Tuesday, May 21, 2024

चिकित्सा विज्ञान को बहुत कुछ करना होगा

 चिकित्सा विज्ञान को बहुत कुछ करना  होगा

अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

आजादी के बाद भारत में  चिकित्सा विज्ञान  विज्ञान ने बहुत तरक्की की।इंसान का जीवन काफी सरल कर दिया।गंभीर बीमारी का इलाज खोज  लिया।  दर्द  रहित आपरेशन  होने लगे। दिल −दिमाग समेत सभी क्षेत्र में  तरक्की होने से आदमी बहुत आराम और सुख   महसूस  कर रहा है, किंतु  इतना सब होने के बाद भी अभी  बहुत कुछ किया जाना शेष है।मरीज की छोटी −छोटी परेशानी के इलाज के भी  उपाए करने होंगे।

चिकित्सा विज्ञान इंसान के जीवन को सरल करने की हर बेहतर कोशिश में लगा है,इस सबके बावजूद अभी  बहुत कुछ होना है।हाल में गुजरात में राजकोट के स्टर्लिंग हास्पिटल में मेरे  हृदय की बाई−पास सर्जरी हुई।छोटे बेटे के पास यहां आए थे।यहीं तबियत खराब होने का पता चला।इसलिए मुझे यहीं आपरेशन कराना पड़ा। मुझे सवेरे सात बजे आपरेशन थियेटर में ले लिया गया।आपरेशन थियेटर की टेबिल पर मुझे  लिटाकर स्टाफ  मेरे  हाथ  टेबिल में  बांधता  है।यहां तक मुझे याद है। अब तक सिर्फ दो आपरेशन थियेटर सहायक ही मेरे आसपास थे।  इसके बाद कब चिकित्सक आ गए। कब आपरेशन हो गया। मुझे कुछ पता नही।  दुपहर बाद दो  बजे के आसपास मुझे  लगा कि रोशनी जली है। मुंह में भी  कोई पाइप का  चुभा।मैनें आख  खोलीं।एक बड़े हाल में कुछ बैड पर  मेरे जैसे मरीज लेटे थे। सामने लगी घड़ी दो  बजा रही थी। मेरे मुंह में दिया हुआ  पाइप हलका चुभ  रहा था।  बोलना चाहा तो लगा कि किसी  चीज से मुंह बंद किया हुआ। थकान महसूस हुई। मैंने आंखे बंद  कर लीं।ये भी लगा कि सात घंटे  बाद होश आया है।कुछ समय बाद लोगों के बोलने की आवाज आई। आंखे खोली तो  डाक्टर के साथ मास्क लगाए  मेरे बिस्तर के पास मेरी पत्नी खड़ी है।उसके पूछने पर मैने  इशारों से कहा कि ठीक हूं। डाक्टर ने मुझे  बताया कि आपरेशन बढिया हुआ है। सब ठीक है। चिंता की कोई बात नहीं। डाक्टर का आभार  जताने के लिए मैं हाथ  जोड़ना   चाहता हूं कि लगता  है कि हाथ अभी टेबिल में बंधे  हैं। पत्नी मुझे देखकर चली जाती हैं। कुछ देर में स्टाफ मुंह से  टेप हटाकर मुंह में दी टयूब  निकाल देता  है। हाथ भी  खोल दिए जाते  हैं। अब मैं  आराम  महसूस  कर रहा हूं ।

आपरेशन कब हो गया पता ही नही चला। स्टाफ ने इतना जरूर कहा कि आपके आपरेशन में छह घंटे लगे हैं।आपरेशन तो दर्द  रहित हो गया किंतु परेशानी की कहानी अब शुरू होती है।लगता है कि होठ  सूख  रहें हैं। जीभ  अकड़  रही है। देखरेख के लिए तैनात स्टाफ नर्स से मैं पीने के लिए पानी मांगता हूं।वह मनाकर देती है।  कहती है कि शाम छह बजे  चाय  दी  जाएगी।  उसके पच जाने पर थोड़ा− थोड़ा पानी  मिलेगा। राउंड  पर आए डाक्टर से मैं होथ सूखने और जीभ के अकड़ने की बात कहतां हूं।वह कहते हैं कि इसे तो  बर्दाश्त करना  होगा।किंतु  होठ भिगोने के लिए एक −दो बूंद  पी देने के कह जाते हैं।एक महीना इसी में निकल जाता है। मुह में छाले हो जाने से कुछ खाना संभव नही होता।  न खाने  से सूखी  उलटी होती हैं।दर्द रहित आपरेशन के बाद चिकित्सा विज्ञान को  इस  एक माह की परेशानी का इलाज भी खोजना होगा।

