Friday, August 6, 2021

आजादी की अलख जगाने के लिए लिया जाता था मेलों का सहारा

 आजादी की अलख जगाने के लिए लिया जाता था मेलों का सहारा


बिजनौर। आजादी के आंदोलन में जिलेवासियों ने भी अपनी आहुति दीं थी। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर इसके बाद भी हुए हर आंदोलन में जिलेवासियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। जिले में आजादी की अलख जगाने के लिए मेलों का सहारा लिया जाता था। गंगा स्नान मेले में उमड़ने वाली भीड़ में आजादी की अलख जगाई जाती थी। तब अंग्रेजों ने जिले में गंगा स्नान में आने वाली बैल गाड़ियों पर टैक्स लगा दिया था। लेकिन कांग्रेसियों के साथ आम आदमी के द्वारा गिरफ्तारी देने से अंग्रेज बैकफुट पर आ गए थे।

सूचना विभाग की पुस्तक स्वतंत्रता संग्राम के सैनिक के अनुसार 1921 में अंग्रेजों के खिलाफ खिलाफत आंदोलन शुरू किया गया था, इसमे अंग्रेजों की बात न मानने का निर्णय लिया गया। जिले में इस आंदोलन की चिंगारी को ज्वालामुखी बनाने की जिम्मेदारी चौधरी चंदन सिंह और लाला ठाकुर दास ने संभाली थी। उनके अलावा सोती जगदीश दत्त, लतीफ बेग अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में भाग लेने को युवाओं को प्रेरित करने लगे। जिन लोगों के परिवार पहले अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठा चुके थे वे भी परिवार आंदोलन से जुड़ गए। इनमे ज्यादातर स्योहारा के परिवार थे। खिलाफत आंदोलन से जनता को जोड़ने पर अंग्रेजों ने सबसे पहले मिर्जा लतीफ बेग को गिरफ्तार किया था। जनता ने बड़ा जुलूस निकालकर उन्हें शानदार विदाई दी।


विश्वामित्र एडवोकेट व सोती जगदीश दत्त प्रांतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में भाग लेने के लिए जिले के प्रतिनिधि के तौर पर इलाहाबाद गए। वहां सभी प्रांतीय कमेटी के सदस्यों को अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। बाद में जिले से चौधरी चंदन सिंह व महावीर त्यागी को भी गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन से प्रभावित होकर नेमीशरण जैन और रतनलाल जैन वकालत छोड़कर व अब्दुल लतीफ दरोगा की नौकरी छोड़कर जुड़ गए। 1922 में नेमीशरण जैन को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। उस समय कांग्रेस के जिला प्रमुख को जिले का प्रधानमंत्री कहा जाता था। नेमीशरण जैन की जगह रतनलाल जैन को प्रधानमंत्री बनाया गया।

आजादी को जन आंदोलन बनाने के लिए तब मेलों व त्यौहारों का सहारा लिया जाता था। आंदोलन को बड़े स्तर पर बढ़ाने के लिए गंगा स्नान के मेले को चुना गया, जिसमें भारी भीड़ लगती थी। मेला क्षेत्र तब जिला बोर्ड की व्यवस्था के अंतर्गत आता था। इस पर कांग्रेस का कब्जा हो गया। इस पर जिलाधीश यानि तब के डीएम ने नाराज होकर मेले में भीड़ को कम करने के लिए वहां आने वाली बैल गाड़ियों पर टैक्स लगा दिया तो कांग्रेसियों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया। तमाम लोगों ने इसके विरोध में गिरफ्तारी दी, इस पर जिलाधीश पीछे हट गए और टैक्स खत्म कर दिया गया। फिर जब तक देश में अंग्रेेज रहे, तब तक जिलाधीश ने मेले का प्रबंध अपने हाथ में नहीं लिया।

 15 अगस्त 2020 अमर उजाला में मेरा लेख

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