दुबई के साथ हुए कश्मीर में विकास के समझौते पर चुप्पी क्योंॽ
अशोक मधुप
दुबई की सरकार ने जम्मू −कश्मीर में विकास का बड़ा ढांचा तैयार करने का बहुत बड़ा निर्णय लिया है। इसके लिए उसने जम्मू −कश्मीर सरकार से एमओयू( समझौता) किया है। चार दिन पहले हुआ समझौता देश और दुनिया के लिए बड़ी खबर था, पर देश की राजनीति और अखबारी दुनिया में ये समाचार दम तोड़ कर रह गया। हालत यह है कि इस बड़े कार्य के लिए देश की पीठ थप−थपाने वाले भारत के अखबार− पत्रकार और नेता चुप हैं, जबकि इस समझौते को लेकर पाकिस्तान में हलचल है।
जम्मू −कश्मीर के विपक्षी नेताओं से इस समझौते पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी। उनके लिए तो ये खबर पेट में दर्द करने वाली ज्यादा है।हाल में कांग्रेस सासंद राहुल गांधी ने जम्मू− कश्मीर में बाहरी व्यक्तियों की मौत पर नाराजगी जताई थी। उन्होंने ये भी कहा था कि अनुच्छेद 370 हटाने का क्या लाभ हुआॽ जब लाभ हुआ तो उनकी बोलती बंद है।
दुनिया के अधिकांश देश जम्मू− कश्मीर को विवादास्पद क्षेत्र मानते रहे हैं। पाकिस्तान जम्मू− कश्मीर विवाद को प्रत्येक मंच पर उठाकार भारत को बदनाम करने की कोशिश करता रहा है।इस सबके बावजूद ये समझौता भारत सरकार की बड़ी उपलब्धि है।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बारे में बताया कि दुबई सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने एक समझौता किया है।दुबई से समझौते में औद्योगिक पार्क, आईटी टावर, बहुउद्देश्यीय टावर, रसद केंद्र, एक मेडिकल कॉलेज और एक स्पेशलिटी हॉस्पिटल सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण होना शामिल है।राज्यपाल ने दुबई की ओर जम्मू-कश्मीर प्रशासन के साथ यह समझौता इस क्षेत्र में (केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद) किसी विदेशी सरकार की ओर से पहला निवेश समझौता है। यह समझौता आत्मानिर्भर जम्मू-कश्मीर बनाने की हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
केंद्रीय एवं वाणिज्य उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज़ में बताया था कि इस समझौते के तहत दुबई की सरकार जम्मू-कश्मीर में रियल एस्टेट में निवेश करेगी, जिनमें इंडस्ट्रियल पार्क, आईटी टावर्स, मल्टीपर्पस टावर, लॉजिस्टिक्स, मेडिकल कॉलेज, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शामिल हैं।ये तो नहीं बताया गया कि दुबई की सरकार कितना निवेश करेगी।पर यदि वह यहां एक भी रूपया लगाता है तो ये देश की बड़ी उपलब्धि है। जबकि वह कश्मीर में करोड़ों डालर निवेश करने जा रहा है ।अनुच्छेद 370 हटने के बाद दुबई दुनिया का पहला देश है जो जम्मू कश्मीर के विकास में निवेश करने जा रहा है।ये समझौता ऐसे समय में हुआ है जब घाटी में आतंकियों ने मासूम नागरिकों, खासतौर पर गैर-मुस्लिमों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
भारत की मीडिया और नेता देश की उपलब्धि पर भले ही चुप हो पर पाकिस्तान में हलचल है। इस मुद्दे पर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने इसको भारत की बड़ी जीत बताया है। अब्दुल बासित पाकिस्तान के भारत में राजदूत रह चुके हैं। बासित ने यहां तक कहा है कि इस एमओयू के साइन होने के बाद ये बात साफ होने लगी है कि अब कश्मीर का मुद्दा पाकिस्तान के हाथों से निकलता जा रहा हैउन्होंने कश्मीर मुद्दे के फिसलने को मौजूदा इमरान सरकार की कमजोरी बताया है। उन्होंने ये भी कहा कि नवाज शरीफ सरकार में भी कश्मीर के मुद्दे को कमजोर ही किया। बासित के मुताबिक दुबई और भारत के बीच हुए इस सहयोग के बाद निश्चित तौर पर ये भारत की बड़ी जीत है।
पाकिस्तान के राजनयिक के मुताबिक दुबई की इस्लामिक सहयोग संगठन में काफी अहम भूमिका है। इस नाते भी ये करार काफी अहमियत रखता है।बासित ने कहा है कि अब ये हाल हो गया है कि एक मुस्लिम देश भारत के जम्मू− कश्मीर में निवेश के लिए एमओयू साइन कर रहा है। बासित ने ये भी कहा कि आने वाले दिनों में ये भी हो सकता है कि ईरान और यूएई जम्मू कश्मीर में अपने काउंसलेट खोल दें। उन्होंने कहा कि हाल के कुछ समय में पाकिस्तान को कश्मीर के मुद्दे पर मुंह की खानी पड़ी है। इस मुद्दे पर वो पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है।
छोटी−मोटी बात पर सरकार की आलोचना करने वाला आज देश का विपक्ष इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर चुप्पी साध जाए, मीडिया में खबर को जगह न मिले, इस पर संपादकीय न लिखे जांए, तो यह आपकी सोच को बताता है।
अशोक मधुप
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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