Friday, June 28, 2024

कब सुधरेगी भारत की डाक व्यवस्था?



आजादी के 75 साल बाद भी भारत की डाक व्यवस्था में सुधार न होकर पतन ही हुआ।भारत में डाक  विभाग 250 साल से  पुराना  है। आज गांव −गांव तक इसकी ब्रांच हैं।पूरे भारत में 155531 डाकघर हैं।इतना  बडा  नेटवर्क होने के बाद भी यह सरकारी विभाग प्राइवेट कोरियर कंपनियों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ती जा रही है।

भारतीय डाक की सेवा  में सुधार हो, इसमें  न विभागीय अधिकारियों की रूचि है, न सरकार की।इसी का परिणाम है कि इसका अपने  व्यवसाय से  एकाधिकार टूटता जा रहा है। प्राइवेट कंपनी इसके व्यवसाय को कब्जाती जा रही हैं।

भारत में डाक सेवाओं की स्थापना 1774 में हुई।पहली बार भारतीय डाकघर को राष्ट्रीय महत्व के एक अलग संगठन के रूप में स्वीकार किया गया और उसे एक अक्टूबर 1854 को डाकघर महानिदेशक के सीधे नियंत्रण में सौंप दिया गया । भारतीय डाक व्यवस्था कई व्यवस्थाओं को जोड़कर बनी है । 650 से ज्यादा रजवाड़ों की डाक प्रणालियोंजिला डाक प्रणाली और जमींदारी डाक व्यवस्था को प्रमुख ब्रिटिश डाक व्यवस्था में शामिल किया गया था । इन टुकड़ों को इतनी खूबसूरती से जोड़ा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक संपूर्ण अखंडित संगठन है।

1766 में लार्ड क्लाइव ने देश में पहली डाक व्यवस्था स्थापित की थी । इसके बाद 1774 में वारेन हेस्ंटिग्ज़ ने इस व्यवस्था को और मजबूत किया । उन्होंने एक महा डाकपाल के अधीन कलकत्ता प्रधान डाकघर स्थापित किया । मद्रास और बंबई प्रेसीडेंसी में क्रमशः 1786 और 1793 में डाक व्यवस्था शुरू की गई । 1837 में डाक अधिनियम लागू किया गया ताकि तीनों प्रेसीडेन्सी में सभी डाक संगठनों को आपस में मिलाकर देशस्तर पर एक अखिल भारतीय डाक सेवा बनाई जा सके । 1854 में डाकघर अधिनियम के जरिए एक अक्टूबर 1854 को मौजूदा प्रशासनिक आधार पर भारतीय डाक घर को पूरी तरह सुधारा गया ।

1854 में डाक और तार दोनों ही विभाग अस्तित्व में आए। शुरू से ही दोनों विभाग जन कल्याण को ध्यान में रख कर चलाए गए । लाभ कमाना उद्देश्य नहीं था । 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध्द में सरकार ने फैसला किया कि विभाग को अपने खर्चे निकाल लेने चाहिए। उतना ही काफी होगा । 20वीं सदी में भी यही क्रम बना रहा । डाकघर और तार विभाग के क्रियाकलापों में एक साथ विकास होता रहा। 1914 के प्रथम विश्व युध्द की शुरूआत में दोनों विभागों को मिला दिया गया ।

भारतीय राज्यों के वित्तीय और राजनीतिक एकीकरण के चलते यह आवश्यक और अपरिहार्य हो गया कि भारत सरकार भारतीय राज्यों की डाक व्यवस्था को एक विस्तृत डाक व्यवस्था के अधीन लाए । ऐसे कई राज्य थे जिनके अपने जिला और स्वतंत्र डाक संगठन थे और उनके अपने डाक टिकट चलते थे । इन राज्यों के लैटर बाक्स हरे रंग में रंगे जाते थे ताकि वे भारतीय डाकघरों के लाल लैटर बाक्सों से अलग नज़र आएं ।

1908 में भारत के 652 देशी राज्यों में से 635 राज्यों ने भारतीय डाक घर में शामिल होना स्वीकार किया । केवल 15 राज्य बाहर रहेजिनमें हैदराबादग्वालियरजयपुर और ट्रावनकोर प्रमुख हैं ।

