Friday, November 28, 2014

एक गलती ऐसी भी


कई बार बहुत अजीब होता है। नया होता है। ऐसा होता है कि मन ही मन मुस्कराकर रह जाना पड़ता है।
दुबई  की  सवेरे की फलाइट थी। बिजनौर से चल कर रात को बिटिया के पास गाजियाबाद  रूका। छोटे बेटे को मुझे छोडऩे एयरपोर्ट  जाना था,सो वह भी लक्ष्मी नगर से गाजियाबाद आ गया।
दामाद को शुगर हुई थी । उन्होंने उसकी जांच के लिए मशीन खरीद  रखी थी। मेरी भी जांच करने की जिद करने लगे । मैने बहुत मना किया कि मुझे शुगर नहीं है। किंतु नहीं माने जांच की तो 265 आई।
उन्होंने कहा -आपको शुगर है। जांच कराओ । बेटा भी दबाव देने लगा। मुझे सुबह निकलना था सो मामला उस समय टल गया ।
दुबई  से वापसी आया तो परिवार का  दवाब कि जांच कराओ। छोटे बेटे- बिटिया और दामाद की टोका टाकी। मजबूरन जांच कराने को तैयार हुआ। सवेरे बिना कुछ खाए और नाश्ते के बाद दो बार जांच होती है। चलते समय मै  पत्नी को भी ले गया और कहा जांच करा लो।
जांच में फास्टिंग में 60 से 110 नार्मल है किंतु मेरी शुगर 300 आई। नाश्ते के बाद 60 से 140 होनी चााहिए । ये 412 रही। ऐयी ही कुछ हालत पत्नी निर्मल की भी हुई। 60 से 110 की जगह 200 और नाश्ते के बाद की 80 से 140 की जगह 260 हुई। हम दोनों को पहले  कभी शुगर थी नहीं , तो रिपोर्ट  पर यकीन नहीं हुआ। दूसरी लेब पर जांच कराई तो मेरी शुगर फास्टिंग  की  60- 110 की जगह 210 और नाश्ते के दो घंटे बाद की 336 रहीं। निर्मल की भी 230 और 300 रही।
बहुत बड़ी गलती यह हुई कि दूसरे दिन जांच कराने के दो दिन बाद दीपावली थी। अब शुगर निकल आई  तो मिठाई से बचना था। सो दीपावली की आई मिठाई खाने की जगर्ह बांटनी पड़ी। चाय भी फीकी शुरू कर दी। निर्मल पहले ही मीठा बहुत कम लेती हैँ, सो उन्हें तो कुछ परेशानी नहीं हुई। परेशानी मुझे हुई जिसे   मिठाई का बहुत शौक रहा है। फीकी चाया पीनी पड़ती तो यह लगता कि इससे तो न पी जाए तो ज्यादा बेहतर रहे।
किसी तरह एक माह काटा। इस दौरान हम दोनों ने परहेज किया और एक्सरसाइज बढ़ाई। पहले मुझे तीस चालिस मिनट घूमते भी परेशानी होती थी । नींद आने लगती थी। सो बींच में ही घूमना छोड़ आकर सो जाता था। अब शुगर के डर से सवेरे एक घंटा घूमना शुरू कर दिया। एक घंटा योगा प्राणायाम में देने लगा। शाम को भी खाना खाने से पूर्व  तीस चालिस मिनट घूमने  लगा।
 डाक्टर नीरज चौधरी  जनपद के बहुत बड़े फीजिशियन  और हार्ट स्पेशलिस्ट हैं। उनसे समय लिया। हमारी रिपोर्ट देखकर यह चौंके। उन्होंने अपने यहां शुगर टैस्टï कराई । निर्मल की 165 और मेरी 148 आई। फिर भी लैब पर सघन जांच कराने का निर्णय लिया गया।
अब जांच में  60 से 110 रहने वाली मेरी  शुगर 112 और निर्मल की 148 आई। रिपोर्ट  देखकर वह चौकें। बोले आपने बहुत कंट्रोल किया है। ऐसे ही बनाए रखो। दवाई की कोई  जरूरत नहीं।
अब हम अपनी बेवकूफी पर हंसते है कि दीपावली के बाद जांच  कराई  होती तो घर आई मिठाई  जमकर खाई  जाती।  इधर उधर बांटनी तो  न पड़ती। दूसरी ओर  ये सोचतें हैं कि शुगर आएगी, ये यकीन नहीं था। इसी गफलत में जांच करा ली। हां एक माह की  एकसरसाइज का परिणाम यह हुआ कि अब घूमते सुस्ती नहीं आती। थकान नहीं होती। घूमने का समय भी बढ़कर दो घंटे के आसपास आ गया है। अब को शिश है कि इसे बनाए रखा जाए।अब शुगर तो सही हो गई पर जिन्हे बता दिया कि शुगर है । चाय फीकी लेंगें अब उनसे कैसे कहा जाए । कि अब ठीक हैं मीठी चाय देना ।
अशोक मधुप