एक बात और उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर में आपरेशन को जाने वाले को आपरेशन की जरूरत के लिए खून का प्रबंध खुद करना  प़ड़ता है। मैं  इसी को लेकर परेशान था कि हम तो घर से बहुत दूर यहां  गुजरात में हैं ,हमें  खून कौन देगा कौन  तीमारदारी करेगा,किंतु अस्पताल में पता भी नही चला।आपरेशन के स्टीमेट में दो बोतल बल्ड का मूल्य  जुड़ा देखकर मैं  संतुष्ठ हो गया कि अब रक्त का प्रबंध  हमें नही करना  होगा। अस्पताल करेगा।

आपरेशन के बाद  और  बाद में आईसीयू और अस्पतालमें भर्ती  रहने के दौरान स्टाफ  का व्यवहार और सेवा कार्य लाजवाब था।

रविवार 12 मई को अंतराष्ट्रीय नर्सेज डे  मनाया गया।राष्ट्रीय नर्स सप्ताह प्रत्येक वर्ष छह मई को शुरू होता है और 12 मई को फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर समाप्त होता है। फ़्लोरेन्स नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिग आन्दोलन का जन्मदाता माना जाता है। दया व सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल "द लेडी विद द लैंप" (दीपक वाली महिला) के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनका जन्म एक समृद्ध और उच्चवर्गीय ब्रिटिश परिवार में हुआ था। लेकिन उच्च कुल में जन्मी फ्लोरेंस ने सेवा का मार्ग चुना।

आज अस्पताल के स्टाफ  और  उसके कार्य को  देखता हूं तो  सभी  नर्स में मुझे फ्लोरेंस नाइटिंगेल  नजर आती हैं। सेवा करते वह कभी  बहिन  नजर आती है तो कभी  बेटी  और कभी  मां। ये  अलग बात है कि ये  पैसे के लिए अस्पताल में कार्य कर रही है किंतु इनका समर्पण कही भी फ्लोरेंस नाइटिंगेल से कम मुझे  नजर नही आया।चिकित्सक भी अपने में लाजवाब हैं। मेरे  हृदय का आपरेशन करने  वाले डा सर्वेशवर प्रसाद  हृदय के  प्रतिदिन तीन −चार आपरेशन  करते हैं किंतु न  उनके चेहरे पर कभी तनाव नजर आता है, थकान।  ये ही हालत   डा सर्वेशवर प्रसाद   के जूनियर्स की भी है।फोन पर डाक्टर और उनके सहायक दिन राज− उपलब्ध हैं।उनके कार्य सेवाभाव और समर्पण को देखकर लगता है कि यह सब ऐसे ही नही है।इसके लिए उनका त्याग और मरीज के लिए सेवाभाव उन्हें प्रसिद्धि दे रहा है।

आपरेशन के दूसरे दिन स्टाफ मुझे  ही नही,  हृदय के आपरेशन के सभी  मरीज को  सहारा देकर बैठाकर देता है।  बाद में  उसे खड़ाकर धीरे− धीरे हाल में घुमाया जाता है।एक से दो घंटे के लिए कुर्सी पर बैठाया जाता  है। कहा  जाता है कि आपका आपरेशन हो गया। अब नियमित जीवन शुरू की जीइए।घूमिए।