1925 में डाक और तार विभाग का बड़े पैमाने पर पुनर्गठन किया गया । विभाग की वित्तीय स्थिति का जायजा लेने के लिए उसके खातों को दोबारा व्यवस्थित किया गया । उद्देश्य यह पता लगाना था कि विभाग करदाताओं पर कितना बोझ डाल रहा है या सरकार का राजस्व कितना बढा रहा है और इस दिशा में विभाग की चारों शाखाएं यानी डाकतारटेलीफोन और बेतार कितनी भूमिका निभा रहे हैं ।

भारतीय डाक सेवा का क्षेत्र चिट्ठियां बांटने और संचार का कारगर साधन बने रहने तक ही सीमित नहीं है । शुरूआती दिनों में डाकघर विभागडाक बंगलों और सरायों का रख रखाव भी करता था। 1830 से लगभग तीस सालों से भी ज्यादा तक यह विभाग यात्रियों के लिए सड़क यात्रा को भी सुविधाजनक बनाते थे । कोई भी यात्री एक निश्चित राशि के अग्रिम पर पालकीनावघोड़ेघोड़ागाड़ी और डाक ले जाने वाली गाड़ी में अपनी जगह आरक्षित करवा सकता था । वह रास्ते में पड़ने वाली डाक चौकियों में आराम भी कर सकता था । यही डाक चौकियां बाद में डाक बंगला कहलाईं।19वीं सदी के आखिर में प्लेग की महामारी फैलने के दौरानडाकघरों को कुनैन की गोलियों के पैकेट बेचने का काम भी सौंपा गया था ।

भारत संयुक्त परिवारों और छोटी आमदनी वाले लोगों का देश हैजहां लोगों को छोटी रकमों की सूरत में लाखों रूपए भेजने पड़ते हैं । रूपयों के लेन-देन का काम जिला मुख्यालयों में स्थित 321 सरकारी खजानों द्वारा किया जाता था । 1880 में मनी आर्डर के द्वारा छोटी रकमें भेजने का काम 5090 डाकघर वाली विस्तृत डाक एजेंसी को दिया गया और इस तरह जिला मुख्यालयों तक जाने और प्राप्तकर्ता द्वारा पहचान साबित करने की कठिनाइयां कम हो गईं ।1884 में उच्च पदों पर आसीन कर्मचारियों को छोड़कर देसी डाक कर्मचारियों के लिए डाक जीवन बीमा योजना शुरू की गईक्योंकि भारत में काम करने वाली बीमा कंपनियां आम भारतीय निवासियों का बीमा करने से कतराती थीं ।

उन कठिन दिनों में देश के साथ-साथ डाक विभाग भी इसके असर से अछूता नहीं रहा । 1857 के बाद विभाग ने आगजनी और लूटमार का दौर देखा । एक उपडाकपाल और एक ओवरसियर की हत्या कर दी गईएक रनर को घायल कर दिया गया और बिहारउत्तर प्रदेशउत्तर पश्चिमी सीमांत राज्यों के कई डाकघरों को लूट लिया गया । उत्तर पश्चिमी सीमांत राज्यों और अवध में सभी संचार लाइनों को बंद कर दिया गया था और हिंसा खत्म हो जाने के बाद भी साल भर तक कई डाकघरों को दोबारा नहीं खोला जा सका ।

लगभग पांच माह तक चलने वाली 1920 की डाक हड़तालों ने देश की डाक सेवा को पूरी तरह ठप्प कर दिया था । 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कई डाकघरों और लैटर बक्सों को जला दिया गया थाऔर डाक का आना-जाना बड़ी मुश्किल से हो पाता था। इसके कारण कई सेक्टरों में डाक सेवाएं गड़बड़ा गई थीं ।

पोस्ट कार्ड 1879 में चलाया गया जबकि वैल्यू पेएबल पार्सल (वीपीपी)पार्सल और बीमा पार्सल 1977 में शुरू किए गए। भारतीय पोस्टल आर्डर 1930 में शुरू हुआ । तेज डाक वितरण के लिए पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिनकोड) 1972 में शुरू हुआ । तेजी से बदलते परिदृश्य और हालात को मद्दे नजर रखते हुए 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया । समय की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुई ओर 1994 में मेट्रो#राजधानी#व्यापार चैनलईपीएस और वीसैट के माध्यम से मनी आर्डर भेजा जाना शुरू हुआ।

