Thursday, October 3, 2019

जेल गए और गांधी हो गए लतीफ

आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी 19 अक्तूबर 1929 को विजय दशमी के दिन धामपुर आए। जनपद ही नहीं , जनपद के आसपास के लोगों में भी वह आजादी के आंदोलन की चिंगारी फूंक गए। जनपद के आजादी के आंदोलन के एक सिपाही अबदुल लतीफ को जेल प्रवास के दौरान उनके साथी रहे प‌ंड‌ित जवाहर लाला नेहरू ने उन्हें गांधी कहना शुरू कर दिया। और वे गांधी के नाम से प्रसिद्घ हो गए। पैजनिंया के क्रांतिकारी शिवचरण सिंह त्यागी ने तो बापू के मु‌स्लिम बने पुत्र हीरा लाल को वापिस हिंदू धर्म में लाने का काम किया।
अब्दुल लतीफ गांधी
फोटो
पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र देकर आजादी की कूदने वाले बिजनौर के अब्दुल लतीफ के अब्दुल लतीफ गांधी बनने की भी रोचक कहानी है।
अब्दुल लतीफ गांधी पुलिस में सब इंस्पेक्टर थे। नौकरी के दौरान देश आजाद कराने और कांग्रेस पार्टी केेे लोगों से इन्के संबध बन गए। उनकी सुहानुभूति आजादी के लिए आंदोलन करने वालों से होने लगी। वे इन्हें चंदा देने लगे। गुप्तचरों की सूचनाएं उनके अ‌ध‌िकारियों को आने लगी।इनका परिवार बहुत संपन्न परिवार था। पिता के संबधों के कारण सरकार ने इन्हें नौकरी से नहीं निकाला।किंतु तबादले करने शुरू कर दिए। इन्होंने अपने पिता मौलाना अब्हुल हई से नौकरी छोडने की इव्छा जाहिर की।परिवार नहीं चाहता था। किंतु उन्होंने नौकरी से त्याग पत्र दे दिया। वे आजादी के आंदोलनमें कूद पड़़े। आजादी के लिए चल रहे आंदोलन में वे कई बार जेल भी गए। जेल में उन्हें मौलाना अब्दुल कलाम आजाद और पंडित जवाहर लाल नेहरू से साथ काफी समय रहना पड़ा।एक ही कोठरी में इन्हें लंबे समय तक रखा गया।
अब्दुल लतीफ गांधी के पोते बिजनौर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन फरीद अहमद बतातें हैं कि मौलाना आजाद उनके दादा अब्दुल लतीफ को ख्वाजा बिजनौरी कहते थे। पंडित नेहरू उन्हें महात्मा गांधी कहकर पुकारते थे।
ख्वाजा बिजनौरी नाम तो ज्यादा नही चला किंतु समर्थन और मिलने वाले उन्हें गांधी कहने लगे। यहां नाम चल पड़ा और वे अब्दुल लतीफ गांधी हो गए। सब उन्हें पयार से गांधी जी कहते।वे बताते हैं कि उनके दादा उत्तर प्रदेश में दो बार एमएलए और एक बार एम पी भी रहे। अबदुल लतीफ ग्राधी बहुत ही लोकप्रिय थ।
फरीद अहमद बताते है कि गांधी जी ने स्वंय उनके दादा जी को चरखा दिया था। वह उनके परिवार की लंबे समय तक धरोहर रहा। बांद में उसे गांधी संग्रहालय को दे दिया गया।
‌शिवचरण त्यागी ने तो गांधी जी के पुत्र को हिंदू धर्म में वापसी कराई
फोटो
पैजनियां के ‌शिव चरण सिंह त्यागी ने तो इस्लाम ग्रहण कर चुके महात्मी गांधी के पुत्र को हिंदू धर्म में लाने के लिए काम किया।
‌शिवचरण सिंह त्यागी के नवासे प्रसिद्घ साहित्यकार भोला नाथ त्यागी बतातें हैं कि उनके नाना के देशके बड़े बड़़े क्रातिकारियों से बहुत ही अच्छे संबध थे। आजादी के आदेेलन में कई प्रसिद्घ क्रांतिकारी उनके गांव पैजनिया में आकर काफी- काफी समय रूके। आजादी के बाद उन्होंने कोई सरकारी सुविधा आजीवन ग्रहण नहीं की।
महात्मा गांधी के पुत्र हीरालाल कुछ लोगों के प्रभाव में आकर मुस्लिम बन गए थे।महात्मा गांधी की पत्नी कस्तूरबा और उस समय के देश के बडे़े उद्योगपति जमना लाला बजाज के कहने पर शिवचरण त्यागी ने हीरालाल से संपर्क किया। उन्हें अपने संपर्क में लिया। उनका मस्तिष्क बदला। प्रयास कामयाब हुआ। कामयाब हुए ‌हीरा लाला वापिस हिंदु धर्म में आ गए किंतु यह ज्यादा न चला। हीरा लाल फिर अपने पुराने रास्ते पर चले गए।
अशोक मधुप
 ३ अक्टूबर २०१९ में अमर उजाला में छपा  मेरा  लेख 

No comments: