में  शिरकत करने आए। सबने   पूरे मन से कार्यक्रम का आनंद लिया। 

उद्घाटन के बाद आठ नवंबर की शाम को प्रवासी बिजनौरियों ने गंगा बैराज पर  गंगा  आरती में भाग लिया। गंगा  आरती इतनी भव्य  थी  कि देखकर  लगता था कि ये  आरती बिजनौर में नही बनारस या हरिद्वार में गंगाघाट पर हो रही हो। गंगा आरती के संयोजक सौरभ  सिंघल ने इस आरती  कराने के लिए बनारस से आठ  योग्यक पंडित बुला रखे थे।उन्होंकने आरती विधि विधान से कराई। आने वाले मेहमानों को  गंगा जल से भरी एक-एक गंगा जलहरी भी भेंट की गई। 

बिजनौर महोत्सेव में सांस्कृातिक कार्यक्रम ,  कवि सम्मे लन और मुशायरे में शामिल होने वाले प्राय:  बाहरी कलाकार और  कवि थे।इसलिए बिजनौर के युवाओं ने जनपद के कवियों के लिए सात नवंबर की रात में मुशायरा रख लिया।नौ और   इसमें जनपद के कवियों  ने कविताएं प्रस्तुरत किए।  नौ और  दस में हुउ जनपद के स्कूवली छात्र - छात्राओं अैर जनपद के कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुीत किए।इन्हेंल देखकर कोर्इ  ये नही कह सकता थी ये बड़े या मुंबई की फिल्मीय दुनिया के कलाकारों से कमतर हैं। कक्षा  सात के छात्रों के आरकेस्ट्रा ने तो  पूरे कार्यक्रम में अपनी धूम रखी।

 नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम् दर्शकों  पर अपनी अमिट छाप छोड़ गया।

बिजनौर की एक सांग मंडली ने सांग प्रस्तुोत कर जनपद की पुरानी सांग खेलने की परंपरा को जिवित करने का प्रयास किया।ऐसे  ही चांदपुर के  चाहरबैत के गायकों ने अरब से आई इस गायन कला की प्रस्तु ति से दर्शर्कों का मन मोह लिया। चाहरबैत अरब से आर्इ कला है।  इसे पठानी कला के नाम से भी जाना जाता  है।  

बेसिक शिक्षा की कक्षा  सात की बालिकाओं के कार्यक्रम को देखकर सारे दर्शक वाह-वाह कर उठे। किसी को नही लगा कि यह स्था नीय बालिकाएं हैं।ऐसे ही जनपद के  सीमावृति गांव की महिलाओं  ने गढ़वाली नृत्यऐ करके अपनी प्रतिभा का दर्शकों को लोहा मनवा दिया।     


बिजनौर वासियों ने मंथन कार्यक्रम में   बिजनौर के विकास पर चर्चा की । ये भी चर्चा हुई कि बिजनौर को  पर्यटन के नक्शे   पर लाने के लिए क्याभ- क्यार किया जाए।यह भी तय हुआा कि इसके लिए बिजनौर की अलग से वेवसाइट बनाई  जाए। जनपद के संपर्क मार्ग पर प्रचार के हार्डिंग लगाए जाए।युवाओं को गाइड के लिए प्रशिक्षित किया जाए।जनपद में बढ़ते पर्यटन को देखते हुए पर्यटकों के निवास के स्‍‍थान बढाए जाएं। जनपद में होम स्टेप का प्रचलन शुरू कि‍या जाए।

वास्तरवि‍क कार्यक्रम  आठ नौ दस नवंबर को था किंतु स्कूटल और कालेज में कार्यक्रम कई  दिन पहले से शुरू हो गए थे। अधिकारिक कार्यक्रम की समाप्तिक के बाद भी स्कूएल  कालेज में कार्यक्रम अब भी जारी हैं। पूरे जनपद को सजाने में प्रशासन स्तूर से कोई  कमी नही रखी गई। जगह जगह पर  लगे होर्डिग इस कार्यक्रम केा भव्यम  बना रहे थे।  बिजनौर शहर को सजाने में तो बिजनौर पालिका ने कोई कसर ही नही छोड़ी।  

राज्यई ललित कला केंद्र की और से रानी भाग्यलवती महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित  पांच दिवसीय प्रदर्शनी भी बहुत लोकप्रिय हुई। इसमें बिजनौर और प्रदेश के   चित्रकारों ने  राष्ट्री य  अस्मिहता और बिजनौर की थीम पर चित्र बनाए।इस प्रदर्शनी का जनपद के चित्रकार, कला प्रेमी और छात्र-छात्राओं ने अवलोकन किया। ये प्रदर्शनी जनपद के युवा और प्रतिभाओं का  मा्र्ग प्रश्‍स्ता करने का कार्य करेगी।