पिछले कई सालों में डाक वितरण के क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है और यह डाकिए द्वारा चिट्ठी बांटने से स्पीड पोस्ट और स्पीड पोस्ट से ई-पोस्ट के युग में पहुंच गया है । भारतीय पोस्टल आर्डर 1930 में शुरू हुआ । तेज डाक वितरण के लिए पोस्टल इंडेक्स नंबर (पिनकोड) 1972 में शुरू हुआ । तेजी से बदलते परिदृश्य और हालात को मद्दे नजर रखते हुए 1985 में डाक और दूरसंचार विभाग को अलग-अलग कर दिया गया । समय की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुई ओर 1994 में मेट्रो#राजधानी#व्यापार चैनलईपीएस और वीसैट के माध्यम से मनी आर्डर भेजा जाना शुरू किया गया ।

डाक व्यवस्था में डाकिए का बड़ा महत्व है। पुराने जमाने में हरेक डाकिए को ढोल बजाने वाला मिलता था जो जंगली रास्तों से गुजरते समय डाकिए की सहायता करता था । रात घिरने के बाद खतरनाक रास्तों से गुजरते समय डाकिए के साथ दो मशालची और दो तीरंदाज भी चलते थे। ऐसे कई किस्से मिलते हैं जिनमें डाकिए को शेर उठा ले गया या वह उफनती नदी में डूब गया या उसे जहरीले सांप ने काट लिया या वह चटटान फिसलने या मिटटी गिरने से दब गया या चोरों ने उसकी हत्या कर दी

 

 ब्रिटिश भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने आम जनता के लिए पहली डाक सेवा शुरू की।यह सेवा उन  कबूतरों के लिए एक राहत के रूप में आईजिन्हें पत्र देने में कई दिन और महीने लग जाते थे। डाक सेवाओं ने त्वरित वितरण को एक वास्तविकता बना दिया।पूरे देश में इसका नेटवर्क बना।  गांव −गांव तक  पोष्ट आफिस खुल गए।डाक सेवा के साथ−साथ  सरकार  की छोटी− छोटी बचत योजनांए भी  शुरू  हुईं।सयम की मांग को देखते  हुए  तार और फोन सेवा पर भी डाक तार विभाग का एकाधिकार  हो गया।  एक की  कंपनी होने के कारण प्रबंधक की परेशानी देखते  हुए 1985 में दूरसंचार सेवाएं  अलग कर दी गई।

समय बदला अंतरराष्ट्रीय शिपिंग.डीएचएल ने 1969 में पहली अंतरराष्ट्रीय कूरियर कंपनी के रूप में एक भव्य प्रवेश कियाऔर कई अन्य ने इसका अनुसरण किया। इनका उद्देश्य बिना किसी देरी के सुविधाजनक वितरण सेवाएं प्रदान करना था।2020 तकब्लू डार्ट भारत में अग्रणी कूरियर कंपनी बन गई। प्रौद्योगिकी की प्रगति के साथमाल की डिलीवरी तेज और तेज हो गई है। जबकि समय के साथ कूरियर सेवाओं का उन्नयन हुआ हैलोग अभी भी आवश्यक दस्तावेज भेजने के लिए डाक सेवाओं पर भरोसा करते हैं।किंतु समय  ज्यादा लेने डाक विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही और सेवा में रूचि न लेने के कारण भारतीय डाक सेवा में लोगों का रूझान कम होना शुरू हो गया।ये सही है कि डाक सेवाएं  सस्ती और कूरियर सेवाएं मंहगी हैं। किंतु  आज भारतीय समाज में  पैसा बढ़ा  है तो डाक भेजने वाले के लिए  सस्ती और मंहगी में ज्यादा फर्क नही रह गया।  वह जल्दी से जल्दी अपनी डाक गंतव्य पर पंहुचाना चाहता है।