इतना   सब होने के बाद महसूस होता  है कि अन्य अस्पतालों की तरह इस अस्पताल में भी  लोकल कंपनी की अधिकतर दवाएं मल्टीनेशनल कंपनी से काफी मंहगी है। मेरे आपरेशन के टांकों में पानी आने के कारण मुझे इंट्रावेनस  एंटीबाइटिक इंजैक्शन   लिखा  जाता है।ये  इंजैक्शन अस्पताल में मैडिकल स्टोर पर  1100  रूपये के आसपास   है, जबकि राजकोट के दवाई के होलसेल मार्केट में यह तीन सौ रूपये का मिल रहा है। होलसेल मार्केट में बस दवाई का बिल नही मिलता।सरकार को अस्पताल के  मैडिकल स्टोर पर बिकने वाली दवा पर  नियंत्रण  करना  पडेगा।  एक चीज और  देखने में आई कि प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्ड योजना के कार्डधारक अब अस्पताल में निशुल्क  चिकित्सा  सुविधा का लाभ  उठा रहे हैं।लगभग  सभी अस्पताल में आपरेशन के लिए आने वालों  से रिसेप्शन पर ही  पूछा  जाता  है कि आयुष्मान कार्ड  है। कार्ड  देने पर मरीज के प्राय− लगभग सभी  आपरेशन पूरी तरह निशुल्क  हैं। इसमें कोई भेदभाव नही। मरीज हिंदू हो या मुस्लिम बस कार्डधारक होना   चाहिए। प्रधानमंत्री आयुष्मान कार्डधारक की चिकित्सा सरकार ने निशुल्क करके आम आदमी का उपचार बहुत सरल कर दिया।उसका जीवन सरल बना दिया। इस योजना में अभी  सुधार की जरूरत है।किसी भी प्राइवेट  मेडिक्लेम में आपरेशन के बाद दो  महीने का  दवा का व्यय भी  कंपनी की ओर से देय  है,  जबकि आयुष्मान योजना में अस्पताल की ओर से  मात्र  दस दिन की दवा देने का प्रबंध है, जबकि काफी मरीजों का  उपचार लंबा  चलता है। देखने में आया है कि कुछ अस्पताल आपरेशन के बाद की दस दिन की दवा भी मरीज को नही देते।इसलिए इस योजना में अभी  बहुत सुधार की जरूरत है।

अशोक मधुप

( लेखक वरिष्ठ  पत्रकार हैं) 

Wednesday, May 8, 2024

भारत तिब्बत के आजादी आंदोलन का समर्थन कर

 

अशोक मधुप

वरिष्ठ  पत्रकार

चीन आजकल परेशान है।  बताया जा रहा है कि वह भारत के रवैये  से डरा हुआ है।दुश्मन का डरा होना और परेशान रहना  ज्यादा बेहतर है। इससे  वह अपनी समस्या सुलझाने में लगेगा।अपने दुश्मन देशों को तंग नही करेगा।उन पर दबाव –धौंस नही दिखाएगा।कभी चीन का व्यवहार हमें परेशानी कर रहा है।वह सीमापर घुंसपैंठ करता।क्षेत्र के अंदर आए भारत के भाग में जमता और सौदेबाजी करता। किंतु अब ये बदलता  भारत है। बकौल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी   अब भारत दुश्मन को उसके घर में घुंसकर मार रहा है ।  परिणाम है कि आज  चीन की आंखों में आंखे  डालकर बात की जा रही है।  सूचनाएं हैं कि चीन भारत की ब्रह्मोस से डरा हुआ है जब से भारत का शक्तिशाली  ब्रह्मोस मिसाइल  चीन के करीब तैनात की हैं और चीन के दुश्मन फिलीपींस को दी हैं,तबसे  चीन दहशत में हैं। चीन ब्रह्मोस का काट नही निकाल पा रहा है। वह जानता है कि उसके सारे हथियार भी एक बार फायर की गई  ब्रहमोस  को नही रोक सकते।

