Friday, May 28, 2021

ब्रह्मा शरण खन्ना

 देश हमें देता है सब कुछ हम भी तो कुछ देना सीखे, भारतीय संस्कृति एवम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस महान परंपरा का


पालन करने वाले अनेकों मौन तपस्वीयों के  त्याग तपस्या एवं बलिदान के मजबूत स्तंभ पर आज संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वंयसेवी संगठन बना है।  


आज अमर उजाला बिजनौर में आदरणीय अशोक मधुप जी द्वारा छापी गई खबर से 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा थोपी गई आपातकाल की परिस्थितियों का अवलोकन करने का अवसर प्राप्त हुआ ।  उस समय की परिस्थितियों का वर्णन जिन शब्दों में किया गया है उसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं और ज्ञात होता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्यों ने प्राण एवं प्राण से अपने राष्ट्र की रक्षा हेतु  अपना सर्वस्व समर्पण किया 


खबर के अनुसार बिजनौर जिले में यह आंदोलन अत्यंत तीव्र गति से बढ़ा

बिजनौर जिले में आंदोलन के नेतृत्व का दायित्व श्री ब्रह्म शरण खन्ना जी एवं महावीर मंत्री जी को माननीय प्रचारक ओमप्रकाश जी द्वारा दिया गया था, जिसके लिए उनको एवम अनेकों स्वयंसेवकों के विकट संघर्ष करना पड़ा तथा 18 महीने जेल में भी रहना पड़ा था ।


सौभाग्य से स्वर्गीय ब्रह्मशरण खन्ना जी मेरी पत्नी पूनम मेहरा के नाना जी हैं । आज खबर पढ़कर बरेली निवासी अपनी सासू मां एवं ब्रह्म शरण खन्ना जी की पुत्री मंजू टंडन जी से बात की एवं उस घटना का विवरण जानना चाहा । माता जी ने बताया कि आंदोलन के समय में  उनके पिताजी ने अपना पूर्ण समय पूर्ण निष्ठा के साथ राष्ट्र सेवा में समर्पित किया था एवं घर परिवार के निजी दायित्व से भी ऊपर उठकर राष्ट्र सेवा के दायित्व को उन्होंने निभाया था । उन्होंने बताया उस समय वह 23 वर्ष की थी एवं 6 फरवरी 1976  को उनका विवाह बरेली नंद लाल टण्डन जी के साथ होना तय हुआ था, उस समय उनके पिताजी ब्रह्म शरण खन्ना जी जेल में थे । विवाह के कार्य एवम कन्यादान के लिए भी उनको जेल प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी गई थी एवं उनके साथ  अनेकों अन्याय उस समय किया गए।  अपनी पुत्री के विवाह के कार्य को पूर्ण करने के लिए उनके सामने प्रशासन द्वारा माफी मांगने की एवं आंदोलन वापस लेने की शर्त को भी रखा गया इसको उन्होंने ठुकरा दिया ।  उनकी पुत्री का विवाह बरेली में जाकर  रिश्तेदारों के मार्गदर्शन में  एवम उनका कन्यादान उनके बड़े भाई गोपाल खन्ना जी ने किया था ।  इमरजेंसी हटने के पश्चात 18 महीने बाद उनको जेल से छोड़ा गया तभी वह अपनी पुत्री एवं दमाद से मिल पाए । सासु  माता जी ने बताया  कि उनके  पिताजी ने कभी कोई  दायित्व अथवा सरकारी  लाभ लेने का भी प्रयास नहीं किया एवं  वे संघ के होने वाले सभी वर्गों एवम कार्यक्रमों में  सदैव बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे एवं उनके पुत्र गोपाल खन्ना जी ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया।


यह त्याग तपस्या एवं बलिदान की भूमि है एवं ऐसे त्यागीयों के समर्पण से ही संघ भारत माता को परम वैभव पर पहुंचाने का स्वप्न देखता है ।


9 जून को नाना जी की पुण्यतिथि पर उनके पुत्र गोपाल खन्ना जी एवम परिवार समाजिक कार्यक्रम रखते हैं एवम उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प दोहराते हैं।  स्वर्गीय ब्रह्मशरण खन्ना नाना जी की कोटि कोटि नमन 🙏🙏


श्री राघव मेहरा जी की फेसबुक वॉल से।साभार

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