ऐसे में भारतीय डाक सेवा पिछड़ती जा  रही हैं।डाक विभाग ने अपनी स्पीड पोस्ट सेवा शुरू की।नाम से लगता  है कि डाक की अन्य सेवाओं से ये तेज होगी किंतु  ऐसा नही है।  बिजनौर उत्तर प्रदेश से राजकोट गुजरात में स्पीड पोस्ट  पंहुचने में नौ  दिन लगते हैं,  जबकि कोरियर चार से पांच   दिन में आ जाता  है। दिल्ली से राजकोट स्पीड पोस्ट  पांच दिन लेती है।  कूरियर कंपनी ब्लू डांर्ट राजकोट का पैकेट  दूसरे  दिन दिल्ली में डिलीवर कर देती है। बेटे का  जन्म दिन था।  पहले दिन शाम छह बजे बिजनौर से मैने बंगलौर के लिए मिठाई का पैकेट कोरियर किया। ये पैकेट अगले  दिन शाम  पांच बजे बेटे को कंपनी में मिल गया।डाक से ऐसा कभी नी हो सकता।

हालाकि कोरियर कंपनी  का नेटवर्क अभी शहरों तक ही सीमित है। डाक सेवा गांव− गांव तक फैली होने के कारण अपनी सुविधा  गांव  तक दे रही है।गांव  तक सेवा देने में उसका एकाधिकार है किंतु  जैसे−जैसे कोरियर कंपनियों का विस्तार होता जाएगा,  वह गांव  तक अपनी एकाधिकार  जमा लेंगी।डाक तार कर्मचारी कहते  है कि विभाग के अधिकारी और मंत्रियों को सेवा के सुधार में रूचि नही है।पुराने  सोफ्टवेयर चला रखे हैं।  नए यातायात के साधन बढ़ने को ध्यान में रखते हुए ये  नई योजनांए, नए रूट नही बनाते।  कोरियर कंपनी प्रदेश की सरकारी बस सेवा से  अपने पैकेट भेजती हैं।  डाक विभाग ऐसा  क्यों नही कर पाता।बिजनौर से गाजियाबाद सीधे रूट  है। किंतु  डाक विभाग  आरएमएस से  डाक भेजता है। सीधे  गाजियाबाद और दिल्ली  डाक कुछ घंटे में पंहुच  सकती है किंतु आरएमएस से भेजे जाने के कारण ये तीन दिन में  गाजियाबाद पहुंचती है। पहले  डाक बिजनौर अरणमएस से   नजीबाबाद जाएगी। वहां  से पैकेट बन मुरादाबाद। तीसरे  दिन मुरादाबाद से  गाजियाबाद पहुंचेगी।इन व्यवस्था में बहुत सुधार किया जा सकता है

लगता तो नही किंतु  विभाग के कमर्चारी आरोप लगाते रह हैं कि विभाग के उच्च अधिकारी मंत्री इस तरह से योजनाएं बनाते  है कि डाक विंलब से पंहुचे और कुरियर कंपनी को लाभ हो ।डाक विभाग  का कोरियर कंपनी की तरह अपनी  प्रीमियर सेवा शुरू करनी होगी। आज ग्राहक चाहता है कि उसकी डाक जल्दी  पहुंचे। भले ही उसे  ज्यादा भुगतान करना  पड़े। सरकारी तंत्र  अपनी डाक के लिए अभी तक भारतीय डाक पर निर्भर हैं किंतु  विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही से कब तक ऐसा होता रहेगा, ये  सोचना  पड़ेगा।      

अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)

Monday, June 10, 2024

देखना है गठबंधन के कितने दबाव में काम करते हैं नरेंद्र मोदी?

 

 देखना है गठबंधन के कितने  दबाव में काम करते हैं नरेंद्र मोदी?

अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

रविवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरे कार्यकाल की शपथ ली।।उनके नेतृत्व में  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  राजग ने देश की सत्ता संभाल ली। प्रधानमंत्री के साथ ही 72 मंत्रियों ने भी मंत्रीपद की शपथ ली। हालांकि अभी मंत्रियों के विभागों का बंटवारा होना बाकी है, किंतु टीम में पुराने साथियों को जगह मिलना  बताता है कि सब नरेंद्र मोदी की  योजना के अनुसार हो  रहा है। उन्हें अपनी टीम पर पूरा भरोसा और विश्वास है। हालाकि  2024 के इस आम चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला है और उसे सत्ता में बने रहने के लिए एनडीए की सहयोगी पार्टियों के समर्थन की जरूरत होगी। अब तक ठसक से सत्ता चलाने वाले नरेंद्र मोदी  को गठबंधन के घटक दलों की सुननी और माननी होगी।वैसे शपथ ग्रहण की रात में भारत ने टी20 विश्व कप 2024 में इतिहास रच दिया है। पाकिस्तान के खिलाफ जीत के साथ ही टीम इंडिया ने कई रिकॉर्ड बना दिए।  यह जीत एक तरह से नई  सरकार का स्वागत ही मानी जाएगी।

