Saturday, October 16, 2021

अमेरिका में भारतीय भी मनाते हैं हैलोवीन फेसबुक 31 अक्तूबर 2021

अमेरिका में भारतीय भी मनाते हैं हैलोवीन
अशोक मधुप
हेलोवीन ईसाइयों का त्योहार है पर अमेरिका में रहने वाले रहने वाले भारतीय भी इसे उत्साह से मनाते हैं।
हैलोवीन शब्द का इस्तेमाल पहली बार 16वीं शताब्दी में हुआ था। इसके बारे में बहुत सी अलग- अलग कहानी है।हर जगह की अपनी कहानी । माना जाता है कि किसान लोग बुरी आत्माओं से फसलों को बचाने के लिए भूतिया कपड़े पहनते हैं ताकि बुरी आत्माओं को डराकर भगाया जा सके। ऐसे में हेलोवीन ही वो दिन है जिस दिन किसान भूतिया कपड़े पहनकर आत्माओं को डराते हैं। यह भी मान्यता है कि 31 अक्टूबर का दिन फसल कटाई का आखिरी दिन होता है। ऐसे में पूर्वजों की आत्माएं फसल की कटाई में हाथ बंटाने के लिए आती हैं। अमेरिका में बसे भारतीय अपने भारतीय पर्व की तरह इस हैलोवीन डे को भी उत्साह के साथ मनाते हैं।
तीन साल पहले अक्टूबर माह में हम पति−पत्नी अमेरिका में थे।बेटा अंशुल कुमार वहां फ्लोरिडा राज्य के टेम्पा शहर में रहता है। ये पर्व मुख्य रूप से 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। पर्व से एक सप्ताह पहले से लोगों के घरों के दरवाजे पर भूत और अस्थि पंजर के पोस्टर दिखाई देने लगे। कुछ ने अस्थि पंजर के डिजाइन घर के द्वार के पास लगा लिए । बेटा अंशुल भी एक ऐसा काले रंग का गुब्बारा लेकर आया। उसने गुब्बारा फुलाकर ऊपर अपने कमरे की बालकनी में लगा दिया। उसमें लाइट की भी व्यवस्था थी।लाइट के जलने पर यह जगमगाता भूत ही लग रहा था। वह
वॉलमार्ट से एक पैकेट भी लाया।इसमें से निकला धागा सा घर के बाहर पेड़ों की झाडियों फैला शुरू दिया। बताया कि पापा यहां ईसाई लोग 31 अक्टूबर को हेलोवीन डे मनाते हैं। वे यह मानते हैं इस दिन रात के समय भूत घूमते हैं। इसलिए दरवाजों के बाहर भूत की उपस्थिति जैसी चीजें तैयार की जाती है। पेड़ पौधों पर मकड़ियों के जाले लगा दिए जाते हैं, जिससे लगे कि यह खंडहर है और यहां भूत प्रेत रहते हैं। दरवाजों के बाहर भूत की तस्वीरें चिपका दी जाती है। मान्यता है कि इसे देख रात में घूमने निकले भूत दूर से ही वापिस चले जातें हैं।
30 की शाम में अंशुल ने मुझसे कहा कि पापा तैयार हो जाओ ।सोसाइटी के हेलोवीन फंक्शन में चलना है। मैं ,पत्नी निर्मल शर्मा,पोती अदिति अंशुल के साथ कार्यक्रम में चले गए। हॉल में अंधेरा हो रहा था। लाइटों की शेड चमक रहे थे। बच्चे भूत के कपड़े पहने हुए, भूत का डरावना मुखोटा लगाए हॉल में गोल-गोल घूमकर डांस कर रहे थे। काफी देर तक कार्यक्रम चला।
उसके बाद युवा और बड़े व्यक्तियों ने भूत बने बच्चों को टॉफी और चॉकलेट बांटी। सोसाइटी की ओर खाने की व्यवस्था थी। हमने खाना खाया और चले आए।
अगले दिन सोसायटी में रहने वाले भारतीय इस पर्व को मनाने वाले थे। दोपहर में भारतीय बच्चे और महिलाएं चेहरे पर तरह-तरह के मुखोटे लगाएं सोसाइटी में भारतीय परिवारों के घर गए। इन घरों पर आने वाले बच्चों को तोहफे में टॉफी और चॉकलेट दी गईं। युवक अपने− अपने आफिस गए थे, इसलिए वे कार्यक्रम से दूर रहे।
हमारा घर सोसाइटी के शुरुआत में पड़ता था। सोसाइटी के बैक साइड से भूत बने आए बच्चे और महिलाएं हमारे घर आईं। यहां बच्चों को चॉकलेट दिये गए। घर के बाहर सबने ग्रुप कराया और आगे बढ़ गए।
भूत बने भारतीय बच्चे मास्क लगाए खूब मनोरंजन कर रहे थे। एक दूसरे को डरा रहे थे । कुछ बच्चे आपस में मास्क बदलकर फोटो भी करा रहे थे।हेलोवीन में कद्दू की लालटेन बनाने की परंपरा है। सूखे कद्दू को खोखला करके उसमें डिजाइन से आदमी का चेहरा बनाया जाता है। कद्दू में छेद किए जाते हैं। इस कद्दू के बीच में रोशनी के लिए मोमबत्ती लगाई जाती है। इसे लेकर हेलोवीन की रात में लोग घूमते हैं। बाद में अपने दरवाजे पर टांग देते हैं।
इस त्योहार का प्रचार हुआ तो मांग के अनुरूप कद्दू की बनी लालटेन मिलनी बन्द हो गई। कद्दू की जगह प्लास्टिक की लालटेन ने ले ली है। भारतीय बच्चे भी अपने हाथों में लालटेन लिए हुए थे। पर इनमें रोशनी नही थी।बड़ों से मिलने टॉफी और चॉकलेट उसमें रखते जा रहे थे।
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