ब्रह्मोस की काट निकालने के लिए चीन फिलीपींस को डराने के की कोशिश में जुटा है। चीन ने फिलीपींस के बेहद करीब अपने ड्रोन को भेजा है ताकि फिलीपींस डर जाए। लेकिन चीन का ये कदम बताता है कि असली डर फिलीपींस को नहीं बल्कि चीन को है क्योंकि अब साउथ चाइना सी के बिल्कुल करीब अमेरिकी सेनाएं भी आ गई हैं। भारत पहले ही चीन के शत्रु देश वियतनाम की पीपुल्स नेवी को अपना अधुनिक युद्धपोत  आईएनएस कृपाण का हस्तांतरण कर चुका है।इस युद्ध पोत पर आधुनिक मिजाइल तैनात हैं।दरअस्ल अब तक चीन भारत  को घेरने में लगा था।वह भारत के दुश्मन देशों को  आधुनिक अस्त्र− शस्त्र  की आपूर्ति करने में लगा था। अब ऐसा   उसके साथ  हो रहा है  तो वह परेशान है।चीन भारत में अशांति फैलाने वाले नक्सलाइड, मिजों एव अन्य आंतकियों को आधुनिक शस्त्रों की आपूर्ति करता  रहा है।सूचनाएं रही हैं कि उन्हे प्रशिक्षणा भी दे रहा है।ऐसे में समय की मांग है कि भारत अब   चीन के विरूद्ध चल रहे तिब्बत के  पूर्ण स्वतंत्रता के आंदोलन का खुलकर समर्थन करें।जरूरत पड़ने पर तिब्बती के आजादी के आंदोलन के लड़ाकों को शस्त्र के साथ प्रशिक्षण भी दे।


भारत की नही चीन के रवैये से दुनिया के लगभग  सभी देश परेशान हैं।इसी कारण फिलीपींस और अमेरिकी सेना का साझा युद्धाभ्यास हाल में शुरू हुआ।  इस मिलिट्री ड्रील में जापान की सेनाएं भी शामिल हो रही हैं। 16000 हजार सैनिक साझा युद्धभ्यास में शामिल हैं।  सबसे बड़ी बात कि फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के सैनिक भी कुछ दिन में इस ज्वाइंट एक्सरसाइज से रहेंगे। मतलब पांच  देश चीन को घेरने के लिए एक साथ  होंगे। इस ड्रील में समुद्री और हवाई हमलों का अभ्यास किया जाएगा। भारत के ब्रह्मोस देने के बाद से चीन परेशान है। अभी तो  ब्रह्मोस्त्र तैनात भी नही हुई होंगी कि चीन परेशान है। वह फिलीपींस पर द्रोण उड़ाकर उसे धमका रहा है।सवाल है कि क्या ड्रोन के जरिए चीन ब्रह्मोस के बारे में जानकारी जुटाना चाहता है। सवाल तो ये भी है कि क्या चीन उस ठिकाने का पता लगाना चाहता है, जहां फिलीपींस ब्रह्मोस को तैनात करेगी। चीन ने ड्रोन के अलावा समंदर में मिलिट्री ड्रील के जरिए भी फिलीपींस को आंख दिखाने की कोशिश की है। चीन की नौसेना ने साउथ चाइना सी में लड़ाकू विमानों और युद्धपोत से मिसाइलें दागकर फिलीपींस को डराने की कोशिश की।  

दो दिन के अंदर चीन के ये ये कदम बताते हैं कि चीन ब्रह्मोस मिसाइल की तैनाती से भयभीत है.। चीन के टेंशन इस बात की है कि अब भारत चीन सीमा के साथ चीन-फिलीपींस सीमा पर भी ब्रह्मोस तैनात होगा। अब तो चीन के एक और दुश्मन और पड़ोसी वियतनाम ने भी ब्रह्मोस में दिलचस्पी दिखाई है, जो चीन के लिए खतरे की घंटी है। 

फिलीपींस में भारत की ब्रह्मोस मिसाइल पहुंच गई है और वहां की सैना उसकी तैनाती करेगी। फिलीपींस में अमेरिका ने अपनी नई टायफून मिसाइल प्रणाली तैनात कर रखी है. फिलीपींस में अमेरिका को चार बेस का एक्सेस मिला हुआ है। चीन के करीब जापान पर भी अमेरिका का बेस है। ऑस्ट्रेलिया - सिंगापुर में अमेरिका ने अपना बेस बना रखा है। थाईलैंड और साउथ कोरिया में अमेरिकी सेनाएं तैनात हैं। चीन के करीब गुआम में भी अमेरिका का बेस है। इन जगहों से वक्त पड़ने पर कभी भी अमेरिका चीन पर हमला कर सकता है। चाइना सी के बिल्कुल करीब अमेरिकी सेनाएं भी आ गई हैं। चीनी सेना के प्रवक्ता ने फिलीपीन्स को ब्रह्मोस देने  पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग में इस बात का ख्याल रखा जाए कि इससे किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने कहा कि चीन हमेशा मानता है कि दो देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग से किसी तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा नहीं होना चाहिए।कर्नल वू कियान ने कहा कि एशिया-प्रशांत में अमेरिका की ओर से बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती का हम कड़ा विरोध करते हैं। अमेरिका का यह कदम क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डालते हुए क्षेत्रीय शांति को खतरा पैदा करता है।