चुनाव से पूर्व ही  नरेंद्र मोदी अपना अजेंडा बताते  रहे हैं किंतु  इस बार उनके सामने कई और भी चुनौतियां  होगी। नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के  समय जम्मू में  आंतकियों ने श्रद्धालुओं की बस  हमला कर मोदी की नई  सरकार के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज  कर दी है।सरकार पहले ही आंतकवाद से मजबूती से जूझ  रही है। उसे आंतकवाद की जड़े खत्म करने के लिए इस कार्यकाल में काम करना  होगा। पाक अधिकृत कश्मीर में बैठे आंतकियों के आकाओं के  खात्मे के लिए भी  उसे लगना होगा।हालाकि पाकिस्तान में ये काम चल रहा है। काफी समस ये  वहां  रह रहे भारत विरोधी आंतकियों को चुन− चुन कर कत्ल किया  जा  रहा है।   

 लोकसभा चुनाव के पहले ही भाजपा ने यह साफ कर दिया था कि मोदी सरकार 3.0 में यूनिफॉर्म सिविल कोड कोर एजेंडे में शामिल होगा। उत्तराखंड में भाजपा सरकार पहले ही इसे लागू कर चुकी है। ऐसे में माना जा रहा था कि केंद्र की सत्ता वापस में लौटने के बाद भाजपा प्राथमिकता के साथ इसे आगे बढ़ाएगी। लेकिन अब सहयोगी दल भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू भाजपा पर इस निर्णय को वापस लेने पर दबाव बना सकते है। भाजपा के एजेंडे में वन नेशन, वन इलेक्शन भी शामिल हैं। इस संबंध में बनी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी हैं। 47 राजनीतिक दलों में से 32 दल तैयार हैं। एनडीए गठबंधन में इस बार जदयू और टीडीपी की भूमिका अहम है। ऐसे में वे भाजपा के इस एजेंडे पर भी रोड़ा बन सकते हैं।
तीसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत का विस्तार भी  शामिल है।। नरेंद्र मोदी चुनावी कार्यक्रमों में यह कहते रहे हैं कि तीसरे कार्यकाल में बड़े फैसलों के लिए 'मोदी की गारंटी' पूरी की जाएगी। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने भविष्य के लिए अपने विजन को रेखांकित किया था। मोदी ने आयुष्मान भारत के तहत प्रदान की जाने वाली मुफ्त स्वास्थ्य सेवा तक अभूतपूर्व पहुंच पर जोर दिया। भाजपा के 2024 के घोषणापत्र में आयुष्मान भारत के कवरेज को 70 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और ट्रांसजेंडर समुदाय को शामिल करने के लिए आगे बढ़ाने का भी वादा किया गया है।इस एजेंडे को  लागू  करने में गठबधंन को कोई  आपत्ति नही होगा और यह सरलता से लागू हो  जाएगा।  

 चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपहसालार कहते घूमते  रहे हैं कि सरकार  बनी तो  पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का   कब्जा होगा। शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता हरियाणा के रोहतक में व्यापारियों द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा कि  कि आने वाले दो-तीन साल में किसी भी क्षण पाक अधिकृत कश्मीर भारत में शामिल हो सकता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी एक बयान में पीओके को लेकर भारत के दावे को दोहराया था। सेरामपुर पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि  पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे ।योगी आदित्यनाथ तो सबसे आगे बढ़ गए। चुनाव के बाद के मोदी जी को तीसरे कार्यकाल पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज पाकिस्तान के लिए पीओके को भी बचाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने दीजिएअगले छह महीने के अंदर 'पाक अधिकृत कश्मीरभारत का हिस्सा होगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हमें 400 सीट इसलिए चाहिए ताकि पीओके ले सकें। भाजपा के सिपहसालार की पाक अधिकृत कश्मीर पर चुनाव प्रचार के दौरान कब्जे की बात करते रहे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर चुप्पी साधे रखी।किंतु कांग्रेस के  मणिशंकर अय्यर, और जम्मू −कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री  फारुख अब्दुल्ला के ये कहा कि  भाजपायी पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की बात कर रहे हैं।  पाकिस्तान ने चूड़ी  नही पहन रखी। पाकिस्तान के पास एटम बम है। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले पर चुप्पी साधे थे।किंतु पाकिस्तान ने चूडी नही पहन रखीं, पर उन्होंने जरूर कहा कि कांग्रेसी और कुछ विपक्षी नेता कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने चूड़ी   नही पहन रखीं तो  उसे  पहना दी जाएंगी।  प्रधानमंत्री के इस कथन से साफ होता है  कि  उनके सिपहसालारों के पाक अधिकृत कश्मीर  पर कब्जे की घोषणा उनकी अपनी नही है। यह कहीं केंद्रीय  नेतृत्व में पक  रहा है और नई सरकार   बनने पर  वह इस पर कार्रवाई  कर सकता है।

इतना  सब होने के बावजूद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मोदी सरकार पर  देशभर में जातिगत जनगणना कराने को लेकर दबाव बना सकते है। क्योंकि बिहार में पिछड़ी जातियों के अलावा दलित और मुस्लिम मतदाताओं का अच्छा खासा प्रभाव है। नीतीश अपने राज्य बिहार में इस जनगणना को करवा चुके है। वे लंबे समय से देश में इसे करवाने की डिमांड कर रहे है। क्योंकि अन्य विपक्षी दल चाहे वह कांग्रेस हो या फिर आरजेडी दोनों ही इस जातिगत जनगणना की मांग कर रही है।हालाकि भाजपा इसके विरूद्ध है।नीतीश कुमार वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे है। भाजपा में शामिल होने के पहले भी नीतीश ने केंद्र सरकार से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की थी। उन्होंने इस मांग को लेकर बिहार में अभियान चलाने की बात भी कही थी। इसके अलावा चंद्रबाबू नायडू भी आंध्र के लिए स्पेशल पैकेज की मांग कर सकते है। ये दोनों नेता अब अपनी इन मांगों को लेकर मोदी सरकार पर दबाव रहेगा। वैसे मोदी ऐसे  दबाव से निपटना बखूबी जानते हैं। महाराष्ट्र की शिवसेना को गठबंधन में लेकर ये  दबाव कम किया जा सकता। चुनाव से पूर्व विपक्षी गठबंधन  से जैसे  नितीश कुमार पल्टी मार कर भाजपा के साथ आ  गए,  ऐसे ही विपक्ष में बैठे कई  दल भाग सकतें हैं।  बस  इशारे की जरूरत है।   मोदी पुराने राजनयिक  हैं। कब किस हालात से  कैसे  जूझना  है, वह जानते हैं। उम्मीद है कि वह अपनी सूझबूझ से सरकार  को सरलता से  पांच साल चलाते रहेंगे।

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं)

 

 






 

 

 

Wednesday, June 5, 2024

क्या नई मोदी सरकार का पहला टारगेट पीओके पर कब्जा होगा?


अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

देश का मिजाज और एग्जिट पोल की तस्वीर बता रही है कि लोकसभा चुनाव-2024 के लिए भी 'नरेंद्र मोदीको फिर प्रचंड जनादेश मिल रहा है। तीसरी बार भी देश के  प्रधानमंत्री के पद को नरेंद्र मोदी सुशोभित करेंगे।   इस   चुनाव में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 'नरेंद्र मोदीके खिलाफ  इंडी अलायंस का  गला फाडकर  चिल्लाना कोई करिश्मा नही कर सका। इंडी अलायंस औंधे मुंह धड़ाम हो गया है। पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी इंडी गठबंधन का निशाना रहे । इंडी अलायंस ने गला फाड़− फाड़ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाए।देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दे भी  उठाए।किंतु जनता का रूझान कहता है कि उसने इन सब को नकार दिया। प्रधानमंत्री का अबकि बार चार सौ  सीट का दावा भले ही पूरा न हो किंतु ये निश्चित है कि केंद्र में भाजपा  पूर्ण  बहुमत से  सरकार बना  रही है।