बिजनौर महोत्सनव के अवसर पर जनपद के सभी  विद्यालयों ने अपने यहा अलग अलग कार्यक्रम आयोजित करके जनरूचि  और जनभागीदारी पैदा करने का कार्य किया।     

जनपदवासियों और प्रशासन ने बाहर से आने वाले बिजनौरियों के स्वागगत में कोई  कसर नही छोड़ी।  उनका भरपूर सम्माकन किया गया।कार्यक्रम में शामिल होने वालों से प्रशासन और बिजनौरवासियों ने जिले के विकास में भरपूर सहयोग की अपील की।  आगंतुक बिजनौरी भी  मन ही मन में में ये सौंगध लेकर गए कि अपने जनपद के विकास में अब उन्हेंन योगदान करना  है। कोई  कोर कसर नही छोड़नी है।

आज हालत है कि जिले के आईएएस, पीसीएस और  बड़े अधिकारियों ने अपना -अलग ग्रुप बना लिया   है। इस ग्रुप में शामिल सभी बिजनौर के विकास पर बात कर रहे है। सबका प्रयास है कि अब तक हुई जनपद की उपेक्षा की कमी वह जल्दीह से जल्दी पूरी कर दें।  

अखबारों ने इस कार्यक्रम के कवरेज के लिए विशेष प्रबंध किए। स्थारनीय दैनिक  बिजनौर टाइम्सए और चिंगारी ने तो इस अवसर पर विशेष  परिशिष्ठी  निकाले।     

bइस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसका संदेश  दुनिया भर में बसे भारतीयों तक पंहुचा। वे सब अब बिजनौर और  उसके होने वाले विकास में अपना योगदान देने का  प्रयास कर रहे हैं। जिलाधिकारी  देवदत्ते जी के समय 1998 और 1999 में भी हालाकिं बिजनौर महोत्सव की तरह  विदुर महोत्स व हुए थे, किंतु वह एक प्रकार से सरकारी कार्यक्रम ही बनकर रह गए। उनमें जनभागीदारी नही बढ़ी। उससे  बिजनौरवासी  नही जुड़ सके। इस बार जनपद वासियोंकी भागीदारी बढ़ी। प्रशासन ने उन्हें  जगह –जगह से बुलाया।उनसे आह्वान किया कि बिजनौर आपका  जिला है।इसके विकास में आप योगदान करें। आप सब अपने जिले को आगे लाने के लिए कार्य करें।

इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि  यह है कि इस बार के कार्यक्रम में राजनैतिक व्यीक्‍तियों को अलग रखा गया।यह कार्यक्रम शुद्ध  बिजनौरवासियों का बनकर ही रहा।   इस कार्यक्रम में एक कमी लगी की  कार्यकम के दौरान बिजनौर जनपद के विकास का कोई स्प ष्टम  एजेंडा  नही बन सका।यदि ये हो जाता तो  और बेहतर होता।

इस का्र्यक्रम के आयोजन के बाद अब यह निश्चि त होता लग रहा है कि अब ये बिजनौर महोत्स व बिजनौर की भूमि पर प्रतिवर्ष हुआ करेगा। और उम्मीाद है कि आने वाले कायर्क्रमों  में प्रत्ये क वर्ष  बिजनौरवासियों की भागीदारी बढ़ेगी।इसके लिए जिला प्रशासन कार्यक्रम में आने वालों का डाटा  भी इसी लिए तैयार कर रहा है।  

अशोक मधुप

 ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

अब कनाड़ा में खालिस्तान बनने की प्रक्रिया शुरू

अशोक मधुप, वरिष्ठ  पत्रकार

अभी कुछ माह पूर्व  25 मई को हमने अपने लेख्‍ में कहा था  कि कनाडा में खालिस्‍तान समर्थकों की गतिविधि को भारत नजर अंदाज करता रहे। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को खालिस्‍तानियों का समर्थन करने दे, जल्‍दी ही खालिस्‍तान कनाडा में बने। भारत में नही। ऐसा होता अब नजर आने लगा है।खालिस्‍तानी वहां मांग करने लगे हैं कि कनाडा  हमारा है। बाकी दुनिया भर के लोग अपने-अपने देश  वापस जांए।

