Friday, December 31, 2021

विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष: संभावनाएं अपार... बस जाग जाए सरकार तो पर्यटन विकास पकड़े रफ्तार

 विश्व पर्यटन दिवस पर विशेष: संभावनाएं अपार... बस जाग जाए सरकार तो पर्यटन विकास पकड़े रफ्तार

अशोक मधुप, अमर उजाला, बिजनौर Published by: कपिल kapil Updated Sat, 26 Sep 2020 01:20 PM IST

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सैंद्वार का में पर्यटन विभाग द्वारा कराए गए विकास कार्यो का बोर्ड। - फोटो : अमर उजाला

महाभारत सर्किट में बिजनौर जनपद शामिल तो हुआ लेकिन पर्यटन की दृष्टि से कोई लाभ नहीं हुआ। महाभारत काल के तीन स्थलों के सुंदरीकरण के नाम पर लाखों रुपया लगा किंतु प्रचार न होने के कारण पर्यटक नहीं आ पाए। निर्माण में मानक का पालन न होने के कारण सब कुछ जल्दी ही खत्म हो गया।

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सैंद्वार का में पर्यटन विभाग द्वारा बनाया गया मुख्य द्वार। - फोटो : अमर उजाला

बिजनौर जनपद के डॉ. ओम प्रकाश पर्यटन सचिव होते थे। उनके समय में केंद्र सरकार ने महाभारत सर्किट बनाया। इसके तहत पर्यटन के बढ़ाने के लिए महाभारत से जुड़े स्थलों को सजाया-संवारा जाना था, ताकि इन स्थलों तक पर्यटक आ सकें और पर्यटन उद्योग का विकास हो। महाभारत काल के जनपद में कई स्थान हैं। 

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बिजनौर के ग्राम बरमपुर में स्थित द्रौपदी मंदिर। - फोटो : अमर उजाला

विदुर कुटी, सैंद्वार और बरमपुर में द्रोपदी मंदिर और सरोवर का इसके लिए चयन हुआ था। 2007-2008 में इनका विकास कराया गया। इस कार्य पर लगभग 50 लाख रुपया व्यय हुआ। लेकिन निर्माण कार्य बढ़िया नहीं हुआ, इसमें मानक का पालन नहीं हुआ। धन लगाकर काम निपटा दिया गया। मरम्मत, देखरेख और इनके प्रचार-प्रसार के लिए कुछ नहीं किया। प्रचार प्रसार न होने से पर्यटक नहीं जुड़ पाए। सरकार का महाभारत सर्किट से पर्यटक उद्देश्य सफल नहीं हुआ। 

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बिजनौर के गंज में स्थित विदुर कुटी। - फोटो : अमर उजाला

शीतला माता मंदिर और मोरध्वज किला है खास

जनपद के इतिहास के जानकार वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप भटनागर कहते हैं कि जनपद में महाभारत काल के बिजनौर का शीतला माता का मंदिर क्षेत्र और मोरध्वज का किला है। इनके विकास पर कुछ काम नहीं हुआ। जबकि यहां महाभारत काल के नगर के अवशेष मिलते हैं। जिन स्थल का विकास हुआ, सुंदरीकरण हुआ, उनका प्रचार-प्रचार नहीं हुआ। उन्हें पर्यटन के नक्शे पर ले जाने का कार्य नहीं हुआ। इसीलिए ये योजना कामयाब नहीं हो सकी। पर्यटन की दृष्टि से बिजनौर में अनेक स्थान हैं। यदि सही ढंग से इनका विकास कराया जाए तो जनपद के विकास को पांव लग सकते हैं।

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सैंद्वारका में पार्क हुआ खस्ताहाल। - फोटो : अमर उजाला

सैंद्वार में था गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम

जनपद के इतिहासकार शकील बिजनौरी कहते हैं कि सैंद्वार गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम था। विदुर कुटी महात्मा विदुर की कुटिया थी। मान्यता है कि पांडव के स्वर्गारोहण को जाते समय द्रोपदी थक कर यहीं गिर गई थीं। जानकार विकास कुमार अग्रवाल का कहना है कि विदुर कुटी को विकसित करना है तो गंगा तक श्रद्धालुओं के जाने की व्यवस्था करनी होगी।


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