इस बार सरकार के  सामने भले की आंतरिक मुद्दा भ्रष्टाचार से निपटना  हो किंतु इस  बार  भारत और प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की विदेश  नीति की भी  परीक्षा होगी। अलग तरह की चुनौती उसके सामने होगी।इस चुनाव में भाजपा के नेताओं ने देश भक्ति को धार देने का प्रयास किया।प्रचार के दौरान  पाकिस्तान अधिकृत  कशमीर को मुक्त कराने का मुद्दा  बार− बार उभारा गया।

 चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिपहसालार कहते घूमते  रहे हैं कि सरकार  बनी तो  पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत का   कब्जा होगा। शहरी निकाय मंत्री कमल गुप्ता हरियाणा के रोहतक में व्यापारियों द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में कहा कि  कि आने वाले दो-तीन साल में किसी भी क्षण पाक अधिकृत कश्मीर भारत में शामिल हो सकता है। विदेश मंत्री जयशंकर ने भी एक बयान में पीओके को लेकर भारत के दावे को दोहराया था। चार  अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए जयशंकर ने कहा थाहम कभी भी ये स्वीकार नहीं करेंगे कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है। सेरामपुर पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद अशांत कश्मीर में शांति लौट आई हैलेकिन पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर "अब आजादी के नारों और विरोध प्रदर्शनों से गूंज रहा है।"उन्होंने कहा, "सरकार द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद कश्मीर में शांति लौट आई है। लेकिन अब हम पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में विरोध प्रदर्शन देख रहे हैं। पहले यहां आजादी के नारे लगते थेअब वही नारे पीओके में लगते हैं। पहले यहां पत्थर फेंके जाते थेअब पीओके में पत्थर फेंके जाते हैं।"उन्होनें कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे ।

योगी आदित्यनाथ तो सबसे आगे बढ़ गए। उन्होंने  पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज उसके लिए पीओके को भी बचाना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद मोदी जी को तीसरे कार्यकाल पर बोलते हुए योगी आदित्यनाथ ने पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा कि आज पाकिस्तान के लिए पीओके को भी बचाना मुश्किल हो रहा है. उन्होंने कहा कि मोदी जी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने दीजिएअगले छह महीने के अंदर 'पाक अधिकृत कश्मीरभारत का हिस्सा होगा।अब तक भारत विदेशों में बैठे भारत के आंतकियों की मौत पर चुप्पी साधे था।अपने पर आरोप लगने पर भारत का कहना था कि इनमें उसका हाथ  नही है, किंतु योगी आदित्यनाथ ने कहा, "ब्रिटेन के एक बड़े समाचार पत्र ने लिखा कि पाकिस्तान के अंदर पिछले तीन वर्ष के अंदर जितने बड़े दुर्दांत आतंकवादी थेवे एक-एक करके मारे गए। मारने वालों में भारत की एजेंसी का हाथ है।" मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "भई अब जो हमारे दुश्मन हैहम उसकी पूजा थोड़ी करेंगे। कोई हमारे लोगों को मारेगा  तो हम उसको पूजेंगे नहीं भईहम भी वो ही करेंगे जिसका वो हकदार है।

 असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हमें 400 सीट इसलिए चाहिए ताकि पीओके ले सकें। हिमंता बिस्वा सरमा ने दिल्ली में प्रचार करते हुए कहा कि कांग्रेस पूछती है कि 400 सीट क्यों चाहिए। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस का शासन था तब हमें बताया गया था कि एक तरह से कश्मीर भारत में भी है पाकिस्तान में भी है। हमारी संसद में कभी इसकी चर्चा नहीं होती थी कि जो कश्मीर पाकिस्तान के साथ है वह पाक अधिकृत कश्मीर है। वहां लोग भारत का तिरंगा हाथ में लेकर आंदोलन कर रहे है पाकिस्तान के खिलाफ। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत है। मोदी जी को 400 सीट मिलेगी तो पाक अधिकृत कश्मीर भी भारत का ही हो जाएगा और इसका आगाज हो चुका है।इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी कह चुके हैं कि जिस तरह से कश्मीर में शांति लौटी है और आर्थिक प्रगति हो रही हैपीओके के लोग खुद ये मांग करेंगे कि उन्हें भारत में विलय कर लिया जाए। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी कहा कि पीओके भारत का अंग था है और हमेशा रहेगा।

भाजपा के सिपहसालार की पाक अधिकृत कश्मीर पर चुनाव प्रचार के दौरान कब्जे की बात करते रहे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर चुप्पी साधे रखी।किंतु कांग्रेस के  मणिशंकर अय्यर, और जम्मू −कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री  फारुख अब्दुल्ला के ये कहा कि  भाजपायी पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की बात कर रहे हैं।  पाकिस्तान ने चूड़ी  नही पहन रखी। पाकिस्तान के पास एटम बम है। अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मसले पर चुप्पी साधे थे।किंतु पाकिस्तान ने चूडी नही पहन रखीं, पर उन्होंने जरूर कहा कि कांग्रेसी और कुछ विपक्षी नेता कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने चूड़ी   नही पहन रखीं तो  उसे  पहना दी जाएंगी।  प्रधानमंत्री के इस कथन से साफ होता है  कि  उनके सिपहसालारों के पाक अधिकृत कश्मीर  पर कब्जे की घोषणा उनकी अपनी नही है। यह कहीं केंद्रीय  नेतृत्व में पक  रहा है और सरकार   बनने पर  वह इस पर कार्रवाई  कर सकता है।

भारत के दावे को पाकिस्तान के कार्ट की हाल की इस कार्रवाई से और बल मिला है।इसमें पाकिस्तान ने स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) एक विदेशी क्षेत्र है। मशहूर कश्मीरी कवि अहमद फरहाद शाह के अपहरण मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पाकिस्तानी सरकार ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है। मशहूर कश्मीरी कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह के अपहरण मामले में पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल की ओर से शुक्रवार को यह कबूलनामा सामने आया ।इस्लामाबाद की अदालत में अहमद फरहाद शाह के मामले की सुनवाई हो रही है। शाह का 15 मई को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने रावलपिंडी स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था। उनकी पत्नी ने इस संबंध में याचिका दायर की थी।इस्लामाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मोहसिन अख्तर कयानी ने कवि की पत्नी की याचिका पर फरहाद शाह को अदालत में पेश करने का आदेश दिया।पाकिस्तान टुडे की रिपोर्ट के अनुसारइस पर पाकिस्तान के अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल ने जस्टिस कयानी की अदालत में दलील दी कि कवि फरहाद शाह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पुलिस हिरासत में हैं और उन्हें इस्लामाबाद हाईकोर्ट के सामने पेश नहीं किया जा सका।एआईआर की एक रिपोर्ट के मुताबिकजस्टिस कयानी ने जवाब दिया कि यदि पीओके एक विदेशी क्षेत्र हैतो पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी रेंजर्स उस जमीन में कैसे घुस गए?सुनवाई के दौरान जस्टिस कयानी ने लोगों के जबरन अपहरण की प्रथा जारी रखने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की आलोचना की।कवि और पत्रकार अहमद फरहाद शाह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और वहां के लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले एक मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं। उन्हें उस पाकिस्तान आर्मी  की कड़ी आलोचना के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई बार पीओके में कई सरकार विरोधी प्रदर्शनों का नेतृत्व किया और उनमें भाग लिया।

चार जून को परिणाम आ जांएगे ।जैसी की एकजिट पोल के दावें हैं कि केंद्र में पूर्ण बहुमत से भाजपा  की सरकार बन जाएगी।इसके बाद देखना है कि चुनाव के दौरान पाक  अधिकृत कश्मीर पर भारत के कब्जे की घोषणा के लिए नई  सरकार क्या करती है या  केवल गाल  बजाकर भाजपा के सिपहसालारों  ने पाकिस्तान को फालतू में चौकन्ना  कर दिया।वह  पाक  अधिकृत कश्मीर में अब चीन की मदद से ऐसे  बंकर बना रहा है, जहां बम या मिजाइल  का असर नही  हो सकता।    

अशोक मधुप

(लेखक वरिष्ठ  पत्रकार है)