पूरी तरह कामयाब रहा बिजनौर महोत्सव
कार्यक्रम की सफलता से बहुत उत्साजहित है बिजनौरी
अशोक मधुप
वरिष्ठध पत्रकार
बिजनौर जनपद के दो सौ साल पूरे होने पर आयोजित बिजनौर महोत्सधव अपनी आन -बान और शान के साथ संपन्नौ हो गया।इसके साथ् ही बिजनौरवासियों में एक चेतना का संचार कर गया। इस कार्यक्रम में देश- विदेश से बड़ी संख्या में बिजनौरी शिरकत करने आए। बिजनौर महोत्सेव से जुड़ने वाले बिजनौरी अब अपने जनपद के विकास की बात कर रहे हैं।जनपद के विकास की योजनाएं बना रहे है।सबका प्रयास है कि बिजनौर जनपद में विकास की त्रिवेणी पूरी क्षमता से प्रवाहित हो।
बिजनौरवासियों को अबतक अफसोस रहा है कि विकास के मामले में शुरू से ही बिजनौर को नजर अंदाज किया गया है। बिजनौर के विकास के लिए आए प्रोजेक्टत बड़े नेता अपने क्षेत्र में ले गए।प्राय: बिजनौर का सांसद उस दल से चुना जाता रहा ,जिसकी केंद्र में सरकार नही होती थी। सो न उसकी सुनी गई न उसके क्षेत्र में विकास ही हुआ।
बिजनौर महोत्सीव के लिए बिजनौर जिला प्रशासन ने कई माह से तैयारी शुरू कर दी थी। इसी के परिणामस्विरूप बड़ी तादाद में बिजनौरी प्र्रशासन द्वारा बनाए इस व्हावटसएप ग्रुप से जुड़े।उन्होंसने सोचना शुरू कर दिया की बिजनौर का विकास कैसे हो। बिजनौर महोत्सेव में देशभर से तो बिजनौरी कार्यक्रम में पहुंचे ही, कनाड़ा,बंगलादेश और दुबर्इ आदि से भी बिजनौरी कार्यक्रम में शिरकत करने आए। सबने पूरे मन से कार्यक्रम का आनंद लिया।
उद्घाटन के बाद आठ नवंबर की शाम को प्रवासी बिजनौरियों ने गंगा बैराज पर गंगा आरती में भाग लिया। गंगा आरती इतनी भव्य थी कि देखकर लगता था कि ये आरती बिजनौर में नही बनारस या हरिद्वार में गंगाघाट पर हो रही हो। गंगा आरती के संयोजक सौरभ सिंघल ने इस आरती कराने के लिए बनारस से आठ योग्यक पंडित बुला रखे थे।उन्होंकने आरती विधि विधान से कराई। आने वाले मेहमानों को गंगा जल से भरी एक-एक गंगा जलहरी भी भेंट की गई।
बिजनौर महोत्सेव में सांस्कृातिक कार्यक्रम , कवि सम्मे लन और मुशायरे में शामिल होने वाले प्राय: बाहरी कलाकार और कवि थे।इसलिए बिजनौर के युवाओं ने जनपद के कवियों के लिए सात नवंबर की रात में मुशायरा रख लिया।नौ और इसमें जनपद के कवियों ने कविताएं प्रस्तुरत किए। नौ और दस में हुउ जनपद के स्कूवली छात्र - छात्राओं अैर जनपद के कलाकारों ने कार्यक्रम प्रस्तुीत किए।इन्हेंल देखकर कोर्इ ये नही कह सकता थी ये बड़े या मुंबई की फिल्मीय दुनिया के कलाकारों से कमतर हैं। कक्षा सात के छात्रों के आरकेस्ट्रा ने तो पूरे कार्यक्रम में अपनी धूम रखी।
नाटक अभिज्ञान शाकुंतलम् दर्शकों पर अपनी अमिट छाप छोड़ गया।
बिजनौर की एक सांग मंडली ने सांग प्रस्तुोत कर जनपद की पुरानी सांग खेलने की परंपरा को जिवित करने का प्रयास किया।ऐसे ही चांदपुर के चाहरबैत के गायकों ने अरब से आई इस गायन कला की प्रस्तु ति से दर्शर्कों का मन मोह लिया। चाहरबैत अरब से आर्इ कला है। इसे पठानी कला के नाम से भी जाना जाता है।
बेसिक शिक्षा की कक्षा सात की बालिकाओं के कार्यक्रम को देखकर सारे दर्शक वाह-वाह कर उठे। किसी को नही लगा कि यह स्था नीय बालिकाएं हैं।ऐसे ही जनपद के सीमावृति गांव की महिलाओं ने गढ़वाली नृत्यऐ करके अपनी प्रतिभा का दर्शकों को लोहा मनवा दिया।
बिजनौर वासियों ने मंथन कार्यक्रम में बिजनौर के विकास पर चर्चा की । ये भी चर्चा हुई कि बिजनौर को पर्यटन के नक्शे पर लाने के लिए क्याभ- क्यार किया जाए।यह भी तय हुआा कि इसके लिए बिजनौर की अलग से वेवसाइट बनाई जाए। जनपद के संपर्क मार्ग पर प्रचार के हार्डिंग लगाए जाए।युवाओं को गाइड के लिए प्रशिक्षित किया जाए।जनपद में बढ़ते पर्यटन को देखते हुए पर्यटकों के निवास के स्थान बढाए जाएं। जनपद में होम स्टेप का प्रचलन शुरू किया जाए।
वास्तरविक कार्यक्रम आठ नौ दस नवंबर को था किंतु स्कूटल और कालेज में कार्यक्रम कई दिन पहले से शुरू हो गए थे। अधिकारिक कार्यक्रम की समाप्तिक के बाद भी स्कूएल कालेज में कार्यक्रम अब भी जारी हैं। पूरे जनपद को सजाने में प्रशासन स्तूर से कोई कमी नही रखी गई। जगह जगह पर लगे होर्डिग इस कार्यक्रम केा भव्यम बना रहे थे। बिजनौर शहर को सजाने में तो बिजनौर पालिका ने कोई कसर ही नही छोड़ी।
राज्यई ललित कला केंद्र की और से रानी भाग्यलवती महिला महाविद्यालय के सभागार में आयोजित पांच दिवसीय प्रदर्शनी भी बहुत लोकप्रिय हुई। इसमें बिजनौर और प्रदेश के चित्रकारों ने राष्ट्री य अस्मिहता और बिजनौर की थीम पर चित्र बनाए।इस प्रदर्शनी का जनपद के चित्रकार, कला प्रेमी और छात्र-छात्राओं ने अवलोकन किया। ये प्रदर्शनी जनपद के युवा और प्रतिभाओं का मा्र्ग प्रश्स्ता करने का कार्य करेगी।
बिजनौर महोत्सनव के अवसर पर जनपद के सभी विद्यालयों ने अपने यहा अलग अलग कार्यक्रम आयोजित करके जनरूचि और जनभागीदारी पैदा करने का कार्य किया।
जनपदवासियों और प्रशासन ने बाहर से आने वाले बिजनौरियों के स्वागगत में कोई कसर नही छोड़ी। उनका भरपूर सम्माकन किया गया।कार्यक्रम में शामिल होने वालों से प्रशासन और बिजनौरवासियों ने जिले के विकास में भरपूर सहयोग की अपील की। आगंतुक बिजनौरी भी मन ही मन में में ये सौंगध लेकर गए कि अपने जनपद के विकास में अब उन्हेंन योगदान करना है। कोई कोर कसर नही छोड़नी है।
आज हालत है कि जिले के आईएएस, पीसीएस और बड़े अधिकारियों ने अपना -अलग ग्रुप बना लिया है। इस ग्रुप में शामिल सभी बिजनौर के विकास पर बात कर रहे है। सबका प्रयास है कि अब तक हुई जनपद की उपेक्षा की कमी वह जल्दीह से जल्दी पूरी कर दें।
अखबारों ने इस कार्यक्रम के कवरेज के लिए विशेष प्रबंध किए। स्थारनीय दैनिक बिजनौर टाइम्सए और चिंगारी ने तो इस अवसर पर विशेष परिशिष्ठी निकाले।
bइस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि इसका संदेश दुनिया भर में बसे भारतीयों तक पंहुचा। वे सब अब बिजनौर और उसके होने वाले विकास में अपना योगदान देने का प्रयास कर रहे हैं। जिलाधिकारी देवदत्ते जी के समय 1998 और 1999 में भी हालाकिं बिजनौर महोत्सव की तरह विदुर महोत्स व हुए थे, किंतु वह एक प्रकार से सरकारी कार्यक्रम ही बनकर रह गए। उनमें जनभागीदारी नही बढ़ी। उससे बिजनौरवासी नही जुड़ सके। इस बार जनपद वासियोंकी भागीदारी बढ़ी। प्रशासन ने उन्हें जगह –जगह से बुलाया।उनसे आह्वान किया कि बिजनौर आपका जिला है।इसके विकास में आप योगदान करें। आप सब अपने जिले को आगे लाने के लिए कार्य करें।
इस कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि इस बार के कार्यक्रम में राजनैतिक व्यीक्तियों को अलग रखा गया।यह कार्यक्रम शुद्ध बिजनौरवासियों का बनकर ही रहा। इस कार्यक्रम में एक कमी लगी की कार्यकम के दौरान बिजनौर जनपद के विकास का कोई स्प ष्टम एजेंडा नही बन सका।यदि ये हो जाता तो और बेहतर होता।
इस का्र्यक्रम के आयोजन के बाद अब यह निश्चि त होता लग रहा है कि अब ये बिजनौर महोत्स व बिजनौर की भूमि पर प्रतिवर्ष हुआ करेगा। और उम्मीाद है कि आने वाले कायर्क्रमों में प्रत्ये क वर्ष बिजनौरवासियों की भागीदारी बढ़ेगी।इसके लिए जिला प्रशासन कार्यक्रम में आने वालों का डाटा भी इसी लिए तैयार कर रहा है।
अशोक मधुप
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)