आज चीन को याद आ रहा है कि दो  देशों के रक्षा सहयोग से तीसरे को नुकसान नही पहुंचना  चाहिए, किंतु  जब वह खुद ऐसा  करता है, ता उसे कुछ याद नही आता।  लंबे सयम से  वह  पाकिस्तान को अधुनिकतम युद्धक शस्त्र देने में लगा हुआ है। वह नही जानता कि पाकिस्तान इन शस्त्रों का  प्रयोग कियादेश के विरूद्ध  करेगा।वह अच्छी तरह से जानता  और समझता है। किंतु अपनो हित में उसे कुछ याह नही आता। अब उसके दुशमन देश भारत, अमेरिका और फ्रांस  आदि ऐसा ही कर रहे हैं तो उसे याद आ  रहा है  तीसरे राष्ट्र को  नुकसान न पहुंचे।

भारत फिलीपीन्स को ही ब्रहमोस  मिजाइल नही दे रहा। वियतनाम भी इस मिजाइल को खरीदने में रूचि दिखा रहा है।यह तै है कि वियतनाम भी  खरीदता  है तो भारत उसे  ब्रह्मोस  देगा। प्रथम वरीयता पर देगा। भारत अपना आधुनिकतम युद्धपोत   खुखरी वियतनाम को  पहले ही उपहार में दे चुका है। ये आधुनिक युद्धास्त्रों से  सज्जित युद्धपोत है।भारत की ये  कार्रवाई दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर चिंताओं के बीच यह भारत और वियतनाम में बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है। अधिकारियों ने कहा भी  कि भारत ने पहली बार किसी मित्रवत देश को कोई सेवारत पोत उपहार में दिया है।भारतीय नौसेना ने कहा कि पोत पूरी ‘‘हथियार प्रणाली’’ के साथ वियतनाम पीपुल्स नेवी (वीपीएन) को सौंपा गया है। आईएनएस कृपाण, 1991 में सेवा में शामिल किए के बाद से भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े का एक अभिन्न अंग रहा और पिछले 32 वर्षों में कई ऑपरेशन में भाग लिया। लगभग 12 अधिकारियों और 100 नाविकों द्वारा संचालित, जहाज 90 मीटर लंबा और 10.45 मीटर चौड़ा है।

भारत जैसे का तैसा की नीति पर चल चुका है। अब वह कमजोर भी नही है। दुश्तन से आंख में आंख डालकर बात कर रहा है। ऐसे में अब चीन में घाव पर पूरी ताकत से हथौड़ा मारने का समय आ गया।  चीन की बड़ी कमजारी है तिब्बत।  तिब्बत पर उसने कब्जा किया हुआ है।  तिबत की अस्थाई सरकार के धर्मशाला  नगर में चल रही है। भारत के रूख के कारण  तिब्बती अभी तक शांतिपूवर्क आदोलन कर रहे हैं। भारत ने तिब्बत की आजादी की लड़ाई का कभी  समर्थन नही किया। अब समय आ गया है कि भारत इस आंदोलन का समर्थन करें।तिब्बत  सरकार को मान्यता  दे।तिब्बती आंदोलनकारी को शस्त्र और युद्ध प्रशिक्षण दे। जब तक दुश्मन को उसके घर में ही नही घेरा जाएगा, तक तक वह नही मानने वाला।घर में घिर कर वह अपने में उलझ जाएगा और दूसरों को तंग करना  बदं कर देगा।   चीन सरकार वहां बसे उइगुर मुसलमानों पर बेइतहां  जुल्म करने में लगी है।मुस्लिम देश  चुप हैं। भारत अपने परिचित मुस्लिम देश  और संगठनों से उइगुर मुसलमान की आजादी और कल्याण के लिए  आवाज बुलंद कराएं ।

 

 


 

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