 कनाडा में निकाले गए एक ‘नगर कीर्तन’ के दो मिनट के वायरल वीडियो में खालिस्तान समर्थकों ने कनाडाई लोगों को ‘घुसपैठिया’ कहा।  उन्हें ‘इंग्लैंड और यूरोप वापस जाने’ के लिए कहा। वीडियो में जुलूस में शामिल लोगों को यह कहते हुए सुना जा सकता है। ‘यह कनाडा है, हमारा अपना देश। तुम कनाडाई वापस जाओ.। भारतीय खुफिया सूत्रों ने इस घटना को कनाडा में  नॉर्मल करार दिया । कहा कि खालिस्तानी धीरे-धीरे देश के सभी पहलुओं पर ‘कब्जा’ कर रहे हैं। ठीक से निगरानी न होने की वजह से ये खालिस्तानी समूह स्थानीय कनाडाई लोगों से भी नियंत्रण छीन रहे हैं। हिंदुओं से सुरक्षा के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं और अब उनकी कॉलोनियों में स्थानीय लोगों को खतरा हैं।

 कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत में खालिस्तान बनाने की मांग करने वाले अतिवादियों पर सत्‍ता संभालने के बाद से पूरी तरह मेहरबान है।भारत द्वारा इन अतिवादियों के  बारे में दी गई  जानकारी पर वे कुछ कार्रवाई  नही कर रहे,  अपितु भारत पर ही आरोप लगा रहे हैं कि भारत से फरार अपराधी खालिस्तानी अतिवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में उसके राजनयिक का हाथ है। हमने पहले लेख में  कहा था भारत को चाहिए कि यह कनाडा  के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो  को भारत के खालिस्तान का समर्थन करने वाले अतिवादियों का समर्थन करने दें। कुछ समय  ऐसा  ही चलने दें।हां सार्वजनिक रूप से भारत उसे चेतावनी  देने का सिलसिला जारी रखें। अपने यहां  खालिस्तान समर्थकों पर सख्ती रखें।कुछ समय ऐसा  ही चलता रहा तो यह निश्चित है कि अब खालिस्तान भारत में नही कनाडा में बनेगा। कनाडा की धरती पर बनेगा। हमारा  पहला कथन अब सही होता दीखने लगा है। कुछ समय ऐसा ही होता रहा तो ये खालिस्तान समर्थक कनाडा के लिए ही सिर दर्द बनेंगे। कनाडा़  ने सख्‍ती की तो ये उसके खिलाफ विद्रोह पर उतर आएंगे। 

आज जो कनाड़ा  कर रहा है, कभी वही भारत के कुछ नेताओं ने किया था।  वह पंजाब में खालिस्तान  की बढ़ती गतिविधियों  को नजर अंदाज करते रहे।परिणाम स्वरूप पंजाब में रहने वाले  हिंदुओं को पंजाब छोड़ने के लिए कहा जाने  लगा।  उन पर हमले होने  शुरू  हो गए।  सिख आंतकवाद पंजाब में ही नही बढ़ा,अपितु  उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र को भी उसने अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया।इस दौरान पंजाब में धार्मिक  नेता भिंडरावाला तेजी से लोकप्रिय हुए  ।  कहा  जाता  है कि राजनैतिक लाभ के लिए केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उसे प्रश्य देना शुरू कर दिया। हालत यह हुई  कि वहीं भिंडरावाला कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हुआ।  उसने स्वर्ण मंदिर में डेरा जमा लिया।  मजबूरन  प्रधानमंत्री इंदिरा  गांधी को  भिंडरावाला को स्वर्ण  मंदिर से  निकालने के लिए फौज का सहारा लेना पड़ा।बाद में   प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी केही दो सिख सुरक्षा गार्ड ने उनकी हत्या कर दी।

आज जो  कनाडा में हो रहा है,  वह 40 साल से  खालिस्तान समर्थकों को पोषित किए जाने का  परिणाम है।कनाडा में खालिस्तान समर्थक आंदोलन पिछली सदी के आठवें दशक में शुरू हो गया था। पियरे ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसकी जड़ें गहरी हुईं। उनके कार्यकाल के दौरान ही तलविंदर परमार भारत में चार पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद कनाडा भाग गया था।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जून 1973 में कनाडा की यात्रा की थी और पियरे ट्रूडो के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध सौहार्दपूर्ण थे। लेकिन, पियरे ट्रूडो ने 1982 में तलविंदर परमार को भारत प्रत्यर्पित करने का अनुरोध ठुकरा दिया। इसके लिए बहाना बनाया गया कि भारत का रुख महारानी के प्रति पर्याप्त रूप से सम्मानजनक नहीं है।

पियरे ट्रूडो के पद छोड़ने के ठीक एक साल बाद तलविंदर परमार ने जून 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 (कनिष्क) में बम विस्फोट की साजिश की। इसमें विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए। हालाकि मरने वालों मे अधिकतर कनाडा के  ही नागरिक थे।इस विमान हादसे में कुछ तो पूरे परिवार  ही  खत्म हो गए।अगर पियरे ट्रूडो ने तलविंदर परमार को भारत प्रत्यर्पित करने का इंदिरा गांधी का अनुरोध मान लिया होता, तो कनिष्क विमान में विस्फोट नहीं हुआ होता। भारतीय-कनाडाई राजनीति के जानकार   मानने लगे हैं कि जो  गलती पियरे ट्रूडो  ने तब की थी,वहीं उनके बेटे जस्टिन ट्रूडो भी आज कर रहे हैं।अपनी सरकार चलाने के लिए कनाडा में खालिस्तान समर्थक उग्रवादियों के प्रति सहानुभूति रखकर वही गलती कर रहे हैं।कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाकर कनाडा में पल रहे खालिस्तानी समर्थकों को हवा दे दी है। प्रधानमंत्री के इन आरोपों के बाद कनाडा के अलग-अलग राज्यों में खालिस्तान समर्थकों ने ऐसी साजिश रचनी शुरू कर दी, जिससे वहां रह रहे न सिर्फ भारतीयों बल्कि डिप्लोमेट्स और भारतीय दूतावास के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है बल्कि  कनाडा में बसे भारतीय हिंदुओं को भी खतरा बनेगा।   रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा की जमीन पर पहले से ही खालिस्तान समर्थकों को कनाडा की सरकार प्रश्रय देती आई है। यही वजह है कि कनाडा सरकार के समर्थन के चलते भारत विरोधी गतिविधियां इस देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार चलती रहती हैं। बीते कुछ समय में खालिस्तान जनमत संग्रह के नाम पर कनाडा की सरकार न सिर्फ इन भारत विरोधी खालिस्तानियों को सुरक्षा मुहैया कराती आई है बल्कि कार्यक्रम स्थलों की भी उपलब्ध करवाती आई है।पिछले दिनों  एक शोभा  यात्रा में  पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरागांधी की हत्या की झांकी निकालना भी इसी कड़ी का हिस्सा  है। जानकारों का मानना है कि जिस तरीके से कनाडा के प्रधानमंत्री ने भारत के ऊपर बेबुनियाद आरोप लगाया है उसका असर अगले कुछ दिनों में ही बहुत तेजी से दिखना शुरू हो सकता है।कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान के बाद के हालात में क्रम में सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की ओर से हिंदू समुदाय को धमकी दी गई है।  एसएफजे के पन्नू ने कनाडा के हिंदुओं को धमकी दी है । पन्नू ने उन्हें कनाडा छोड़ने के लिए कहा है। जो  पन्नू ने कनाड़ा के हिंदुओं से कहा है, ऐसा ही कभी पंजाब में आंतकवाद की शुरूआत में हिंदुओं से कहा गया था। उसके बाद  उनपर हमले शुरू हो गए थे। कनाडा में धमकी से पहले ही हिंदुओं पर हमले होने लगे हैं। 
इन धमकियों को लेकर कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य  ने एक  न्यूज चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा कि कनाडा में खालिस्तानी समूहों से बढ़ते खतरों के मद्देनजर अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय भयभीत है।कनाडा में हिंदू लोगों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं हैं।दरअस्ल कनाडा में खालिस्तान समर्थकों को पाकिस्तान पाल रहा है।  कनाड़ा  इन्हें प्रश्रय  दे रहा है। अमेरिका आज के हालात में भारत का विरोध नही कर पा रहा किंतु इस मामले में  उसका भी रवैया ठीक नही है।कनाडा के हिंदुओं को  धमकी देने वाला   सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू कनेडा और अमेरिकी नागरिक है।  पन्नू भारत का फरार और इनामी आंतकी है।इसके बावजूद वह अमेरिका में सरे आम रह रहा है।

भारत को चाहिए कि वह भारत में खालिस्तान समर्थकों के प्रति सख्ती जारी रहे। कनाडा  में भारत के खिलाफ  कार्रवाई  करने वालों पर मुकदमें दर्ज करने के साथ उनके आईओसी कार्ड जब्त करता  रहे।इनकी भारत की संपत्ति भी कब्जे में ले।आज कनाडा जो  कर रहा है, कल उसके ही सामने आएगा।खालिस्तान समर्थक वहां रहने वाले हिंदू और अन्‍य कनाडा निवासियों पर हमले करेंगे।कानून व्यवस्था कनाडा की खराब होगी।  मजबूरन  जब  कनाडा सरकार सख्ती करेगी तो ये  खालिस्तान समर्थक कनाडा के निवासी  भिंडरावाला  की तरह उसी के सामने संकट खड़ा  करेंगे। 

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं)